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Anuradha T Gautam 6280
अंधेरी गलियों में #रोशनी ढूंढने की आदत पड़ गई कदम #सहम जाते हैं हर कदम पर मगर क्या करूं #तड़प_तड़प कर जीने की आदत पड़ गई..🖊️ #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻♀️ 🛣️.....................🚶♀️🎧 ©Anuradha T Gautam 6280
Rakesh frnds4ever
White जाने क्यों कुछ कह नहीं पाता हूं या फिर कहते कहते रुक जाता हूं,सहम जाता हूं खामोश ही रह जाता हूं ,,,,,,, क्योंकि कुछ भी कहने सुनने को आवाज़ के अलावा दिल, तन ,मन,,चित, चाह,इच्छा,, लोभ,मोह,स्नेह,लगाव, समर्पण,अपनापन,भोलापन, सादगी,नादानी,प्यार, मनोदशा, मनोभाव, विचार, व्यवहार, चरित्र, नियत,जरूरत ,,,,,,,,,,,,, आदि सब किसी का होना भी जरूरी होता है।।। ©Rakesh frnds4ever #जाने_क्यों… कुछ कह नहीं पाता हूं या फिर कहते कहते रुक जाता हूं, #सहम जाता हूं #खामोश ही रह जाता हूं ,,,,,,, क्योंकि कुछ भी कहने सुनने को #आवाज़ के अलावा दिल, तन ,मन,,चित, चाह,इच्छा,,
Drg
कभी रो देती, कभी हंसने लगती, विडंबना भरे हालातों पर, जिसे दुनिया समझा, वही दुनियादारी का पाठ पढ़ाने बैठ गया (Read in caption) ज़माने में वो चंद लोग मिलें थे मुझे, समझने लगे थे वो मेरी चुप्पी को सहम के बैठी रहती थी, घर के किसी कमरे मे कभी, आज उन्हीं की बदौलत, मैं अब कुछ कह सुन लेती हूँ खींच कर लाए थे मुझे हज़ारों लोगों के बीच,इसी उम्मीद पे कि शायद थोड़ा हँस बोल लूँ
ज़माने में वो चंद लोग मिलें थे मुझे, समझने लगे थे वो मेरी चुप्पी को सहम के बैठी रहती थी, घर के किसी कमरे मे कभी, आज उन्हीं की बदौलत, मैं अब कुछ कह सुन लेती हूँ खींच कर लाए थे मुझे हज़ारों लोगों के बीच,इसी उम्मीद पे कि शायद थोड़ा हँस बोल लूँ
read moreDr Manju Juneja
नोजोटो पर इतने डरावने किस्से कहानियो को पड़ा तो मैं डर गई डर के मारे मैं सोफे पर दुबक गई ऐसा लगा हलक में कुछ फस गया बचपन का किस्सा याद कर सहम गई याद आ गई वो पीर बाबा वाली बात याद सर्दियों में कितना डरावना लगता था वो घर के पीछे का रास्ता पढ़ने जाते थे उस रास्ते से अपने चाचा के घर रात के सात या आठ बजे थे वो ठीक पीर बाबा के बाजू में पड़ती थी डाक्टरनी की कोठी सफेद कपड़ो में खड़ा था पेड़ के नीचे एक छोटा सा आदमी मैं उसे देखकर बहुत डर गई उस कोठी में रहती थी किराए पर मेरी सहेली जब मैं पीछे के रास्ते से घर जाने लगी तो उसे इस तरफ भी पाया डर के मारे मैंने उसकी दीदी को बताया फिर उनकी छत से वो आदमी मैंने उन्हें दिखाया हमने उसे अंदर पीर बाबा में अंदर जाते हुए देखा उसकी दीदी और मैं छत पर खड़े रहे जब सुना उसकी मम्मी ने तो दो चार औरतों ने जाकर पीर बाबा में देखा पर वहां अंदर कोई नही था पर ऐसे कैसे हो सकता था डर के मारे कई रात सोई नही थी उस रास्ते से अकेले जाने से थी डरती कौन था आज भी ये सोचती हूँ कहीं वो सच मे पीर तो नही था ©Dr Manju Juneja #horror #peerbaba #ghar #रास्ता #बचपन #सहम #नोजोटो #कहानियां #किस्से #Anhoni
Anand Prakash Nautiyal tnautiyal
सहम जाते हैं,तेरी गली में,जब हम जाते हैं, यादों की जंजीर से जकड जाते हैं, तेरी गली में,जब हम जाते हैं। सहम जाते हैं,जब तुझे महसूस करते हैं, थम जाते हैं,उन एहसास को महफूज करते हैं, सहम जाते हैं,तेरी गली में जब हम जाते हैं। ©Anand Prakash Nautiyal #सहम#जाते हैं #BengalBurning
Sunil Sharma...
