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Vickram
तेरा काजल चुरा के अपना नाम लिख लूं, तेरे होंठों की लाली प्यार में शामिल कर लूं तेरे हाथों की मेंहदी को दे दुं में रंग खुद का तेरे कंगन के संगीत को अपनी पसंद बना लूं तेरे माथे की बिंदी को बनाकर तकदीर अपनी चलो तुम्हें अपने सपनों की माला में पिरो लूं ©Vickram जीवन संगिनी,,,,
Manish Raaj
संगिनी ______ मुझसी तो कभी मुझसे, बेहतर सी लगी है मेरी नज़रों की तलाश उन पर ही, जा रुकी है वह परिन्दा जो, पिंजरे से आज़ाद रहना चाहे भीड़ में वह शक़्स मुझे ज़िंदा-दिल, बेख़ौफ़ सी लगी है न जाने क्यों भीड़ अक़्सर, शम्शान सी लगी है महफ़िल में एक वह ही मुझे, ख़ास मेहमाँ सी लगी है दुआ में मेरे निशब्द ज़ुबाँ पर, अल्फ़ाज़ सी लगी है मेरी सोहबत में वह ता-उम्र, महफूज़ सी लगी है मनीष राज ©Manish Raaj #संगिनी
Vikas sharma
।। संगिनी ।। अनगिनत तारें हैं जो उस आकाश में मन जो करे तोड़कर ,अपनी झोली में भर भी लूँ जाने किस डर से कभी पूछ ना सके सवाल जो है मन मे,सोचा आज कह भी लूँ शामें गुज़रती हैं अक्सर तन्हाई में आओ जो,खाली प्यालों में चाय भर भी लूँ माना दामन में कांटें बहुत हैं, फिर भी बची जगह,आगे फूलोँ के लिये रख भी लूँ क़ैद रहा बीते वक़्त में अब तक डगर इस राह की अब बदल भी लूँ बढ़ चले दोनो ,अपना अपना हिस्सा लिये उनकी ख़ुशी के ख़ातिर, बटवारा कर भी लूँ उलझने ,हौसलों से नापी जाती हैं हर बार संग तू जो हो तो,समुन्दर तैरकर पार कर भी लूँ @विकास ©Vikas sharma #lonelynight संगिनी