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Parasram Arora
कहते तो हैँ ये युग राकेट युग है पर रफ्तार वही पौराणिक है तभी तो इस युग मे भी आदमी क़े हाथ मे पत्थर है # रॉकेट युग vs पौराणिक युग
man ki awaj
युग मानव नही बनाता पर लेकिन मानव युग बनाने की छमता रखता है। ©man ki awaj युग
GITESH NANDURKAR
"ये युग बड़ाही विचित्र है इतना विचित्र की किसी को अच्छा बताने जाओ तो लोग आपको ही उतार देते है इसलिए पूछने पे ही बताना चाहिए " ©GITESH NANDURKAR #युग
Sneh Prem Chand
शौक नहीं,संताप नहीं, हम बड़े प्रेम से गुनगुनाएंगे। युग आएंगे,युग जाएंगे मां तुझ जो भुला नहीं पाएंगे।। ©Sneh Prem Chand युग
✍️युग
सुना है..एक शख्स है, तेरे शहर में जो टूटे दिलो को जोड़ता है था एक शख्स मेरे शहर में भी जो बेदर्दी से दिलो को तोड़ता है #युग
Bhupendra Singh Solanki
आज - कल आपके हाल चाल आपसे नहीं पूछे जाते, आपके सोशल मीडिया पर लगे स्टेटस से जाने जाते है। ©Bhupendra Singh Solanki युग
Amit Singhal "Aseemit"
माना कि हमारा दुख भरा अतीत रहा, मगर अब संतोष है, कि वह युग बीत रहा। भूल जाओ उस युग के सारे दुखी पल, स्वागत करो जो आने वाला है सुखी कल। ©Amit Singhal "Aseemit" #युग
Biikrmjet Sing
सतयुग सत त्रेता यगी द्वापर पूजाचार।। तीनो जुग तीनों दिड़े कल केवल नाम आधार।। 2. भगत जुगत मत सर करी भृम बंदन काट बिकार।। 3. उनमन मन मन ही मिले छुटकत बजर कपाट।। अर्थ:- सतयुग में सत्य त्रेता में यज्ञ व द्वापर में पूजा अर्चना का समय था।। तीनो युग के यह क्रम दृड़ थे और कलयुग में केवल निराकार प्रकाश को नेत्रों से निहारना यानी नाम धयाना ही मन का आधार है।। 2. भगती क्या है? वह है जुगती यानी एकदृष्ट करके मन की मत चोड़ कर गुर यानी निराकार की मत लेना जिससे सारी जगत की मत मन जीत लेता है और खुद को शरीर समझने का भान छोड़ खुद को प्रकाश स्वरूप मन समझता है और उस मन के बंधन ओर विकार काटे जाते हैं।। 3. उनमन यानी उस निराकार में चौथे पद में मन समा जाता है और उसकी दृष्टि के आगे पड़ा भृम का पर्दा यानी वज्र कपाट खुल जाता है निराकार यानी गुर के ज्ञान द्वारा।। ©Biikrmjet Sing #युग