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Pradyumn awsthi
दुनियां की जटिलता को समझने से सौ गुना ज्यादा जटिल है खुद को समझना ©"pradyuman awasthi" #जटिलता
vk motivation
अपनी ज़िन्दगी को आसान और कठिन बनाना हम पर निर्भर करता है। ©viraj सरलता जटिलता
अज्ञात कवि
सकारात्मक, नकारात्मक इन दोनों शब्दों के बीच फंसा हुआ हूं व्यक्ति हूं और मेरा मस्तिष्क चक्र-व्यूह से भरा हुआ ,, #चक्रव्यूह #उलझन #जटिलता
Shubham Bhardwaj
समस्याओं का जीवन में आना, कोई नई बात नही होती है।हरेक इंसान के जीवन में समस्याएं कभी न कभी आती ही हैं मगर यह तब जटिल हो जातीं हैं जब इन्हें दूर करने के लिए शुभचिंतक आ जाते हैं। ©Shubham Bhardwaj समस्या#समस्या#जीवन#शुभचिंतक#जटिलता
Avinash Lal Das
जटिल बना दिया जिंदगी बहुत सरल थी, हमने इसे जटिल बना दिया । बालक जैसे अपने निष्कपट मन को, हमने बेवजह कपट का आँचल ओढ़ा दिया । गंगा के समान अपने पवित्र हृदय में, हमने ना जाने क्यूँ मैल का सागर बहा दिया । ख्वाहिशों की गठरी का बोझ ढोते-ढोते, हमने जीवन के सुख-चैन को खो दिया । अनावश्यक धन-दौलत सहेजने के लोलुपता में, हमने अपनों का वक़्त और प्यार गंवा दिया । भुजंग रूपी भ्रष्टाचार को समाज में आश्रय देकर, हमने अमृत समान ईमानदारी में भी विष मिला दिया । लक्ष्मी की महत्वता जग को समझाने के लिए, हमने सरस्वती को लक्ष्मी के रूप में ढाल दिया । ईश्वर के बनाए हुए इस प्रेम रूपी संसार में, हमने नफरत का एक और संसार बसा दिया । मनुष्य रूपी जीवन पाने के बाद भी, हमने बेवजह की लालसाओं के लिए खुद को इंसान से शैतान बना दिया ।। ©Avinash Lal Das #जटिल बना दिया#
Dole Ram
On the occasion of engineers day Dedicated to all Engineers मुश्किल हो जटिल भी हार कहां मानता हूँ अंजाम जीत भी होगी इतना ख़ुद क़ो मैं जानता हूँ👍 ©Dole Ram मुश्किल हो जटिल भी.....
Aarti Sirsat
जब मौत इंसान को खा लेती है, तो तब इंसान एक जटिल पत्थर हो जाता है। फिर उसे कोई फर्क नही पड़ता कि कौन दुनिया में जिंदा है और कौन मर गया है। ©Aarti Sirsat #इंसान #मौत #जटिल #पत्थर
Dole Ram
_______________________________________ अबके बरस यू आंधी आयी बारिश लायी,बाढ़ लायी तूफान सा रूप लेकर, सीने में मेरे बार कर गयी. अपने रौद्र आवेग से,दूर कहिं पटका गयी देख मेरी हालत यूँ मुस्कुरा गयीं लगी ऐसे इतराने जेसे मुझे हरा गयी है जो तेरे तरकश में तीर इस कदर गिरा दे मुझे.. कर छलनी शरीर मेरा,या कि मार दे मुझे. जो रहने दिए शेष श्वास मेरे प्राण में. निसंदेह वक्त बदलेगा पछताएगी तू बाद में.. क़ोई बता दो इसे जब तक रहे शेष श्वास मेरे प्राण मे . अंतिम साँस तक में हार कहां मानता हूँ, भर गुब्बारे मे तुझे,उड़ाना भी मैं जानता हूँ मुश्किल हो जटिल भी, मैं हार कहां मानता हूँ अंजाम जीत ही होगी इतना खुद क़ो मैं जानता हूँ _______________________________________ मौत से यूँ हुआ सामना, जो लगी ललकारने मुझसे नहीं क़ोई बड़ा,गरूर से लगी बतलाने साँसे तेरी मैं हर लूँगी. जीवन की डोर हर लूँगी हट जा रास्ते से,अपने जीवन के वास्ते अब तू भी मेरी बात तो सुन, सावित्री का इतिहास तो सुन ओंधे मुँह तू देखती रह गई,ज़ब पति अपना ये यमराज से ले गई मौत तो आनी है आज नहीं तो कल आनी है ये सत्य भी मैं जानता हूँ हाँ करू अगर निश्चय तो इसे हराना भी मैं जानता हूँ मुश्किल हो जटिल भी, मैं हार कहां मानता हूँ अंजाम जीत ही होगी इतना खुद क़ो मैं जानता हूँ ✍️✍️ DR Thakur ✍️✍️✍️ ©Dole Ram #मुश्किल हो जटिल भी