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tripathi
White मैने देखा जब जाते हुए उसे तो सच मानो दिल रो पड़ा मगर फिर सोचा की वो अगर मेरा होता तो जाता ही क्यू 💔 ©tripathi #मैने देखा जब जाते हुए उसे तो सच मानो दिल रो पड़ा मगर फिर सोचा की वो अगर मेरा होता तो जाता ही क्यू 💔
#मैने देखा जब जाते हुए उसे तो सच मानो दिल रो पड़ा मगर फिर सोचा की वो अगर मेरा होता तो जाता ही क्यू 💔
read moreAnjali Singhal
"हुई थी उनसे जब मेरी मुलाकात, हुआ कुछ ऐसा फिर मेरे साथ, दिल ही दिल में उमड़ रहे थे जाने कैसे जज़्बात, पहले-पहले प्यार का यह था एहसास। धड़कनों में हलचल थी साँसें महकी-महकी थीं, चिड़िया की मानिंद रहती चहकी-चहकी थी, पर एक पल भी चैन न था दिन हो चाहें रात, पहले-पहले प्यार का यह था एहसास। मन-मंदिर में बसाए हुए उन्हें बीत गए कितने साल, आने को हो चला अब उम्र का नया पड़ाव, पर आज भी है प्यार वही बरकरार, पहले-पहले प्यार का जो था एहसास।।" ©Anjali Singhal "हुई थी उनसे जब मेरी मुलाकात, हुआ कुछ ऐसा फिर मेरे साथ, दिल ही दिल में उमड़ रहे थे जाने कैसे जज़्बात, पहले-पहले प्यार का यह था एहसास। धड़कन
"हुई थी उनसे जब मेरी मुलाकात, हुआ कुछ ऐसा फिर मेरे साथ, दिल ही दिल में उमड़ रहे थे जाने कैसे जज़्बात, पहले-पहले प्यार का यह था एहसास। धड़कन
read moredilkibaatwithamit
लिख लिख के तेरा नाम मिटाना पड़ा मुझे इक राज था जो सबसे छुपाना पड़ा मुझे मेरी ग़ज़ल में यार की पहचान थी कोई हर एक शेर यूँ ही घुमाना पड़ा मुझे ये बात आप उसके ख्यालो से पुछिए कल रात क्यूँ ही खुद को जगाना पड़ा मूझे लगने लगा था जब मुझे नाकामियों से डर इक शेर फिर खुद ही सुनाना पड़ा मुझे अपनो ने मुझमे खूब निकाली थी खामियां गैरों से यूँ ही हाथ मिलाना पड़ा मुझे अनवर से जिसने अन्नु रखां था मेरा नाम अनवर उसी का नाम बताना पड़ा मुझे ....अनवर क़ुरैशी ©dilkibaatwithamit लिख लिख के तेरा नाम मिटाना पड़ा मुझे इक राज था जो सबसे छुपाना पड़ा मुझे मेरी ग़ज़ल में यार की पहचान थी कोई हर एक शेर यूँ ही घुमाना
लिख लिख के तेरा नाम मिटाना पड़ा मुझे इक राज था जो सबसे छुपाना पड़ा मुझे मेरी ग़ज़ल में यार की पहचान थी कोई हर एक शेर यूँ ही घुमाना
read morePrashant Shakun "कातिब"
हज़ारों लाखों शब्दों से भरी किताब... कितनी ख़ामोशी से, उस बुकशेल्फ में चुप-चाप 24 घंटे पड़ी रहती है। ... कुछ ऐसे ही पड़ा हुआ हूं मैं भी... अपने अंदर असंख्य शब्दों के साथ एक इंतज़ार लिए, अपनी ज़िंदगी के बुकशेल्फ पर अनपढ़ा सा...! .... ©Prashant Shakun "कातिब" हज़ारों लाखों शब्दों से भरी किताब... कितनी ख़ामोशी से, उस बुकशेल्फ में चुप-चाप 24 घंटे पड़ी रहती है। ...
हज़ारों लाखों शब्दों से भरी किताब... कितनी ख़ामोशी से, उस बुकशेल्फ में चुप-चाप 24 घंटे पड़ी रहती है। ...
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
Village Life अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है। चल पड़ा हूँ वापस पगडंडी पर, बस्ती से दूर, एक छोटा सा गांव है। जहाँ सुकून की मिट्टी से गंध उठती है, और सपनों का आकाश साफ़ है। ढूंढ रहा है हर कोई शहर में बसेरा, पर वहाँ भी ज़िंदगी कहाँ आज़ाद है। शोर में खो जाती है पहचान अपनी, बस भीड़ में रह जाता एक फरियाद है। लौट आओ अपनों के बीच, अभी वक्त है, ज़िंदगी छोटी है, किसे सरोकार है। रिश्तों की गरमाहट को महसूस कर लो, फिर न कह सकेगा दिल, ये जो अंगार है। शहर के शोर में सब कुछ खो जाता है, पर दिल सुकून तो अपनों में ही पाता है। थोड़ा ठहरो, जरा संभालो इन पलकों को, क्योंकि यादें ही अंत में हमारा संसार हैंl ©theABHAYSINGH_BIPIN #villagelife अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।
#villagelife अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।
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कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे हैं, सर्दी ने रोका हर काम। हिम्मत भी थरथर कांप उठी, लिपटे हम गर्म चादर में। उठकर मुंह धुलना भी दुश्वार है, किसने बर्फ डाल दी पानी में? कौन है जो यूं कहर ढा रहा, पूरे गांव को कैद किया है घर में? राह अंधेरी, जमी हुई है, थोड़ी उम्मीद बची है मन में। चलता हूं बस सहारे इसके, जो दिख रहा टॉर्च की रोशनी में। शिथिल पड़े हैं मेरे जज्बात, आलस ने ले लिया गिरफ्त में। यह कैसा दिन, एक पल न सुहा, सिकुड़ा पड़ा हूं एक चादर में। हर कदम जैसे थम सा रहा, जीवन को ढो रहा धुंध में। क्या कभी सूरज की रौशनी लौटेगी, या मैं यूं ही खो जाऊं रजाई में? ©theABHAYSINGH_BIPIN #coldwinter कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे
#coldwinter कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे
read moreMatangi Upadhyay( चिंका )
किसी को प्रेम समझाते समझाते खुद कब नासमझ घोषित हो गए पता भी नहीं चला, इसलिए किसी को अत्यधिक प्रेम तो करो परन्तु प्रेम समझाओ नहीं, प्रेमियों ने जब जब ये पहल की, तब तब वो हारते गए, कभी प्रेमी से तो कभी प्रेम से, और धीरे धीरे कठोर बनते गए..! ©Matangi Upadhyay( चिंका ) प्रेम से हार हुई तो कठोर होना ही पड़ा 🤔 #matangiupadhyay #Nojoto #thought #Broken💔Heart
प्रेम से हार हुई तो कठोर होना ही पड़ा 🤔 #matangiupadhyay #thought Broken💔Heart
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