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sandy
जखमा उरातल्या.... बारका भाऊ जाऊन सहा महिने झाले होते... इकडे रोज दुःख मनात ठेवुन अनयाचं जगणं चालु होत.... राखी आली, आठवण झाली.... भाऊबिज
Parul Sharma
Mahfuz nisar
स्याही को काग़ज़ पर नुमायाँ करने से पहले, कुछ अनयत्र दिमाग़ी खाँचों में हमें काफ़ी कुछ घुलाना मिलाना होता है, वर्षों तक अलग अलग प्रांतों,खेमों,गलियों में घूमना पड़ता था, प्राकृतिक और अप्राकृतिक सब से रूबरू होना होता है, अपनी शरीर के परत दर परत में झांकना होता है, ताकि अंदर की गहरी पैठ बनाये जज़्बातों के तार झंझना जाएं और मैं सरगम की प्रिय धुन पर घंटों नाच सकूँ, इस पूरे सफ़र के दौरान स्याही और दवात आपस में सही वक़्त के आने का गुमसुम बैठ इंतज़ार करते हैं। ✍mahfuz nisar © स्याही को काग़ज़ पर नुमायाँ करने से पहले, कुछ अनयत्र दिमाग़ी खाँचों में हमें काफ़ी कुछ घुलाना मिलाना होता है, वर्षों तक अलग अलग प्रांतों,खे
Mahfuz nisar
स्याही को काग़ज़ पर नुमायाँ करने से पहले, अनयत्र दिमाग़ी खाँचों में काफ़ी कुछ घुलाना -मिलाना होता है, वर्षों तक अलग-अलग प्रांतों,खेमों,गलियों में घूमना पड़ता है, प्राकृतिक और अप्राकृतिक सब से रूबरू होना होता है, अपनी शरीर के परत दर परत में झांकना होता है, ताकि अंदर की गहरी पैठ बनाये जज़्बातों के तार में झंझनाहट आ जाएं, और मैं फिर उनमें से प्रिय धुन पर घंटों नाचता हूँ, इस पूरे सफ़र के दौरान स्याही और दवात आपस में सही वक़्त के आने का गुमसुम बैठ इंतज़ार करते हैं। ✍mahfuz nisar © ©Mahfuz nisar स्याही को काग़ज़ पर नुमायाँ करने से पहले, अनयत्र दिमाग़ी खाँचों में काफ़ी कुछ घुलाना -मिलाना होता है, वर्षों तक अलग-अलग प्रांतों,खेमों,गलिय
प्रशान्त मिश्रा मन
एक गीत! प्रेम ने दुनिया रची है, हम प्रणय के गीत रचते। दुर्जनों का साथ दे निज कर्म से वे रोज़ भागें। सो गया था चित्त उनका पर अभागे नैन जागें। हर तरफ अन्याय पसरा हर तरफ अपराध था सो- जागरण के राग भरकर हम समय के गीत रचते। प्रेम ने दुनिया रची है,........... मर रही हैं भावनाएं है अनय अंतिम चरण पर। कर रहें आलाप हम सब आज के सीता हरण पर। किन्तु कोई राम भी है जो उन्हें छुड़वा रहा है- रावणों को मृत्यु देकर; हम विजय के गीत रचते। प्रेम ने दुनिया रची है,................. दुर्बलों के हेतु संबल हम बने यह एषणा है। हो सतत सद्भावना ही यह हृदय की भावना है। हर थकन की हो पराजय धर्म की जय-जय सदा हो लोक हित में हम निकल कर अभ्युदय के गीत रचते। प्रेम ने दुनिया रची है,..................... प्रशांत मिश्रा मन #NojotoQuote एक गीत! प्रेम ने दुनिया रची है, हम प्रणय के गीत रचते। दुर्जनों का साथ दे निज कर्म से वे रोज़ भागें। सो गया था
Avinash Jha
हे केशव, मैं अभागन तेरे दर्शन की अभिलाषी, मूक बने थे जब सभी सभागण तूने ही तो बच्चे थी मेरे काया की साड़ी, उधड़ा पड़ा था जब भी मेरा बदन तभी पड़े
Aprasil mishra
"जीवन का प्रत्येक कर्म एक उचित कालखण्ड में ही संपादित होने पर फलीभूत होता है। उदाहरण - यदि अधेड़ उम्र अक्षर ज्ञान प्राप्त किया जाये एवं उद्यमवृत्ति का प्रयास जीवन के अंतिम क्षणों में हो तो वह फलसाध्य नहीं रह जाता कारण असमय प्रबंधन। अवसरों के कालक्रमों के अनुकूल कार्ययोजनाओं का शून्य हस्तक्षेप के साथ संपादन होना चाहिए, संतति जीवन के विकासपथ में किसी भी पूर्वाग्रही विचारधारा के कारण अवरोध बनने से बचे रहना उसके संरक्षकों का नैतिक दायित्व होता है जिसके अनुपालन को अनिवार्यतः सुनिश्चित किया जाना चाहिए।" मत राहों में अवरोध बनो गंतव्य पुत्र को चुनने दो, अपने अतृप्त अभिलाषाओं का ग्रास उसे मत बनने दो। उसके भी ख्वाबों की दुनिया शायद बि
Varsha ✍️
मौन स्वीकृति #Nonotoapp#Nonotonews मैं दीप्ति,, माँ पापा की बिट्टो,, ये मेरी कहानी है, पापा अक्सर बीमार रहते थे, उन्हें कई बार हॉस्पिटल में भी एडमिट कर