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Devesh Dixit
इश्क और अश्क़ इश्क और अश्क़ का तो, चोली दामन का साथ है। कहती है ये दुनिया सारी, इसमें कामदेव का हाथ है। इश्क है कुछ क्षण का पर, नेत्रों में अश्क़ बहुत गहरे हैं। कितने भी जुल्म सहलो पर, सुनने को यहाँ सब बहरे हैं। ये आकर्षण का ही जलवा है, जिसने इश्क को जन्म दिया। जातिवाद के इस भेदभाव ने, अश्कों को ही तब सार दिया। बुरे भाव को यूँ लेकर बैठे, इश्क का है जो नाम दिया। छत्तीस टुकड़े ही कर डाले, उसे अश्क़ का जाम दिया। समझो इश्क बदनाम हुआ, क्यों अश्कों को भरे हुए हो। लक्ष्य को अपने छोड़ दिया, क्यों जीवन से रुष्ठ हुए हो। इश्क और अश्क़ का तो, चोली दामन का साथ है। खत्म हुआ भरोसा देखो, ऊपर न किसी का हाथ है। .................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #इश्क_और_अश्क़ #nojotohindi #nojotohindipoetry इश्क और अश्क़ इश्क और अश्क़ का तो, चोली दामन का साथ है। कहती है ये दुनिया सारी, इसमें कामदेव
Ravendra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
उसका जलवा कमाल है अब भी । वो नही मेरा मलाल है अब भी ।।१ देख उसको सभी अभी कहते । जान तुझ पर निहाल है अब भी ।।२ वो जो उसने कभी नही पूछा । लब पर वो ही सवाल है अब भी ।।३ सुर्खी जितनी लगा रही लब पर । सुर्ख उतने ही गाल है अब भी ।।४ रूख पे बेशक नकाब हो उसके । हाथ रखता रुमाल है अब भी ।।५ तूने देखा नही अभी उसको । लाखो में बेमिसाल है अब भी ६ मत बुला तू प्रखर सनम अपना । आ गई तो बवाल है अब भी ।।७ ३१/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR उसका जलवा कमाल है अब भी । वो नही मेरा मलाल है अब भी ।।१ देख उसको सभी अभी कहते । जान तुझ पर निहाल है अब भी ।।२
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
उसका जलवा कमाल है अब भी । वो नही मेरा मलाल है अब भी ।।१ देख उसको सभी अभी कहते । जान तुझ पर निहाल है अब भी ।।२ वो जो उसने कभी नही पूछा । लब पर वो ही सवाल है अब भी ।।३ सुर्खी जितनी लगा रही लब पर । सुर्ख उतने ही गाल है अब भी ।।४ रूख पे बेशक नकाब हो उसके । हाथ रखता रुमाल है अब भी ।।५ तूने देखा नही अभी उसको । लाखो में बेमिसाल है अब भी ६ मत बुला तू प्रखर सनम अपना । आ गई तो बवाल है अब भी ।।७ ३१/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR उसका जलवा कमाल है अब भी । वो नही मेरा मलाल है अब भी ।।१ देख उसको सभी अभी कहते । जान तुझ पर निहाल है अब भी ।।२
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- इश्क़ तुमको पुकारे चले आइए । राह तेरी बुहारे चले आइए ।।१ क्या हँसी हैं नजारे चले आइए । हम तुम्हीं को पुकारे चले आइए ।।२ यार छत पर कभी आप आये नज़र । तो करें हम इशारे चले आइए ।।३ पास बैठो कभी तो घड़ी दो घड़ी । जलवा तेरा निहारे चले आइए ।।४ होश बाकी रहा गर तुम्हें देखकर । जुल्फ़ तेरी सँवारे चले आइए ।।५ चाहता हूँ तुम्हें इक झलक देखना । प्राण से आप प्यारे चले आइए ।।६ लूट कर ले गई दिल हसीना वही । जो किया कल इशारे चले आइए ।।७ शाम तंहा यहां यार अपनी लगे । बाँह फिर हम पसारे चले आइए ।।८ दर्द का आज मारा प्रखर है पड़ा । आप ही है सहारे चले आइए ।।९ २९/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- इश्क़ तुमको पुकारे चले आइए । राह तेरी बुहारे चले आइए ।।१
VEER NIRVEL
कभी रोटी के टुकड़े में कभी दाल की कड़ाई में, तुम्हारी ज़ुल्फो का जलवा है बेग़म हर निवाले में... #Chai_Lover ©VEER NIRVEL कभी रोटी के टुकड़े में कभी दाल की कड़ाई में, तुम्हारी ज़ुल्फो का जलवा है बेग़म हर निवाले में... #Chai_Lover
VEER NIRVEL
कभी रोटी के टुकड़े में कभी दाल की कड़ाई में, तुम्हारी ज़ुल्फ़ का जलवा है बेग़म हर निवाले में... #Chai_Lover ©VEER NIRVEL कभी रोटी के टुकड़े में कभी दाल की कड़ाई में, तुम्हारी ज़ुल्फ़ का जलवा है बेग़म हर निवाले में... #Chai_Lover
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी :- देख-देख लुट गये , फिर हम मिट गये , भोली-भाली सजनी के , सुन लो शृंगार में । याद नहीं नूँन तेल , रहा सब कुछ झेल , माँगे क्रीम पाऊडर , वह उपहार में । डाल गले बाँह हार , करे खूब मनुहार , कहे ऐसी प्रीत पिया , मिलें न बाजार में । करें मीठी-मीठी बातें , कहे क्यूँ है छोटी रातें , लगता है काम टेढ़ा , आया है विचार में ।। -१ पूछ मत बात कुछ , याद मुझे सब कुछ , ऐसा उसने जलवा , दिखाया दीदार में । नशा ऐसा चढ़ रहा , पिये बिन झूम रहा , जिसका उतार बस , है उसके प्यार में । सुन उसकी पायल , ये दिल होता घायल , सुन लगे मीठी बोली , अब तकरार में । वह जो पसंद करे , मन में आनंद भरे , दिल का दे दूँ तोहफा , फिर इजहार में ।। ०२/११/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- देख-देख लुट गये , फिर हम मिट गये , भोली-भाली सजनी के , सुन लो शृंगार में । याद नहीं नूँन तेल , रहा सब कुछ झेल , माँगे क्