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Ravi Shankar Kumar Akela
30 जून को ही आजाद हो गया था देश लेकिन उसी समय नेहरू और जिन्ना के बीच भारत व पाकिस्तान के बंटवारे का मुद्दा शुरू हो गया। इस दौरान मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान की मांग कर दी। जिसके बाद सांप्रदायिक दंगे की संभावना बढ़ गई। जिसके बाद भारत को 15 अगस्त 1947 को ही आजादी करने का फैसला लिया गया। ©Ravi Shankar Kumar Akela #Yaari 30 जून को ही आजाद हो गया था देश लेकिन उसी समय नेहरू और जिन्ना के बीच भारत व पाकिस्तान के बंटवारे का मुद्दा शुरू हो गया। इस दौरान मोह
#Yaari 30 जून को ही आजाद हो गया था देश लेकिन उसी समय नेहरू और जिन्ना के बीच भारत व पाकिस्तान के बंटवारे का मुद्दा शुरू हो गया। इस दौरान मोह #पौराणिककथा
read moreVandana
..... प्रेम साथ चलता है साथ रहता नहीं कभी भी मंजिल तो इक ही होती है पटरियों की भी और प्रेम की भी इक साथ चलने की इक इंतज़ार में जीने की इक ही आस मे
प्रेम साथ चलता है साथ रहता नहीं कभी भी मंजिल तो इक ही होती है पटरियों की भी और प्रेम की भी इक साथ चलने की इक इंतज़ार में जीने की इक ही आस मे
read moreVijay Vidrohi
दंगे फसाद हत्या मारपीट करने की मिल रही पूरी छूट। कुशासन हुआ धर्मांध बना हुआ है म्यूट। मां बहन बेटी ना सुरक्षित इज्जत रहे हैं लूट। जो बनते हैं वर्षों में वह घर रहे हैं टूट। ©Vijay Vidrohi #दंगे
Vrishali G
हर किसिका कुछ ना कुछ लूट रहा था.. क्या हो रहा हैआज ..कल अंजाम क्या होगा इस बात से जमाव बेखबर था जाने किस बहकावे मे आकर इंसान होशो हवास खो बैठा था ©Vrishali G दंगे
दंगे #कविता
read moreSushil Dwivedi
दंगों ने छीन ली खुशियां सारी आपस में लड़ बैठे वो समुद्र से गहरी यारी थी जिनकी खुशियां जहां की दोस्ती पे वारी घर जलाते खयाल न आया अम्मी का जिसने हर बार थी नजर उत्तारी अशफाक से ज्यादा प्यार करती थी तुम्हें पल में तुमने कैसे दुनिया उजाड़ी ©Sushil Dwivedi दंगे
दंगे
read morevibhanshu bhashkar
"दंगा" इंसानियत की "कब्रगाह" है , जबकि गंदी "राजनीति" की, उर्वरभूमि.. @bhashkar #दंगे
Sushil Dwivedi
दंगों ने छीन ली खुशियां सारी आपस में लड़ बैठे वो समुद्र से गहरी यारी थी जिनकी खुशियां जहां की दोस्ती पे वारी घर जलाते खयाल न आया अम्मी का जिसने हर बार थी नजर उत्तारी अशफाक से ज्यादा प्यार करती थी तुम्हें पल में तुमने कैसे दुनिया उजाड़ी ©Sushil Dwivedi दंगे
दंगे
read moreMD shafique khan
दंगे कोई भी मुझे आदमी मान कर छोंड देने को तैयार ना था | इतना खून का प्यासा तो ड्रैकुला भी कभी मेरे यार न था || वो पूंछ रहा था के तू चंदन धारी है,या के टोपी वाला है | न मैं चंदन न टोपी वाला हूँ, मैं तो रोटी और लंगोटी वाला हूँ | मैं बोला इसाई हू, तो उसके अंदर 1857 का जोश हिलोरें मारने लगा | और बंदा पूरी सिद्दत से फिर मारने लगा || बोला हमें पैसे सिर फोडने के मिले हैं, तुम्हें एकता के सूत्र में जोडने के नहीं | किसी भी मजहब का हो तू हमारा क्या लगता है | हम बेरोजगारों को जो पैसा दे उसीके तरफ से बजेगा || गुनाह हमारा है तो डंडे तो खाने ही पडेंगे | वर्ना इन बेरोजगारों को रोजगार दिलाने ही पडेंगे || #दंगे
ANIL KUMAR
काश तुम्हें पाने के लिए कोई चुनाव होता मैं भाषण के साथ साथ दंगे भी करा देता ©ANIL KUMAR दंगे करा देता
दंगे करा देता #Life
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