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Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
ये जनता जनार्दन है, जो सब कुछ जानती है, क्या अच्छा क्या बुरा, सब कुछ पहचानती है। बहुत ज्ञानी, बहुत चालाक, बहुत होशियार है, इनसे ही प्रशासन है, इनसे चलती सरकार है। ये चाहे तो आसमान भी सर पर उठा सकती है, ये चाहे तो पल में, तख्तोताज़ बदल सकती है। गर साम्राज्य चलाना है, इन्हें खुश रखनी होगी, हर हाल में सुख सुविधा भी प्रदान करनी होगी। नज़र अंदाज़ करके, सरकार चला नहीं पाओगे, पलक झपकते ही अपना साम्राज्य भी गंवाओगे। जन जनता जनार्दन ही होते, किसी देश की असल जान। इनकी आत्मनिर्भरता से है बनती, विश्व पटल पे पहचान।। 👉आइए आज लिखते हैं कुछ, खुद को आत्मनिर्भर ब
Ramvinay Prajapati
लाल रंग का पानी कहानी : रामविनय प्रजापति एक मच्छर था . नाम था उसका लुई . एक दिन लुई उड़ते हुए एक बगीचे में पहुंचा . बगीचे में एक आदमी बैठा ऊंघ रहा था . लुई उस आदमी के कान के करीब जाकर भनभनाते हुए बोला , " भाई साहब मुझे भूख लगी है जरा सा अपना खून चूसने देंगे . " वह आदमी कान के पास भनभनाते लुई मच्छर को हाथ से उड़ाने लगा .लेकिन लुई भी कहां मानने वाला था वह उस आदमी के पैर पर बैठ गया . यह देख उस आदमी ने जोर से चपत लगाई लेकिन लुई बड़ी चपलता से बच निकला . " क्यों मुझ जैसे दुबले पतले आदमी के पीछे पड़ा है , जा बगीचे के बगल में एक ब्लड बैंक है वहां जाकर जितना चाहे उतना खून पी ले , जा भाग . " वह आदमी बडबडाया " ब्लड बैंक यह क्या होता है ? " लुई ने एक पल रुककर सोचा , " चलो चलकर देख लेते हैं . " लुई ब्लड बैंक में गया . अंदर घुसते ही वह ठंड से कांपने लगा . " अरे बाप रे यहां तो बड़ी ठंड है . " उसके मुंह से निकला . अंदर का नजारा देखकर लुई की आंखें फटी रह गईं . अंदर खून से भरी बोतलें सजा कर रखी गईं थीं . " अरे वाह यह तो खून की फैक्ट्री है , यहां खून बनता है . अगर खून बनाने का तरीका मुझे आ जाए तो इंसानो के पास जाकर उनका खून चूसने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी , इंसान भी कितने जालिम होते हैं थोड़े से खून के लिए जान तक ले लेते हैं . " लुई मच्छर बैठा सोच रहा था तभी एक कर्मचारी की नजर उसपर पड़ गई . वह उसे देखते ही चिल्लाया , " अरे यह मच्छर अंदर कहां से आ गया , जल्दी से मच्छर भगाने वाला स्प्रे लाओ . " इतना सुनते ही लुई सर पर पैर रखकर बाहर भागा . ब्लड बैंक के बाहर एक शरबत की दूकान थी . लुई आकर शरबत की दुकान पर बैठ गया और शरबत वाले को देखने लगा . शरबत वाले ने पानी की एक बोतल में कोई पुड़िया खोलकर डाली और बोतल हिलाने लगा . थोड़ी ही देर में बोतल का पूरा पानी लाल हो गया . " अच्छा तो खून ऐसे बनता है और यहीं से ब्लड बैंक के अंदर जाता है . " लुई हैरानी से बोला , " सारा कमाल उस पुड़िया में है , मुझे वह पुड़िया हासिल करनी होगी . लेकिन इतनी बड़ी पुड़िया मुझ अकेले से उठेगी नहीं , हां चलकर अपने दोस्तों को बुला लाता हूं . " लुई ने जाकर जब अपने दोस्तों को खून बनाने के तरीके के बारे में बताया तो वे सब बहुत खुश हुए , और फौरन उसकी मदद को उड़ चले . लुई के एक दोस्त ने शरबत वाले का ध्यान भटकाने के लिए जोर से उसके पैर में काटा . शरबत वाला जब अपना पैर खुजलाने लगा तब लुई और उसके दोस्त एक पुड़िया लेकर उड़ गए . लुई ने लाई हुई पुड़िया को एक छोटे से पानी के गड्ढे में मिलाया , और जब पानी लाल हो गया तब उसने सब से कहा , " अब हमें इंसानो के खून की कोई जरुरत नहीं , आओ चलो पार्टी करते है . " फिर तो सारे के सारे मच्छर गड्ढे पर टूट पड़े . " यार इसका स्वाद कुछ अजीब सा है . " लुई के एक दोस्त ने कहा " इसे पीकर तो मेरी भूख भी नहीं मिटी . " दूसरे दोस्त ने कहा " मुझे तो उल्टी आ रही है " तीसरे ने कहा " हां दोस्तों, सच में मजा नहीं आया . " लुई बोला तभी उन लोगों ने बुजुर्ग मच्छर चाईं को अपने पास आते देखा " चाईं दादा जरा चखकर बताइए यह किस तरह का खून है ? " लुई ने उससे कहा चाईं दादा ने चखा और मुस्कराते हुए कहा , " अरे यह कोई खून नहीं यह तो लाल रंग का पानी है . " " मतलब हम खून बनाने में असफल रहे , ख़ून के लिए हमें इंसानों पर ही निर्भर रहना पड़ेगा " लुई निराश होकर बोला " ख़ून तो अब तक इंसान भी नहीं बना पाए हैं हम मच्छर क्या ख़ाक बनाएंगे " चाई दादा ने कहा " शाम हो रही है मैं तो चला ." " कहां चले दादा ?" लुई ने पूछा " उन्हीं बस्तियों में जहां गंदगी होती है , घर का पानी खुला रहता है , और जहां जगह जगह गड्डों में पानी जमा रहता है इन्हीं बस्तियों में लापरवाही से घूमते हुए बहुत से इंसान मिल जाएंगे जिनका खून आसानी से चूसा जा सकता है ." चाई बोला ," तो कौन कौन मेरे साथ आ रहा है ?" " हम चलेंगे , हम चलेंगे " सब एक साथ बोल पड़े ©Ramvinay Prajapati लाल रंग का पानी कहानी : रामविनय प्रजापति एक मच्छर था . नाम था उसका लुई . एक दिन लुई उड़ते हुए एक बगीचे में पहुंचा . बगीचे में एक आदमी ब
Nikhil Ranjan
रोज सुबह से देर रात तक , जो तुम मेरे मेसेज का इंतजार करती हो , मान क्यूं नहीं लेती कि तुम भी मुझसे प्यार करती हो । इज़हार के तरीके
Amit chauhan
#OpenPoetry कैसे बयाँ करूँ, तरीके जिंदगी के साहेब कोई दूर रह कर भी दिल में उतर जाता है कोई पास रह कर भी दिल से उतर जाता है तरीके जिंदगी के
Rajendra
बदल दिए हमने अब नाराज होने के तरीके रूठने के बजाय बस हल्के से मुस्कुरा देते है । #जीने-के तरीके
Adarsh Sinha
दरवाजे सब ने बंद कर लिए अंदर आने के बड़े तौर तरीके आज देख लिए हमने जमाने के तौर तरीके जमीने के।