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Jiyalal Meena ( Official )
Mili Saha
// नई पीढ़ी का विकास हमारा कर्तव्य // बहुत विश्वास और उम्मीद के साथ कुदरत देती है, हाथ हमारे हाथों में, नई पीढ़ी के पूर्ण विकास का, नई पीढ़ी को सही मार्ग दिखाना, है ये हमारा कर्तव्य, मान रखना है हमें सदैव, कुदरत के इस विश्वास का, बाल रूप होता है अबोध, निर्दोष सब सरल लगे जिसे, हमें ही तो बोध कराना है उन्हें,नैतिकता के एहसास का, पूर्वजों के आदर्शों, संस्कारों को नई पीढ़ी बोझ ना समझें, इसलिए पल-पल महत्व समझाना है हमें इनके उजास का शिक्षा के माध्यम से नई पीढ़ी को सिखा सकते हैं जीने की कला, बस आवश्यकता है हमारी शिक्षा प्रणाली में एक नए बदलाव का, शिक्षा का अर्थ केवल किताबों से कुछ ज्ञान प्राप्त कर लेना नहीं है, शिक्षा को साधन बना सकते हैं हम संस्कृति,संस्कारों से जुड़ाव का, शिक्षित करने के साथ-साथ उन्हें पूर्वजों की गाथा से जोड़े रखना है, समाज, देश के लिए हमें आगाज़ करना होगा एक सार्थक प्रयास का, भविष्य की आशा है नई पीढ़ी, इन्हें बचाना, संजोना है हमारा कर्तव्य, समझाना है उन्हें ये चकाचौंध तो बस है पिंजरा, अंधकार के ग्रास का, जीवन में एक नींव का कार्य करते हैं बाल्यकाल में दिए गए संस्कार, समय रहते निर्माण करना होगा हमें चरित्र और सर्वांगीण विकास का, अक्सर कई वजह से नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी को स्वीकार नहीं कर पाती, आपसी तालमेल से ही अंत हो पाएगा पीढ़ियों में अंतर के, इस द्वंद का, पुरानी पीढ़ियों को भी बदलते परिवेश की चुनौतियों को समझना होगा, तभी तो एक सुगम मार्ग प्रशस्त हो पाएगा, इस नई पीढ़ी के विकास का, कभी जिद कभी नादानियों का वहन कर उन्हें समझना, समझाना होगा, ताकि आधुनिकता की होड़ में भी, महत्व समझें संस्कारों के प्रभाव का। ©Mili Saha बहुत विश्वास और उम्मीद के साथ कुदरत देती है, हाथ हमारे हाथों में, नई पीढ़ी के पूर्ण विकास का, नई पीढ़ी को सही मार्ग दिखाना, है ये हमारा कर्
Balwant Mehta
लोकतंत्र की है मजाक मिले भले ही जनादेश आलाकमान भी लाचार शर्तों पर बनाए सुल्तान। ©Balwant Mehta #Love #चुनाव #कुर्सी #जनादेश #आलाकमान #कर्नाटक
Nadbrahm
Devesh Dixit
अपराधों की श्रृंखला (दोहे) अपराधों की श्रृंखला, का फिर से विस्तार। जगह-जगह से मिल रही, खबर देख हर बार।। कई तरह के जुर्म हैं, जिसको दें अंजाम। बिना डरे ही ये करें, दहशत वाले काम।। जीना ही दुश्वार है, शैतानों के बीच। कर्म करें ये कौन सा, जाने कैसे नीच।। अपराधों से है भरा, देख आज अखबार। कितनों की गिनती करें, छोड़ें भी हर बार।। प्रेम जाल में जो फंँसी, हो श्रृद्धा सा हाल। अपराधों में यह जुड़ा, हुआ देख विकराल।। सख्त हुआ कानून है, फैंका ऐसा जाल। मुजरिम को फिर है धरा, खींची उसकी खाल।। न्याय मिले जब देर से, परिजन हैं लाचार। अपराधी हैं घूमते, पीड़ित करें गुहार।। न्याय प्रणाली चुस्त हो, अपराधी भयभीत। जुर्म मिटे तब हों सुखी, तभी मिले फिर जीत।। ............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #अपराधों_की_श्रृंखला #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry अपराधों की श्रृंखला (दोहे) अपराधों की श्रृंखला, का फिर से विस्तार। जगह-जगह से
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