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आखिर कब तक जियब ई हाल में बता त् द् ! देखै खातिर तरसे ला नयन एक बार बुलाके जियरा जुरा त् द् !! ©AD Kiran देखै खातिर तरसे ला नयन... SabitaVerma
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तोहार मुख में चांद लौकअ्ता ! "ऐ हमर करेजा" तोहार बोली सुनै खातिर हमर कान तरसअ्ता !! ©AD Kiran तोहार बोली सुनै खातिर... SabitaVerma
अदनासा-
आज फ़िर पढ़ा अख़बार मैं एतबार की खातिर मगर फ़िर वही समाचार था सरकार की खातिर ©अदनासा- #हिंदी #अख़बार #पढ़ा #समाचार #एतबार #सरकार #खातिर #Instagram #Facebook #अदनासा
Bhanwar Panwar
Black चेतक पर चढ़ जिसने भाला से दुश्मन संघारे थे… मातृ भूमि के खातिर जंगल में कई साल गुजारे थे… ©Bhanwar Panwar चेतक पर चढ़ जिसने भाला से दुश्मन संघारे थे… मातृ भूमि के खातिर जंगल में कई साल गुजारे थे…
Rajkumar Siwachiya
में आज भी करूं तनै प्यार उतना गहरा कोए जितना गहरा जान समन्दर होवय सै सै आज भी तू मेरी खातिर उतनी ए पाक जान जितना पाक कोई मन्दर होवय सै ✨👩❤️👨✨♥️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ ©Rajkumar Siwachiya सै आज भी तू मेरी खातिर उतनी ए पाक जान जितना पाक कोई मन्दर होवय सै ✨👩❤️👨✨♥️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ #loversday #rajkumarsiwachiya #
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Black Gazal:- माँगता हूँ मैं दुआएँ ईद में । दूर हो जाएँ बलाएँ ईद में ।। प्यार के जिसको तरसता मैं रहा । क्या हमें वो हैं बुलाएँ ईद में ।। रात दिन अब देखता हूँ रास्ता । प्यार भी अपना जताएँ ईद में ।। मिल गया दिल को सकूँ मेरे यहाँ । देख जब वो मुस्कराएँ ईद में ।। सिर झुकाकर देख लूँ इस बार मैं । माफ़ शायद हों खताएँ ईद में ।। अब नही लब पर गिला मेरे सुनो । लौट आई हैं फ़िजाएँ ईद में ।। एक उनके दीद की खातिर प्रखर । मैं खड़ा हूँ सिर झुकाएँ ईद में ।। ११/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #eidmubarak Gazal:- माँगता हूँ मैं दुआएँ ईद में । दूर हो जाएँ बलाएँ ईद में ।। प्यार के जिसको तरसता मैं रहा । क्या हमें वो हैं बुलाएँ ईद मे
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत:- आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न । चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।। आई है घर में गौरैया.... पहले चुग ले तू जी भरके , बाते करना बाद । जान रही हूँ आज तुझे मैं , करें न कोई याद ।। अपने महल दुमहले होवें , करता सब फरियाद । उनकी बातें भूल यहाँ तू , हो जा पहले टन्न । आई है घर में गौरैया...। कुल्लड़ में पानी है रख्खा , आज बुझाओ प्यास । दाना चुगकर नीम पेड़ पर, पुनः बना आवास ।। जब भी भूख लगे तुझको , आना मेरे पास । रख दूँगी सुनो मुंडेर पे , तेरी खातिर अन्न । आई है घर में गौरैया..... देख रही तू पहले जैसा , घर अब मेरा नाहि । बिल्ली कुत्ता दूर बहुत है , डरने को अब नाहि ।। जब भी तेरा जी चाहे अब , करना घर में सैर । किसी बात की फिकर नही अब , तुझे मिलेगा अन्न । आई है घर में गौरैया .... आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न । चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।। ०५/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR आई है घर में गौरैया , दे दूँ उसको अन्न । चूँ चूँ करके कहती हमसे , पेट नही है अन्न ।। आई है घर में गौरैया.... पहले चुग ले तू जी भरके , बा