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Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
अमित अनुपम
मदिरा अनंत मदिरा कथा अनंता। मदिरालय है मंदिर और मदिरापान हैं करते इनके भक्ता। मदिरालय में ही आकर बह जाए धर्म की आड़ में जो नफरत पलता। ऊंच नीच और जाति पाति का इसके आंगन भेद है मिटता। छल, प्रपंच, द्वेष या फिर नफरत सब मदिरा पीते ही है छंट जाता। होश में जो अक्सर झूठ बोले पीकर वो सब सच कह जाता। कोई मदिरा पीकर वांचें ज्ञान कोई मदिरा पीकर हुड़दंग मचाता। सही रूप निखरकर है बाहर आये दो घूंट मदिरा जैसे ही अंदर जाता। गम जो नासूर बने रहते दिल के मदिरा पीते ही कम हो जाता। बिन मदिरा पीये जो होते दुश्मन। पीकर मदिरा वो हो जाते भ्राता। राष्ट्र भक्तों की गर गिनती हो इनका नंबर है पहला आता। अर्थव्यवस्था को दिया सहारा। फिर भी है इनको दुत्कारा जाता। मदिरा रहस्य है मुश्किल बड़ी हर किसी के समझ न आता। मदिरा अनंत मदिरा कथा अनंता। अमित अनुपम मदिरा अनंत मदिरा कथा अनंता।
Pankaj Sharma
मदिरालय में जा कर देख मदिरापान का कर कर देख ह्रदय के द्वेष मिट जायेगे एक घुट कंठ में धर कर देख मदिरा
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
मदिरालय का द्वार मंदिर मस्ज़िद से भी पाक, हर सख़्श ख़ुदा सा हो जाता हैं यहाँ आने के बाद ।। ©बिमल तिवारी "आत्मबोध" मदिरा
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
अल्ला की क्या मेहरबानी हैं मदिरा की बूंदों पर, हर अल्फ़ाज़ सच निकलता हैं लेने के बाद ।। ©बिमल तिवारी "आत्मबोध" मदिरा
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
ख्वाज़ा के दरबार पर सुकूँ नहीं हैं दिल को जो, ओ सुकूँ सभी पा जाता हैं मयखाने में होने के बाद ।। ©बिमल तिवारी "आत्मबोध" मदिरा
Utkarsh Vishvakarma
मधुर मदिरा का स्वाद प्रिये ले रहा हूँ अरसों से छोटे छोटे पत्रो में सजी है मदिरा का रसपान प्रिये जब मस्तक में मदिरा लहराएगी तब करना ये गुणगान प्रिये लबो से ये लग जाती जब करते सब ये गुणगान प्रिये ये ना धोखा देती है इसका सबके प्रति प्रेम प्रिये चाहे कितना भी गम आया हो कर इसका रसपान प्रिये सबकुछ स्वाहा हो जाएगा कर लिया जो इस से प्रेम प्रिये मदिरा