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कथायति
सुंदरता सरलता और सफलता की प्रतिकृति #सुंदरता #सरलता #सफलता #प्रतिकृति #Nojotonews #Trend #Nojotofilms #ramayan
Abhishek Yadav
तुम सत्य खोजते फिरते हो, बाहर का कुछ भी पता नही, अंदर ही बैठे रहते हो, तुम साकार, जगत साकार, निराकार कुछ हो तो कहो, साकार बिना जाने ही प्यारे, निराकार बने तुम फिरते हो, बाहर का छप्पर उड़ता जाता, तुम भीतर की बल्ली पकड़े हो, बाहर उड़ता है तिनका तिनका, तुम भीतर भीतर रहते हो, घट खाली या भरा हुआ है, जल भीतर है या बाहर, तुम भीतर से नाटक करते, बाहर जाने से डरते हो, नदियाँ बहती ताल तलैया, सागर बहता है भीतर ही, तुम तो नदी हो बाहर वाले, खुद सागर के भ्रम में रहते हो, जबतक तुम कुछ सोच हो पाते, ब्रह्मांड अनेकों बन जाते हैं, तारों का तुमको पता नही कुछ, ब्रह्मांड समेटे फिरते हो, समझ सको तो बाहर समझो, भीतर तो सब नासमझी है, बाहर खाली हाथ तुम्हारे, भीतर से जकड़े रहते हो, अपने तल का पता नही कुछ, करते हो दूजे तल की बात, जिसका तल है उसे पता है, अंतरतल का नाटक करते हो, पहले बाहर सुनना सीखो, सीखो साकार, रूप सौंदर्य, जो कीड़ों के पदचाप हो सुनता, तुम उसकी बातें करते हो, निराकार देखा है तुमने, कृति साकार, प्रतिकृति निराकार, कृति का अता पता नही कुछ, प्रतिकृति में गूँगे रहते हो, साकार तुम्हारा भ्रम है प्यारे, पर निराकार तो विभ्रम है, पहले भ्रम, फिर विभ्रम के पार, पर तुम!असमंजस में रहते हो, तुम साकार, जीवन साकार, निराकार तो प्रियतम है, साकार बने गोता तुम मारो, क्यों असत्य में रहते हो? -✍️ अभिषेक यादव तुम सत्य खोजते फिरते हो, बाहर का कुछ भी पता नही, अंदर ही बैठे रहते हो, तुम साकार, जगत साकार, निराकार कुछ हो तो कहो, साकार बिना जाने ही प्यार
Divyanshu Pathak
गतिर्भर्ताप्रभु साक्षीनिवासः शरणं सुहृत ! प्रभवः प्रलयः स्थानम निधानम बीजमव्ययम !! : गी. अ.-09/18 🍂🦃😁😂☕🐿🍵🐰🍵🐦🐦🦃🍂💓हरे कृष्ण🐦🦃🍂💓🍵🐰🐰🐦😀🍫🍫💕😁😂☕ एक शिक्षा का पहला लक्ष्य है-ज्ञानार्जन। ज्ञान और ब्रह्म पर्याय शब्द हैं। हम सब ब्रह्माण्ड की प्रतिकृत
अशेष_शून्य
(शेष अनुशीर्षक में) ~©Anjali Rai कला के मध्य द्वंद रख कर एक कलाकार बन जाता है "रचयिता से विध्वंशकर्ता" और उसका हृदय एक "कुरूक्षेत्र" जहां वो एक एक कर के अपनी संवेदनाओं का
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की हिंदू पंचांग के अनुसार के अनुसार गोवर्धन पूजा कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को की जाती है,इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र देव के घमंड को खत्म किया था और सभी ब्रजवासियों को बारिश से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा यानी छोटी अंगुली पर उठा लिया था, मान्यताओं के अनुसार गोवर्धन पर्वत के नीचे ब्रजवासियों ने सात दिन बिताए थे और भगवान कृष्ण ने स्वर्ग के देवता इंद्र का अहंकार तोड़ उन्हें हराया था..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है, इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं,इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में बहुत महत्व है, इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है, इस दिन चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की इस साल 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगने के कारण पूरे देश में 26 अक्टूबर के दिन गोवर्धन पूजा की जाएगी..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन बनाये जाते हैं, इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा की जाती है ..., आखिर में एक ही बात समझ आई की हिन्दू धर्मावलंबी घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन नाथ जी की प्रतिकृति बनाकर उनका पूजन करते है. उसके बाद गिरिराज भगवान (पर्वत) को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है...! अपनी दुआओं में हमें याद रखे🙏 बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की हिंदू पंचांग के अनुसार के अनुसार गोव
Unconditiona L💓ve😉
मेरी प्रिय "चाँद" !!!Full Endowed in caption!!! मुझे प्रिय है वो चाँद जो रात में रोशनी और शीतलता बिखेरती है और याद दिलाता है हर रात तुम्हारी, कि दिनभर की रेलमपेल और भागदौड़ में तुम्हें विस
Ashay Choudhary
सावन: शिव दर्शन (रचना अनुशीर्षक में पढ़ें) कैसा होता है ये सावन? एक दिन बस यूं ही सोच रहा था। सोचते हुए जरा गहराई में चला गया। गर्मी से चले लू के थपेड़े, आषाढ़ की थोड़ी बहुत बरसात की
gudiya
नारी! तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास-रजत-नग पगतल में। पीयूष-स्रोत-सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में। देवों की विजय, दानवों की हारों का होता-युद्ध रहा। संघर्ष सदा उर-अंतर में जीवित रह नित्य-विरूद्ध रहा। आँसू से भींगे अंचल पर मन का सब कुछ रखना होगा- तुमको अपनी स्मित रेखा से यह संधिपत्र लिखना होगा। ©gudiya कामायनी / जयशंकर प्रसाद जयशंकर प्रसाद » कामायनी »
Aprasil mishra
"कृष्ण जीवन में राधा और रुक्मिणी तुलनात्मक साहित्य : एक कलंक" हमारे समाज के नायकों के अतीतीय जीवन वृत्तान्तों को साहित्य अथवा लेखन जगत उनके वास्तविक व गरिमापूर्ण जीवन के मौलिक अथवा मूल अध
sandy
हौदा मागची खोली लग्नाला काहीच दिवस झालेले. तिला सकाळी लवकर जाग येत नसे. अर्ध्यापेक्षा जास्त रात्र धुंदीत सरत होती. एवढे मोठे कुटुंब; कोण का