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Himanshu Prajapati

#lovetaj चलो देखता हूं एक नया मंजर, मोहब्बतें धसा हुआ निकालकर खंजर..! #लव

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चलो देखता हूं एक नया मंजर,
मोहब्बतें धसा हुआ निकालकर 
खंजर..!

©Himanshu Prajapati #lovetaj चलो देखता हूं एक नया मंजर,
मोहब्बतें धसा हुआ निकालकर 
खंजर..!

Santosh Jangam

Love कविता "प्रेम का ब्याज" यह कविता प्यार और संबंधों में विश्वास, सम्मान, सहानुभूति, और संतोष को स्थायी रूप से बनाए रखना महत्वपूर्ण है। यह #मराठीकविता

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MohiTRocK F44

तेरा चेहरा भी मेरी आंखों से निकल जाए तो अच्छा है बोझ भी तेरी यादों का उतर जाए तो अच्छा है जो भी मुझे देखता है बस यही कहता है इतना दर्द सहता #brockenheart #hunarbaaz #MohitRockF44

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DHIRAJ PRIT

#eidmubarak सच को सच ना कहूं तो क्या कहूं, तेरे शहर को गैर शहर ना कहूं तो क्या कहूं। तुझे जब भी देखता हूं जन्नत की याद आती है अब जन्नत को जन #शायरी

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#eidmubarak Gazal:- माँगता हूँ मैं दुआएँ ईद में । दूर हो जाएँ बलाएँ ईद में ।। प्यार के जिसको तरसता मैं रहा । क्या हमें वो हैं बुलाएँ ईद मे #शायरी

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Black Gazal:-
माँगता हूँ मैं दुआएँ ईद में ।
दूर हो जाएँ बलाएँ ईद में ।।
प्यार के जिसको तरसता मैं रहा ।
क्या हमें वो हैं बुलाएँ ईद में ।।
रात दिन अब देखता हूँ रास्ता ।
प्यार भी अपना जताएँ ईद में ।।
मिल गया दिल को सकूँ मेरे यहाँ ।
देख जब वो मुस्कराएँ ईद में ।।
सिर झुकाकर देख लूँ इस बार मैं ।
माफ़ शायद हों खताएँ ईद में ।।
अब नही लब पर गिला मेरे सुनो ।
लौट आई हैं फ़िजाएँ ईद में ।।
एक उनके दीद की खातिर प्रखर ।
मैं खड़ा हूँ सिर झुकाएँ ईद में ।।
११/०४/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #eidmubarak 

Gazal:-
माँगता हूँ मैं दुआएँ ईद में ।
दूर हो जाएँ बलाएँ ईद में ।।
प्यार के जिसको तरसता मैं रहा ।
क्या हमें वो हैं बुलाएँ ईद मे

Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी

#bicycleride जब भी उसकी आंखे नम देखता हूँ, खुदा की बेइंतबा सितम देखता हूँ। #कलमसत्यकी #शायरी

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल:- ज़िन्दगी की मुश्किलें वे ज़िन्दगी में रह गई  । मौत आकर देख लो सबसे यही तो कह गई ।। प्रेम करना है अगर तो राम का बस नाम लो । इस जहाँ की प #शायरी

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ग़ज़ल:-
ज़िन्दगी की मुश्किलें वे ज़िन्दगी में रह गई  ।
मौत आकर देख लो सबसे यही तो कह गई ।।

प्रेम करना है अगर तो राम का बस नाम लो ।
इस जहाँ की प्रीति तो अब आसुओं में बह गई ।।

कल तलक जो थी मदद अब तो वही व्यापार है ।
स्वार्थ के इस दौर में वो भी दीवारें ढह गई ।।

देखता हूँ मैं यहाँ बूढ़े कभी माँ बाप जो ।
मान लेता देवियाँ औलाद का दुख सह गई ।।

दिख रहे थे सब मुझे दुर्बल इसी संसार में ।
एक ये दुर्लभ प्रखर था  देख लो वो पह गई ।।
३०/०३/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल:-
ज़िन्दगी की मुश्किलें वे ज़िन्दगी में रह गई  ।
मौत आकर देख लो सबसे यही तो कह गई ।।

प्रेम करना है अगर तो राम का बस नाम लो ।
इस जहाँ की प

Arun Mahra

जो साथ देता है वो पीछे मुड़ के नहीं देखता है जो पीछे मुड़ के देखता है वो जिंदगी में कभी साथ नहीं देता है #Life

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Poet Kuldeep Singh Ruhela

बड़ी मुद्दत के बाद देखा था उसको बड़ी गौर से मालूम न था वो भी मेरे इंतजार मे थी घड़ी दो घड़ी देखता उस कमबख्त को में मेरी गाड़ी ही छूट गई उ #hunarbaaz

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Sethi Ji

💞💞 आईने का वार 💞💞 💞💞 आईने का यार 💞💞 आईना इंसान का सच्चा दोस्त कहलाता हैं वोह मेरे रोने पर रोता मेरे हॅसने पर मुस्कराता हैं ।। जब भी गौर

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