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Stories related to लेखाचे शीर्षक

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Deepak Kanoujia

You are title of the story
You are story itself
hope you will be the end too... #शीर्षक #

Shashank Rastogi

बिना शीर्षक

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अब लिखने का मन नहीं करता
लिखते लिखते, आखों से आंसू निकलते लगते है
फिर लोग हमें कमजोर समझते है
आंसू पोछना तो अब हर कोई भूल सा गया है
लोग चिकन, बकरे को जिंदगी की दुआ मांगते है
यह इंसानों को इंसानों की परवाह नही रह गई है बिना शीर्षक

Utkarsh Pathak UTPAL

शीर्षक #brokenwindow #शायरी

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प्रेम पीड़ा
(इश्क़ न करना)

©Utkarsh Pathak UTPAL शीर्षक

#brokenwindow

Tushar Mishra

शीर्षक - चेतना # #कविता #nojotovideo

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Meenakshi Meera

शीर्षक - पिता #कविता

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# विधा - कविता ( हाइकु)
************************
💖  शीर्षक - पिता💖
*********************

१. अनुग्रहित
    कृत कृत है तेरी
    पुत्री तुम्हारी
२. बागबान से
    शीत ताप सह के
    पाला श्रम से
३.ओ जन्मदाता
   प्रेम की पराकाष्ठा
   वात्सल्य मूर्ति
४.  ज्ञान प्रदाता
     थे महिमा मंडित
      गरिमामय
५. क्षमा करो हे
    नहीं समझ पायी
      मौन प्रेम को
६. तू ज़मीं मेरी
    तू आसमान मेरा
    तू हम साया
७. खोने से जाने
    मां- बाप मेरी छांव
    थी मेरी ढाल
८.कैसे चुकाना
   वो ममता का मोल
    जीवन- ऋण
९. सिसकते है
    तन मन व प्राण 
     मां - बाप बिना 
१०. दिव्यात्मा थे वो
    जला गये जग में
     प्रेम के दीप
११.धन्य हूं प्रभु
     दे दिये  है मां बाप
      देवता- तुल्य
१२.  चल पाऊं मैं
       पगडंडी पे तेरी
      अनुगामी हो
 १३.श्रद्धांजलि तो
     काव्यांजलि से देती
      ओ पिता मेरे
  ********************
मीनाक्षी एस.एस.मीरा
रोहिड़ा (पिंडवाड़ा)
माउन्ट आबू, राजस्थान

©Meenakshi Meera शीर्षक - पिता

कवि और अभिनेता हरिश्चन्द्र राय "हरि"

शीर्षक मुक्तक #कविता

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समय बीत जाने के बादl
मर्ज़ ..... लाईलाज़ ,
हो जाता है! 
समय बीत जानें के बाद l
 दवा फिर कोई भी, 
काम  नहीं आती! 
समय बीत जाने के बाद l
वक़्त की कर लो कद्र,
और समझो कीमत वक़्त की! 
वर्ना सिर्फ़ और सिर्फ़ पछतावा होगा, 
समय बीत जाने के बाद l
कवि हरिश्चन्द्र राय🔦हरि🔦
मुंबईllमहाराष्ट्रll

©ACTOR HARISHCHANDRA RAI शीर्षक मुक्तक

Er. Ambesh Kumar

पिता ( शीर्षक)

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समन्दर माँ की ममता की भी गहराई न छू पाया, 
हजारों छन्द लिख तुलसी की चौपाई न छू पाया। 
मुझे बचपन में पापा ने छुवाई थी जो कान्धे पर, 
जहाजों से भी उड़कर मैं वो ऊँचाई न छू पाया।। 
(आदरणीय भइया जी एवं प्यारा भतीजा ) पिता ( शीर्षक)

Arjun Lingayat

शीर्षक.. भीड

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भरोसा तो तुम खुद पे करो
ओरो से क्या वास्ता रखा है
चलना तो तुझे खुद है मंजिल पे
फिर भीड से क्यु डरता है शीर्षक.. भीड

rahul verma

शीर्षक- साँसे

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rahul verma

शीर्षक- दस्तक

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