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Ravendra
Vikas Sahni
Blue Moon ___काव्यात्मक उपचार___ ____शायराना_दवा____ तनाव कम हो सकता है यदि हो नीयत खराब, घाव कम हो सकता है यदि हो निकट शराब मगर मैं शराब नहीं पीता इसलिए रखता हूँ एक गुलाब मेरा मतलब इक विशिष्ट डायरी बनाने को बार-बार एक शायरी कविता के रूप में। ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #काव्यात्मक_उपचार #शायराना_दवा तनाव कम हो सकता है यदि हो नीयत खराब, घाव कम हो सकता है यदि हो निकट शराब मगर मैं शराब नहीं पीता इसलिए रखता हूँ
N S Yadav GoldMine
जो नरश्रेष्ठ अपने शस्त्र के वेग से देवताओं को भी नष्ट कर सकते थे वे ही ये युद्ध में मार डाले गये हैं पढ़िए महाभारत !! 📒📒 महाभारत: स्त्री पर्व पन्चर्विंष अध्याय: श्लोक 32-50 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📜 जो नरश्रेष्ठ अपने शस्त्र के वेग से देवताओं को भी नष्ट कर सकते थे, वे ही ये युद्ध में मार डाले गये हैं; यह काल का उलट-फेर तो देखो। माधव। निश्चय ही दैव के लिये कोई भी कार्य अधिक कठिन नहीं है; क्योंकि उसने क्षत्रियों द्वारा ही इन शूरवीर क्षत्रिय षिरोमणियों का संहार कर डाला है। 📜 श्रीकृष्ण मेरे वेगशाली पुत्र तो उसी दिन मारे डाले गये, जबकि तुम अपूर्ण मनोरथ होकर पुनः उपप्लव्य को लौट गये थे। मुझे तो शान्तनुनन्दन भीष्म तथा ज्ञानी विदुर ने उसी दिन कह दिया था, कि अब तुम अपने पुत्रों पर स्नेह न करो। है जनार्दन। उन दोनों की यह दृष्टि मिथ्या नहीं हो सकती थी, अतः थोड़े ही समय में मेरे सारे पुत्र युद्ध की आग में जल कर भस्म हो गये। 📜 वैशम्पयानजी कहते हैं- भारत। ऐसा कहकर शोक से मूर्छित हुई गान्धारी धैर्य छोड़कर पृथ्वी पर गिर पड़ीं, दु:ख से उनकी विवेकषक्ति नष्ठ हो गयी। तदन्तर उनके सारे अंगों में क्रोध व्याप्त हो गया। पुत्र शोक में डूब जाने के कारण उनकी सारी इन्द्रियां व्याकुल हो उठीं। 📜 उस समय गान्धारी ने सारा दोष श्रीकृष्ण के ही माथे मढ दिया। गान्धारी ने कहा- श्रीकृष्ण। है जनार्दन। पाण्डव और धृतराष्ट्र के पुत्र आपस में लड़कर भस्म हो गये। तुमने इन्हें नष्ट होते देखकर भी इनकी उपेक्षा कैसे कर दी? महाबाहु मधुसूदन। तुम शक्तिशाली थे। तुम्हारे पास बहुत से सेवक और सैनिक थे। 📜 तुम महान् बल में प्रतिष्ठित थे। दोनों पक्षों से अपनी बात मनवा लेने की सामथ्र्य तुम में मौजूद थी। तुमने वेद-षास्त्रों और महात्माओं की बातें सुनी और जानी थीं। यह सब होते हुए भी तुमने स्वेच्छा से कुरू कुल के नाश की उपेक्षा की- जान-बूझकर इस वंष का विनाश होने दिया। 📜 यह तुम्हारा महान् दोष है, अतः तुम इसका फल प्राप्त करो। चक्र और गदा धारण करने वाले है केशव। मैंने पति की सेवा से कुछ भी तप प्राप्त किया है, उस दुर्लभ तपोबल से तुम्हें शाप दे रही हूं। गोविन्द। 📜 तुमने आपस में मार-काट मचाते हुए कुटुम्बी कौरवों ओर पाण्डवों की उपेक्षा की है; इसलिये तुम अपने भाई-बन्धुओं का भी विनाश कर डालोगे। हैं मधुसूदन। आज से छत्तीसवां वर्ष उपस्थित होने पर तुम्हारे कुटुम्बी, मन्त्री और पुत्र सभी आपस में लड़कर मर जायेंगे। 📜 तुम सबसे अपरिचित और लोगों की आंखों से ओझल होकर अनाथ के समान वन में विचरोगे, और किसी निन्दित उपाय से मृत्यु को प्राप्त होओगे। इन भरतवंषी स्त्रियों के समान तुम्हारे कुल की स्त्रियां भी पुत्रों तथा भाई-बन्धुओं के मारे जाने पर इसी प्रकार सगे-सम्बन्धियों की लाशों पर गिरेगी। 📜 वैशम्पयानजी कहते हैं- राजन। वह घोर वचन सुनकर माहमनस्वी वसुदेव नन्दन श्रीकृष्ण ने कुछ मुस्कराते हुए से गान्धारी से कहा- क्षत्राणी। मैं जानता हूं, यह ऐसा ही होने वाला है। तुम तो किये हुए को ही कह रही हो। इसमें संदेह नहीं कि वृष्णिवंष के यादव देव से ही नष्ट होंगे। 📜 शुभे। वृष्णिकुल का संहार करने वाला मेरे सिवा दूसरा कोई नहीं है। यादव दूसरे मनुष्यों तथा देवताओं और दानवों के लिये भी अवध्य हैं; अतः अपस में ही लड़कर नष्ट होंगे। श्रीकृष्ण के ऐसा कहने पर पाण्डव मन-ही-मन भयभीत हो उठे। उन्हें बड़ा उद्वेग हुआ। ये सब-के-सब अपने जीवन से निराष हो गये। एन एस यादव।। ©N S Yadav GoldMine #traintrack जो नरश्रेष्ठ अपने शस्त्र के वेग से देवताओं को भी नष्ट कर सकते थे वे ही ये युद्ध में मार डाले गये हैं पढ़िए महाभारत !! 📒📒 महाभार
