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Pradyumn awsthi
नकल मत किया करो मेरे प्यारे तुम, किसी की भी क्योंकि नकल करना केवल बंदरों को ही शोभा देता है, इंसानों को नहीं और बात याद रखना हमेशा, तुम मेरी कभी किसी की परछाई से खुद को अपनी पहचान नहीं मिलती है ©"pradyuman awasthi" #नकल बंदरों की तरह
Dr.Vinay kumar Verma
प्रेरक कहानी: एक ही युक्ति बार-बार काम नहीं आती-टोपी व्यापारी व बंदरों की कहानीPrerak-Kahani #जानकारी
read morePushpvritiya
बदला तो ज्यादा कुछ नहीं था, हाँ.......कुछ सड़कें पक्की हो गई थी, "फूस" की जगह छप्परों पर "खपरैल" आ गए थे..... नाशपाती के बागानों के "बाड़" ऊंचे हो गए थे और महाशय की "आई बी" जीर्ण शीर्ण मिली..... अरे हां और वो काका काकी..जो लकड़ी के चुल्हे पर की दाल पकाकर ला दिया करते थे, समय चक्र ने उन्हें लील लिया था.... एक और बात गौरतलब थी.. .बंदरों की "संतति" आशातीत बढ़ी थी...और व्यवहार "मानवीय" लग रहे थे.... बच्चों का "उत्साह" वैसा ही जैसा "तेरह वर्ष" पहले मेरे भीतर था..... नेतरहाट की "यात्रा".... "महाशय" के साथ.... "बाइक" पर.... "हमारा बजाज" के ऐड पर "अभिनय" करते हुए........ वही जंगलों-पहाड़ों के मध्य से गुज़रते रास्ते.... वही "सुकून" की हवा....वही "शांति" की अनुभूति....वही "सूर्यास्त"...कुछ सिखाता हुआ....वही "सूर्योदय".....कुछ जगाता हुआ.... "नेतरहाट....एक संस्मरण" वर्षों पूर्व लिखने की "सोची" थी...उस सोच को "शब्द" मिले "कच्चे-पक्के" से...... कुछ "भुल" गई.... कुछ "याद" रहा...कुछ "समेट" लाई...कुछ "छूट" गया........ @पुष्पवृतियां . . ©Pushpvritiya बदला तो ज्यादा कुछ नहीं था, हाँ.......कुछ सड़कें पक्की हो गई थी, "फूस" की जगह छप्परों पर "खप
बदला तो ज्यादा कुछ नहीं था, हाँ.......कुछ सड़कें पक्की हो गई थी, "फूस" की जगह छप्परों पर "खप #ज़िन्दगी
read moreAjay Amitabh Suman
हिप हिप हुर्रे पिछले एक घंटे से उसके हाथ मोबाइल पर जमे हुए थे। पबजी गेम में उसकी शिकारी निगाहें दुश्मनों को बड़ी मुश्तैदी से साफ कर रहीं थी।
हिप हिप हुर्रे पिछले एक घंटे से उसके हाथ मोबाइल पर जमे हुए थे। पबजी गेम में उसकी शिकारी निगाहें दुश्मनों को बड़ी मुश्तैदी से साफ कर रहीं थी।
read moreEk villain
देश की राजधानी दिल्ली के लुटियंस जोन में सरकारी मुकदमे बड़े-बड़े कामों को प्राथमिक देकर अक्सर अपेक्षाकृत कम रहता वाले मसलों को दरकिनार ही रखते हैं कईलू 10 जून में बंदरों का उत्पात ऐसा ही छोटे मिजाज विभाग दूर बड़े ही मां के पुराने से निपटने को ऐसे में देने लगे साउथ ब्लॉक में रक्षा मंत्रालय ने बंदरों को आने से रोकने के लिए कर्मचारी को हीरा का जारी रखी है वह बच्चे कुछ खाने पीने की वस्तुओं को इधर उधर ना फर्क इतना ही नहीं खत्म होने के उपरांत दोपहर 3:30 से 4:30 तक रखा है एक फार्मूला इसे साउथ ब्लॉक में बंदरों की आवाजाही और उत्पाद में कमी आई दिलचस्पी है कि यह सब सा सचिव अजय कुमार ने साफ सफाई के इस विशेष ध्यान से बंदरों का उत्पात कम होने की जानकारी ना केवल ट्विटर पर साझा की बल्कि इस समस्या से परेशान दूसरे सरकारी महकमों को इससे निपटने के लिए फार्मूला भी दे दिया ©Ek villain #बंदरों का उत्पात #adventure
#बंदरों का उत्पात #adventure #Society
read moreRakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि