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Ankur tiwari
फल फूल सगरो दउरा में धराई गइल बा ठेकुआ,खस्ता,पूड़ी सगरो छना गइल बा लेके हाथे में सुपोली बबुनी बोले मीठी बोली ठेहूना भर पानी बीच भौजी जाके खड़ा होली देली अरघा सुरुजमल के गावत बाली गीतिया राखअ सबका के सुखी ये हमार छठीय मइया ✍️ अंकुर तिवारी ©Ankur tiwari #chhat फल फूल सगरो दउरा में धराई गइल बा ठेकुआ,खस्ता,पूड़ी सगरो छना गइल बा लेके हाथे में सुपोली बबुनी बोले मीठी बोली ठेहूना भर पानी बीच भौजी
Anwar Hussain Anu Bhagalpuri
कोरोना ..! एमनी कोथा कोरो..ना.. भययुक्त करो... ना...! जै होबै तो होबै.. तुमी कुछु कहो..ना...! एमनी कोथा करो..ना... तुमी मजा़ लेओ ना.. जिंदगी मौत खुदा रे हाथे, भाई..! तुमी डरो ना ..! सबैए रोग भागे जाबे जबैए आपनी लड़बे ना .. साफ-सफाई रखो न , भागे जाबे करो..ना..!! अनवर हुसैन अणु भागलपुरी #National_Safety_Day कोरोना ..! एमनी कोथा कोरो..ना.. भययुक्त करो... ना...! जै होबै तो होबै.. तुमी कुछु कहो..ना...!
Anonymous Avery
कुछ होते है ऐसे पर सबको ना समझो एक जैसे करते जो सच्ची मुहब्बत तुमसे बिना छुए जिस्म रूह में उतर जाते जाना कहाँ किसी ने मुहब्बत के पैमाने को समझ बैठते इश्क़ जिस्मानी आकर्षण के जालों को होती जो वो धड़कन तेरी छुए को उसके हाथे ना उठती तेरी पूजते उसको खुदा मानकर इबादत में उसके खुद को हार कर। कुछ होते है ऐसे पर सबको ना समझो एक जैसे करते जो सच्ची मुहब्बत तुमसे बिना छुए जिस्म रूह में उतर जाते जाना कहाँ किसी ने मुहब्बत के पैमाने
alex akash
जिंदगी गुज़र जाएगी, ये यादें बहुत याद आएगी, वो टपरी की चाय, वो नुकर की दुकान, वो सिनेमा की इशरत, वो ख्वाबों की चाहत, सब धुंधलें हो जायेगे, इन आंखो पर दृश्य तब भी यही आएंगे, हाथे कांपती होगी, बदन भी कमज़ोर होगा, इस बार जब हम दोस्त मिलेंगे, तो हर कोई, कोई और होगा, पर बातों अब भी वही बचकानी होगी, हम बिसरे यादों पर हंसेंगे, दुःख बस इक जवानी का होगा, पर गुजरे जो हैं साथ तुम्हारे, वो पल भी कितना ख़ास होगा, ऐ दोस्त तू हमेशा मेरे पास होगा। जिंदगी गुज़र जाएगी, ये यादें बहुत याद आएगी, वो टपरी की चाय, वो नुकर की दुकान, वो सिनेमा की इशरत, वो ख्वाबों की चाहत, सब धुंधलें हो जायेगे,
S. Bhaskar
आव ना हमरे दूवरियां ममता के बढ़ाव अचरिया, ऐ मईया आव ना हमरे दूवरियां। ले के खाड़ बानी शेर के सवारिया, ऐ मईया आव ना हमरे दूवरियां। आव ना दुवरिय मईया आव ना दुवरिय, देख भकतन से भरल बा नगरिया, ऐ मईया आव ना हमरे दूवरियां। नौ रूप के नया रंग चढ़ल बा, माई मुरतिया में ममता भरल बा, चढ़ल जीवन में अन्हार बढ़ल बा, तनी राह में कर अंजोरिया, ऐ मईया आव ना हमरे दूवरियां। दुर्गा हऊ काली हऊ हऊ माता रानी, तहरे के पूजे सब लोगवा ई मानी, पाप में डूबल माई रोगी हम बानी, तनी हर ल ना हमरो बीमारियां, ऐ मईया आव ना हमरे दूवरियां। अबकी बरस देवी भोज कराईब, नौ देवी के अपना घरे ले आईब, नव रूप के अपना हाथे सजाईब, आव ना सुनके पुकरिया, ऐ मईया आव ना हमरे दूवरियां। आव ना हमरे दूवरियां ममता के बढ़ाव अचरिया, ऐ मईया आव ना हमरे दूवरियां। ले के खाड़ बानी शेर के सवारिया, ऐ मईया आव ना हमरे दूवरियां। आव ना दुव
Deep Kush
“मुझे पसंद था” 👇👇👇 Full poetry in caption मुझे पसंद था, क्लास में उस पिछे वाली सीट पर बैठ कर तुझे देखना, वो तेरा पिछे मुड़कर मुझे मुस्कुराते हुए देखना..., मुझे पसंद था, क्लास के ब
Mohammad Arif (WordsOfArif)
वो प्यार करना चाहती मगर जाने से क्यूं वो डरती है मैं लाख उसे मनाता हूं मगर जाने से क्यूं वो डरती है कई अन्य सुनें पहलू है मेरे और उसके दरम्यान की बात बहुत करती है बाहर जाने से क्यूं वो डरती है कुछ डर मुझे भी लगता है उसे भी कुछ डर है शायद वो तसल्ली तो देती है अन्दर जाने से क्यूं वो डरती है कई बार साथ में हाथों में हाथे डालकर हम घुमे है जब भी मैं बुलाता हूं ऊपर जाने से क्यूं वो डरती है उसे अपना बनाने के चक्कर में अपनों को छोड़ दिया मैं उसे अपना कहता रहा फिर जाने से क्यूं वो डरती है इश्क रोग ऐसा है उसके जाने के बाद पता चला मुझे आरिफ भूल भी जाओ तेरे घर जाने से क्यूं वो डरती है वो प्यार करना चाहती मगर जाने से क्यूं वो डरती है मैं लाख उसे मनाता हूं मगर जाने से क्यूं वो डरती है कई अन्य सुनें पहलू है मेरे और उसके दरम्