.............. सहम सी गई है ख्वाहिशें जिंदगी के इस दौर मे ......... जरूरतें तो बहुत........... ............. पर जरूरत पर कोई नहीं #सहम गई है ख्वाहिश है
#सहम गई है ख्वाहिश है
read moreMukesh Choudhary
नमन मित्रो रात की चाँदनी और ये बेचैन मन, सहम सहम सा है जाने क्यों तन बदन।। ऋतु आती रही ऋतु जाती रही, पुष्प है अधखिले जाने क्यों महका चमन।। रूप तेरा कमल तू खिले है सम्भल, दिल में बसती हो जाने क्यों राधा रमन।। कस्तियां जैसे धड़कनो में तैरती हो कई, खो सा गया है जाने क्यों चैनो अमन।। मुकेश चौधरी,, दीप 01/09/2016 नमन
नमन
read moreanamika
चुलबुली ख्यालों ने खलबली मचाया है कूद इश्के दरिया में आग से नहाया है पर रवानी ए इश्क़ देख आग भी सहम गया इश्क़ पानी पानी था ख़्याल ही दहक गया #चुलबुली #ख्यालों ने #खलबली मचाया है कूद #इश्के_दरिया में #आग से नहाया है पर #रवानी ए इश्क़ देख #आग भी #सहम गया इश्क़ #पानी पानी था ख़्याल ही #दहक गया
निखिल कुमार अंजान
Ram ईश्वर...... ईश्वर..... अंजान की आँखों से लगातार आँसू बहे जा रहे थे....... एक छोटी बच्ची के चेहरे पर मुस्कान थी...... क्योंकि वह ईश्वर और धर्म का अर्थ समझ चुका था....... जबकि वह बच्ची काफी दिनों से उदास थी...... अंजान एक 30 बरस का युवक था उसका धर्म करम मे अत्यंत विश्वास था वह रोज नियम से शहर के एक प्राचीन मंदिर मे दर्शन करने जाता था वँहा लंबी लाइन मे लगकर लगभग 20 से 25 मिनट मे उसको भगवान के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता था लेकिन वँहा चढ़ावा चढ़ाने के बावजूद उसके मन को शांति न मिलती थी वह दर्शन करने के
ईश्वर..... अंजान की आँखों से लगातार आँसू बहे जा रहे थे....... एक छोटी बच्ची के चेहरे पर मुस्कान थी...... क्योंकि वह ईश्वर और धर्म का अर्थ समझ चुका था....... जबकि वह बच्ची काफी दिनों से उदास थी...... अंजान एक 30 बरस का युवक था उसका धर्म करम मे अत्यंत विश्वास था वह रोज नियम से शहर के एक प्राचीन मंदिर मे दर्शन करने जाता था वँहा लंबी लाइन मे लगकर लगभग 20 से 25 मिनट मे उसको भगवान के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता था लेकिन वँहा चढ़ावा चढ़ाने के बावजूद उसके मन को शांति न मिलती थी वह दर्शन करने के
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