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Ravendra
Ravendra
Vedantika
बरगश्ता है ज़िंदगी न जाने किस जुर्म के लिए, गुनाह भी तो उसी ने किया हमें साँसें देने का।— % & ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "बरगश्ता" "bargashta" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है गुस्सा, नाराज़, खफ़ा एवं अंग्र
Vedantika
उश्शाक़ बने फिरते हैं लाखों यहाँ कुर्बानी हमारी दे जश्न मनाते हैं ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "उश्शाक़" "ushshaaq" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है प्रेमी एवं अंग्रेजी में अर्थ हो
Ravendra
स्मार्टफोन बांटते विधायक नानपारा ©Ravendra लार्ड बुद्धा पी जी कालेज में स्मार्ट फोन का विधायक ने किया वितरण बहराइच जिला में रूपईडीहा के लॉर्ड बुद्ध डिग्री कालेज में सरकार द्वारा स्म
Dr Upama Singh
ज़िन्दगी ही कभी कभी होती रही बरगश्ता मेरा दिल मेरे हालात पर रहा हँसता— % & ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "बरगश्ता" "bargashta" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है गुस्सा, नाराज़, खफ़ा एवं अंग्र
Divyanshu Pathak
जब तक प्रतिहारों में साहसी-पराक्रमी शासक उत्पन्न होते रहे उनका राज्य विस्तार भी हुआ।शुरुआती दौर में मण्डोर के प्रतिहार- नागभट्ट,शिलुक,बाउक शक्तिशाली रहे।उज्जैन और कन्नौज के प्रतिहारों में भी कई प्रतिभासंपन्न योद्धा हुए।समूचे राजस्थान पर अधिकार कर उन्होंने- गुहिल,राठौड़,चौहान तथा भाटियों को सामन्त बनाकर राज्य किया।जैसे ही इनकी केंद्रीय शक्ति कमज़ोर हुई तो सामन्तों ने अपने स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिए।जिस राजस्थान की मिट्टी में उनका उदय हुआ,उसी राजस्थान को वे हमेशा के लिए अपना न रख सके। : डॉ गोपीनाथ शर्मा लिखते हैं कि - जोधपुर के शिलालेखों से यह प्रमाणित होता है कि प्रतिहारों का अधिवासन मारवाड़ में लगभग छठी शताब्दी के द्वित्त
Divyanshu Pathak
"राजपूत" ( अतीत के झरोखे से ) 'राजपूत' अश्व और अस्त्र की पूजा करते हैं। मुसलमानों से युद्ध करते समय उन्होंने महाभारत काल के क्षत्रियों के सिद्धांत व नैतिक आचरण अपनाए।वैदिक सभ्यता को बचाने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाते रहे।श्री सी.एम वैद्य व श्री ओझा जी ने राजपूतों को वैदिक आर्यों की सन्तान और भारतीय माना है। 'पृथ्वीराज रासो' में कवि चन्द्रवरदाई ने लिखा है कि विश्वामित्र, गौतम,अगस्त्य तथा अन्य ऋषिगण आबू पर्वत पर एक धार्मिक अनुष्ठान कर रहे थे तो दैत्य आकर उनकी यज्ञ में विघ्न डालने लगे।उन दैत्यों को ख़त्म करने के लिए वशिष्ठ मुनि ने यज्ञ से तीन योद्धा उत्पन्न किये - 1.परमार 2. चालुक्य 3. प्रतिहार। किन्तु जब तीनों का बल कम पड़ा तो चौथा योद्धा 'चौहान' उत्पन्न किया गया तब उसने आशापुरी को अपनी देवी मानकर दैत्यों को मार भगाया। परवर्ती चारण और भाटों ने तो इस उत्पत्ति को सत्य मानकर अपने ग्रंथों में दुहराया है किन्तु इतिहास का कोई भी विद्यार्थी यह मानने को तैयार नहीं
नेहा उदय भान गुप्ता
अंग्रेज़ भी हो गए थे फुर्र, जिसके आने पर अाई थी ऐसी आंधी। जिस पर उदय दुलारी नेह निबंध लिखेगी, वो है महात्मा गांधी।। बाक़ी कैप्शन में पढ़े 👇👇 प्रस्तावना - हमारे देश की धरा स्वर्ग से कम नहीं है, हमारे देश में ऐसे कई महान पुरुष और स्त्रियों ने जन्म लिया है, जिसने एक नई गाथा लिखा है..