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Dilwali Kudi1712
हिंदुस्तानी होने से बडा नही दूजा है मान। विश्व मे हम बाँटते है आयुर्वेद का ज्ञान, दिखलाते है विश्व को योग का परिणाम, सिखलाते है विश्व को धर्म का विज्ञान, हिंदुस्तानी होने से बडा नही दूजा है मान। (2) भिन्न भिन्न जातियों की है यहाँ आवाम, विविधता मे एकता है ये हमारी आन, पूरा विश्व आज कर रहा है हमारे बखान, हिंदुस्तानी होने से बडा नही दूजा है मान। (2) हर कोई यहाँ पे रहेता है जैसे कोई गुलदान, हम मिलके पार करते है हर मुश्किल चढ़ान, सब साथ मे रखते है एकदूजे का ध्यान, हिंदुस्तानी होने से बडा नही दूजा है मान। (2) देश को खाना देता है यहाँ का हर किसान, देश की सुरक्षा करता है यहाँ का हर जवान, हमारा राष्ट्रध्वज ही तो है यारो हमारा गुमान, हिंदुस्तानी होने से बडा नही दूजा है मान। (2) भगवान ने अवतार लेके बनाया देश को धाम, हिंदुस्तान भी तो है देश अपने आप मे महान, विश्व गुरु बने यह देश यही हमारा अरमान, हिंदुस्तानी होने से बडा नही दूजा है मान। (2) Dilwali Kudi हिंदुस्तानी होने से बड़ा नही दूजा है मान।
neeraj upadhyay
साथी तेरा प्यार पूजा है ..तेरे सिवा कौन मेरा दूजा है यार
Prakash writer05
वह झुमके की शौकीन मैं झुमके का दीवाना मोहब्बत में यारों एक है राधा तो दूजा है कान्हा ..!! ©Prakash writer05 वह झुमके की शौकीन मैं झुमके का दीवाना मोहब्बत में यारों एक है राधा तो दूजा है कान्हा ..!!
Brijesh Maurya
तू ही मेरी मंदिर,तू ही मेरी पूजा है, तेरे सिवा इस मन मंदिर में ना कोई दूजा है। तू ही मेरी मंदिर,तू ही मेरी पूजा है, तेरे सिवा इस मन मंदिर में ना कोई दूजा है।
Sanjay Kumar Suman
साथी तेरा प्यार पूजा है, तेरे सिवा कौन मेरा दूजा है यार..... Happy friendship day my dear love u all.....
Prakhar Tiwari
मुझसा पंडित मुझसा योद्धा और ना कोई दूजा हैं अपने शीर्षो को काट काट कर भगवान शंकर को पूजा हैं - ravan ©Prakhar Tiwari मुझसा पंडित मुझसा योद्धा और ना कोई दूजा हैं अपने शीर्षो को काट काट कर भगवान शंकर को पूजा हैं
R.S. Meena
गोवर्धन पूजा प्रकृति की पूजा कर, रक्षा कर, गोवर्धन पूजा है। इससे बढ़कर, जगत में सुख ना मिले, कोई दूजा है।। "इन्द्रदेव को छोड़ो, प्रकृति को पूजो", श्रीकृष्ण ने कहा, जनजीवन रहे शुद्ध प्रकृति से, पावन जल जमुना में बहा। हुआ कोप से लाल इन्द्रदेव, हाहाकार मचाया है, पानी की तेज धार देखकर, नन्द गाँव घबराया है। चीख-पुकारों को हरने, खुद श्रीकृष्ण सामने आया है, नन्द गाँव को बचाने, गोर्वधन पर्वत अँगुली पर उठाया है। गोर्वधन पर्वत देख अँगली पर, इन्द्रदेव लजाया है, हुई भूल, कहकर, प्रकृति को सर्वोपरी बताया है। गोर्वधन पर्वत है, रूप प्रकृति का, वृक्षों से ही शान हैं, करे पूजा गोर्वधन पर्वत की, प्रकृति से ही हमारी जान हैं। प्रकृति को बचाने से ही, नश्वर मानव की पहचान हैं, पूजनीय हैं हर वनस्पति, उनसे ही बचे हमारे प्राण हैं। किया संहार प्रकृति का जिन्होंने, उनसे श्रीकृष्ण रूठा है, एक के बदले एक लगाएँ, यही जीवन भर का बूटा है। प्रकृति की पूजा कर, रक्षा करना, गोवर्धन पूजा है। इससे बढ़कर, जगत में सुख ना मिले, कोई दूजा है।। गोवर्धन पूजा प्रकृति की पूजा कर, रक्षा कर, गोवर्धन पूजा है। इससे बढ़कर, जगत में सुख ना मिले, कोई दूजा है।। "इन्द्रदेव को छोड़ो, प्रकृति को
haneefshikohabadi | ~हनीफ़ शिकोहाबादी
इससे ज़्यादा और क्या ख़तरनाक क्या होगा कि गाँधी जी की जयंती और twitter पर trend (गोडसे_अमर_रहें) कर रहा बेहद शर्मनाक👎👎😡😡 #गांधीजयंती #gandhi
saurabh Tiwary
S. Bhaskar
दोहे पत्थर पत्थर क्यों पूजे, पूजे मनुज का ज्ञान। छीछले पानी स्वर्ण मिले, अंदर पारस खान।। बाहर प्रीत सरोवर बनिए, मन में कीजिए इनार। दुनिया सगरो उजियार कीजिए, अंदर कीजिए अन्हार।। मन की बातें सबहूं ना बोलिए, कुछ बनाईहे तमाशा, नीम करेला सब जाहिर कीजिए, मन ही रखिए बताशा।। चुप रहीये सम्मान घटे, झगडिए मिलहिं ना मात। वक्त आवत जल जात है, शांत चंदन का बिसात।। तोहे तिमिर की आस है, मोहे जगमग जग अंजोर। दो संग खूब चले है, एक रात तो दूजा है भोर।। मुख चाट के तुमने दर्पण किए, घिस दिए तलवे की छाल। मौका पड़े स्वामी ना पूछिहें, का है तुमरा हाल।। दोहे पत्थर पत्थर क्यों पूजे, पूजे मनुज का ज्ञान। छीछले पानी स्वर्ण मिले, अंदर पारस खान।। बाहर प्रीत सरोवर बनिए, मन में कीजिए इनार। दुनिया