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प्रा.शिवाजी ना.वाघमारे
........ओझं शिक्षणाच.... जीव माझा लहान दप्तराच्या ओझ्यानी लागली तहान जीव माझा लहान ! अपेक्षा आई बाबांच्या वाढल्या त्याच लहानग्या जीवाला टांगल्या शिक्षण झालं माझं कमी अपेक्षा माञ वाढल्या ! दप्तराच्या ओझ्याने माना माञ वाकल्या .. ओझं शिक्षणाच हे कस सोसाव कि पुन्हा लहानग व्हाव ! शिक्षणाच ओझं हे कस पेलाव.. ©शिवाजी ओझं शिक्षणाच
ओझं शिक्षणाच #Poetry
read moreRpsonone
ओझं तुझ्या प्रेमाच वाहु तरी कीती अंत कुठे आहे माझ्या प्रेमाचा सांग तरी कधी, गुंतत जातो मी तुझ्यात प्रत्येक वेळी की भीती वाटते आता तुझ्यात गुंतवून सुटका करशील माझी कधी। Rpsonone. . ©Rpsonone ओझं तुझ्या प्रेमाच
ओझं तुझ्या प्रेमाच #शायरी
read moreNC
White हर इम्तेहान में रहे वो अव्वल जिंदगी का रुख देख टूटा मनोबल किताबी बातें काम न आईं फलसफा नहीं है ये जिंदगी असल यहां ईमानदारी की नही कीमत कोई सच्चाई एक अकेले कोने में रोई यहां किताबों का न होता अमल यहां कर्मों का उल्टा मिलता फल ।। ©NC #Sad_shayri #कविता हिंदी कविता कविता हिंदी कविता
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read moreVikram Kumar Anujaya
White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद, हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।" मैं सोचता हूँ, नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है, हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है, ये धरती, ग्रह, नक्षत्र, सबके-सब घूमते क्यों हैं? चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है, और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है? क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद के लिए किसी की तलाश में है? ©Vikram Kumar Anujaya #moon_day कविता कोश हिंदी कविता कविता प्रेम कविता हिंदी कविता
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read moreAwanish Singh
दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। पार जाऊँगा मेरा साहस, कभी हारा नहीं है। जो मिटा अस्तित्व दे, ऐसी कोई धारा नहीं है ।। कौन रोकेगा स्वयं तूफान, थककर रुक गये हैं । हर लहर मेरा किनारा, ध्येय तक बढ़ता रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। तोड़ दी अवरोध की सारी, शिलाएँ एक क्षण में । मैं धरा का प्यार मुझको, स्नेह देते सब डगर में।। शीत वर्षा और आतप कर, न पाये क्षीण गति को। बिजलियों की कौंध में भी, पंथ गढ़ता ही रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। ©Awanish Singh (AK Sir) #कविता #कविता
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