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Parasram Arora
अर्से से सिक्का मेरा चलता रहा यध्यपि ये बुरी तरह से घिस चुका है और इसकी चमक भी अब पहले जैसी नहीं रही फिर भी न इसकी फेसवैल्यू कम हुई न ये खोटा होकर चलन से बाहर हुआ धन्यवाद देता हूँ मै उन हथेलियों को जिन्होंने उस सिक्के को चलाये रखा और स्वीकार्य होता रहा अबतक #सिक्का...... और उसका चलन
#सिक्का...... और उसका चलन
read moreLokesh kumar
मेरी आँखों में उसका इन्तेज़ार अभी खत्म नहीं हुआ, मेरे दिल में उसके लिए प्यार अभी खत्म नहीं हुआ। जानता हूँ रास्ते में अभी काटें बहुत हैं, मगर मन में विश्वास अभी खत्म नहीं हुआ। पहले सा कुछ नहीं है अब हमारे दरमियान, क्योंकि गलतफहमी का ज़हर अभी खत्म नहीं हुआ। तुम्हारे लहजे में ही जवाब,मैं भी दे सकता हूँ, पर मेरे अंदर संस्कार अभी खत्म नहीं हुआ। -लोकेश वो और उसका प्यार
वो और उसका प्यार
read moreKiran B
Poem for your love in 7 Words अनकहे जज़्बात को समझने की तलाश है खामोशी को पढ़ लेने की कला जिसके पास है जिसके चाहत में हर लम्हें मौन और उदास है दिल मे हर घड़ी जिसे पा लेने की आस है बयां न कर सके वो अनोखा अहसास है सच कहूं तो ये कोई और नही 'प्यार 'है प्यार और उसका अहसास
प्यार और उसका अहसास
read moreYogi Rudra Pratap
पिघलती रही चाँदनी रात भर ,कुछ शबनम सी गिरती रही मैं खामोशी सेे उसे पढ़ता रहा वो धड़कनों से सुनती रही...... अनगिनत मिलन के ख्वाब जो इस दिल ने देखे कभी ये रात जैसे चुनकर उन्हे समेट लाई हो अभी बना कर मैं दुआ उसे आयतों में लिखता रहा सिमट कर मेरी बाहों में वो खुद मुकम्मल होती रही पिघलती रही चाँदनी रात भर ,कुछ शबनम सी गिरती रही हाथों में थामें हुए हाथ हम खयालों में दूर निकल गए कि ये दो पल मुलाकात के जैसे सदियों से हो गए आहिस्ता से छूकर उसे मैं परवाने सा मचलता रहा सिमट कर मेरी रूह में वो एक शमां सी जलती रही पिघलती रही चाँदनी रात भर,कुछ शबनम सी गिरती रही रात और उसका साथ
रात और उसका साथ
read moreWriter Surya
आँचल मै इतना बड़ा कलमकार नही की माँ की ममता और उसके आँचल पर कुछ लिख सकूँ क्यूँ की माँ शब्द के आगे पुरा ब्रह्मांड छोटा है और उसकी आँचल की ठंडी छाँव तले सभी का गुजर बसर हो यही प्रार्थना कर्ता हूँ । -Writer Surya माँ और उसका आँचल
माँ और उसका आँचल
read moreabhisri095
इश्क़ का मारा, तेरी गलियों में आ बैठा तेरा हुस्न शबाब था, तुझसे दिल लगा बैठा।। #NojotoQuote वो और उसका #हुस्न ...
वो और उसका #हुस्न ...
read moreAdarsh k Tanmay
वो रूहानी शाम थी जो ढल गई कुछ बात थी जो टल गई रंग था जो बेरंग हुआ नूर था जो बेनूर हुआ कुछ भूल गए कुछ याद रहा जो याद रहा वो साथ रहा जो साथ है वो कांच सा चुभ रहा तार तार सा एक फूल के कई भ्रमर मिले उसे नये सफ़र सफ़र भी अनजान सा ना जान सा ना पहचान सा ना रास्ते ना मंजिल उठे क़दम बहक गए बदल गए बदल गए बिखर गए बिखर गए मुकर गए गुज़र गये एक चुभन दिल में वो देके आशियाँ नया बना लिए मैं सुस्क फूल अब किस डगर की ना इस डगर की ना उस डगर की ना यौवना का रंग रूप बचा नहीं कुछ भी अनूप मैं सुस्क फूल अब किस बागां की ना इस जगा की ना उस जगा की किस ओर चलु किस ओर बसूं खिल कर बिखर मिट्टी में मिलूं बिखर गए मेरे रूप रंग नहीं आया कोई मेरे संग ये जिंदगी है एक जंग एक तन जो है उसे वार दूँ मिट्टी को मैं संवार दूँ है कृतज्ञ मुझपर उसका भी उसी में मिल उसे मैं सवांर दूँ एक अंश जो बचा मेरा उस अंश को मैं तार दूँ मुझे निखारा मिट्टी ने मैं मिट्टी को निखार दूँ मैं मिट्टी को सवांर दूँ। ©Adarsh kumar Tanmay पुष्प और उसका जीवन
पुष्प और उसका जीवन
read moreParasram Arora
ये मनुष्य और उसका अस्तित्व फिर उस अस्तित्व का विस्तार कदाचित आत्मीयता पाने. की एक लम्बी यात्रा हैँ यही वो तत्व हैँ जो जीवनपर्यन्त उसे बांधे . रखता हैँ शायद उस आदिम पशु की तरह वोभी संवेदना की हरी हरी घास चर कर अपनी देह और मन को पुष्ट करता रहता हैँ मनुष्य और उसका अस्तित्व
मनुष्य और उसका अस्तित्व
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