Vikas Sahni
#एक_कविता_ही_है_जो केवल कविता ही है, जो मुझे ज़िंदा रखना चाहती है। केवल कविता ही है, जो ऐसा परिंदा रखना चाहती है। क्योंकि हार की राह में जब भटकता हूं तब भी मैं कुछ लोगों को खटकता हूं क्योंकि कविता फिर भी जिता देती है, क्योंकि कविता फिर भी बिता देती है दुखभरी प्रत्येक काली रात और होता है त्वरित प्रभात। ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #एक_कविता_ही_है_जो केवल कविता ही है, जो मुझे ज़िंदा रखना चाहती है। केवल कविता ही है, जो ऐसा परिंदा रखना चाहती है। क्योंकि हार की राह में ज
Vikas Sahni
#मुख_मारने_का_काम शाम को सुबह व सुबह को शाम कहते हो, महफ़िल में मुख मारने को काम कहते हो। वह तो अयोग्य और अशिक्षित आदमी की मूर्खता से मिला है, जिसे इनाम कहते हो। असल में मेहनत तो वही कर रहा है जिसे तुम बार-बार निकम्मा व नाकाम कहते हो। इसके बाद मेरी कविता कहती है निरर्थक है जो शाम को दीपक जला राम कहते हो।। ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #मुख_मारने_का_काम शाम को सुबह व सुबह को शाम कहते हो, महफ़िल में मुख मारने को काम कहते हो। वह तो अयोग्य और अशिक्षित आदमी की मूर्खता से मिल
Vikas Sahni
#नजफगढ़_का_अनपढ़ मैं तो हूं आज भी अनपढ़, जो जा-जा कर नजफगढ़ मांगा करता हूं मन्नत कि मिल जाए जन्नत मगर म्हारे मन की मुराद बनकर रह जाती है याद तो कविता आ जाती है करने को दर्द से आज़ाद जब सर्दी का सफ़ेद सूरज सुस्त लगने लगता है जब जिगर हो दूर देर तम तक जगने लगता है जब कठिन कार्य या कठोर परिश्रम के बदले मिलता महज़ तम का ग़म। ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #नजफगढ़_का_अनपढ़ मैं तो हूं आज भी अनपढ़, जो जा-जा कर नजफगढ़ मांगा करता हूं मन्नत कि मिल जाए जन्नत मगर म्हारे मन की मुराद बनकर रह जाती है याद
Vikas Sahni
#दिल_का_दर्ज़ी जीत जाता है बार-बार वो फ़र्ज़ी, बार-बार हार जाती है मेरी मर्ज़ी। और कविता के कोरे कागज़ पे दर्द दर्ज़ करता है दिल का दर्ज़ी।। ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #दिल_का_दर्ज़ी जीत जाता है बार-बार वो फ़र्ज़ी, बार-बार हार जाती है मेरी मर्ज़ी। और कविता के कोरे कागज़ पे दर्द दर्ज़ करता है दिल का दर्ज़ी।।
Vikas Sahni
Makar Sankranti Messages लगता है फिर भी नहीं चैन आयेगा यद्यपि यहीं कहीं इसी महीने में मनाया जायेगा पुनः त्योहार-ए-दीपावली। गुड़, मुरमुरे, दही, मूँगफली, तिल तथा चिपटे चावल खाने के बावजूद मन है विकल क्योंकि इक गीत बनाने को, संगीत सजाने को जिसका इंतज़ार है, वही नहीं है, क्योंकि किसी की रचना को रिकॉर्ड करते-करते मुख दुख गया फिर भी गायन गज़ब न हो सका, काव्य रब न हो सका क्योंकि काव्य रब होता तो, क्योंकि काव्य सब होता हो मैं अब तक न रुका होता मैं वो हो चुका होता, जो होना है मुझे हमेशा के लिए। ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #तिल_का_त्योहार_तथा_तुम लगता है फिर भी नहीं चैन आयेगा यद्यपि यहीं कहीं इसी महीने में मनाया जायेगा पुनः त्योहार-ए-दीपावली। गुड़, मुरमुरे, दह
Ravendra
Vikas Sahni
आज फिर से खुदा ने मेरी एक और चाहत को मरवा दिया; मैंने बेहतर गाना चाहा, खुदा ने फिर से कविता करवा दिया।। इस प्रकार पूजनीय पत्थर ने दिये दर्द को कविता से भरवा दिया।। ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #खुदा_से_आपत्ति आज फिर से खुदा ने मेरी एक और चाहत को मरवा दिया; मैंने बेहतर गाना चाहा, खुदा ने फिर से कविता करवा दिया।। इस प्रकार पूजनीय पत्