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BANDHETIYA OFFICIAL
ram lala ayodhya mandir रत्नाकर का अर्थ हमेशा गंभीर सागर नहीं रहा है, डाकू से तपी, मरा -मरा से राम की रट लगानेवाला भरम में--- वाल्मीकि, एक दिन का हो गया है भक्त, भक्ति किसी की, किसी को समर्पित, मुख में राम बगल में छुरी...... ©BANDHETIYA OFFICIAL #रत्नाकर का अर्थ गंभीर सागर हमेशा नहीं होता। #ramlalaayodhyamandir
Pradyumn awsthi
इंसान ,प्रकृति और पशु पक्षियों का आपस में गहरा और घनिष्ठ संबंध होता है । प्रकृति और पशु पक्षी तो इंसानों को अपना मित्र मानते हैं लेकिन इंसान प्रकृति और पशु पक्षियों को अपना मित्र हरकिज नहीं समझता है ,इंसान तो केवल अपने स्वार्थ मात्र के लिए प्रकृति एवम पशु पक्षियों पर अपने मनमाने ढंग से अनेक जुल्म करता रहता है। जबकि सबसे बड़ी बात तो यह है की यदि पूरी धरती पर चींटी से लेकर हाथी तक एक भी पशु पक्षी कम हो गया तो पूरी धरती का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाएगा और धरती को भारी हानि पहुंचेगी लेकिन इंसान इन सब बातों के बारे में कहां सोचता है उसको तो बस अपने स्वार्थ ,मतलब की ही भूख लगी रहती है और ये भूख कभी शांत ही नहीं होती है ©"pradyuman awasthi" #गंभीर सत्य ,मानव का
Gautamanand Jha
आज का ज्ञान जब आपके करीबी दोस्त आपको पहचानने से इनकार कर दे,तो ये समझ लीजिए कि उनके अच्छे और आपके बहुत अच्छे दिन आने वाले हैं। गुरु गंभीर का ज्ञान !!
Gautamanand Jha
खुद से ज्यादा और खुदा से अधिक किसी पर भरोसा मत करो। वरना, धोखा के सिवा कुछ नहीं मिलेगा। गुरू गंभीर का ज्ञान !
Dilip Lohar
उनसे दिल लगा कर ऐक बात तो जनी हैं कहते है जिसे ईस्क ओह जहर का पानी है और कुछ नहीं प्यार ईस्क का सही यही कहानी जिसे अपना समझते है हम ओहि तो हम सबका नादानी है केयो कि यही से खेल पुरानी है कोई आशिक बने कोई पागल तो कोई सब कुछ लुटा डाला है यही तो असली प्यार का निशानी है ©Dilip Lohar #गंभीर
Rahul Shastri worldcitizens2121
Safar July 10,2019 सत्संग का अर्थ होता है गुरु की मौजूदगी! गुरु कुछ करता नहीं हैं, मौजूदगी ही पर्याप्त है। ओशो सत्संग का अर्थ
ARVIND KUMAR
विचार --------------------- जिन्दगी का हर एक छोटा हिस्सा ही, हमारी जिदंगी की सफलता का बड़ा हिस्सा होता है ! ©Arvind Kumar सफलता का अर्थ!
नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
जीवन का अर्थ ..........…........... इस पृथ्वी पर मानव आता है, जीता है,चला जाता है। लेकिन जीने का अर्थ कम ही लोग समझ पाते हैं। जिस जीवन में दया,क्षमा,परोपकार न हो उसका कोई अर्थ नहीं होता।त्याग भी जीवन का एक अभिन्न अंग है। लेकिन समय, काल और परिस्थिति के अनुसार कब किसका त्याग करना उचित होगा इसका भी ज्ञान होना बहुत जरूरी है। सुमार्ग पर चलना,कल्याणकारी काम करना ही जीवन का अर्थ होता है। ©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।) # जीवन का अर्थ।