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Shilpi Signodia
दफ्न हूँ किसी मिट्टी मे, या किसी राख की हूँ भस्म आवाज़ मेरी अल्फाज़ बन, पनप रही शाखाओ मे, दबा लो जब तक दबा सकोगे तुम, जो स्याह कलम की घुल रही हवाओ मे, उसको कब तक रोक सकोगे तुम। दर्ज किया है हर लम्हा , वक्त के कठोर पन्नो पर फाड़ दो हर पन्ने को, पर घड़ी को कैसे टोक सकोगे तुम । भस्म
Arora PR
White इस युग की सीता भी स्वर्ण मृग की ख्वाहिश इस युग के राम के सामने ज़ाहिर कर सकती हैं पर मुझे लगता हैं आधुनिक जगत के राम सीता की इस कामना क़ो सम्मान नहीं दे पाएंगे ©Arora PR स्वर्ण मृग
Parasram Arora
सुख स्वर्ण मृग है ज़ब सुख दुसरो से मिलता हुआ मालूम. पडे तो समझ लेना कि धनुरदारी राम चले स्वर्ण मृग की खोज मे..... और अब तो सीता की चोरी होकर रहेगी ज़ब दूसरे के पीछे हम सुख खोजने चले जाते है तो हमारे भीतर ज़ो अंतरात्मा रुपी सीता है उसकी चोरी हो जाती है ©Parasram Arora स्वर्ण मृग
Vikas Sharma Shivaaya'
मन मरया ममता मुई, जहं गई सब छूटी। जोगी था सो रमि गया, आसणि रही बिभूति । मन को मार डाला ममता भी समाप्त हो गई अहंकार सब नष्ट हो गया जो योगी था वह तो यहाँ से चला गया अब आसन पर उसकी भस्म–विभूति पड़ी रह गई अर्थात संसार में केवल उसका यश रह गया ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' भस्म–विभूति
Shailendra Shainee Official
स्वर्ण बाली 6 ये रात कितनी लंबी कारी, कहे नाही बीते हाली। कैसी कैसी बात सोची, धुआं धुआं मन हो भारी। कश्म कश में उलझी जाती सोची सोची यही बाती। अश्व मन का दौड़े खाली, जाने क्या हो आगे हानी। ©Shailendra Shainee Official #स्वर्ण बाली 6
Shailendra Shainee Official
स्वर्ण बाली 4 चांद चोर रात काली, खिड़कियों पे डेरा डारी। चांदनी समेटे सारी, रूप को निहारे खाली। झुके जैसे पुष्प डाली, वक्क्षो से हो तन भारी। जतन सारी कर हारी, पल्लुओ में छिपती नारी। दातो तले उंगली डाली, धड़के जीया हाली हाली। नयनों को झुका के खाली, काम को बढ़ाए नारी। ©Shailendra Shainee Official #स्वर्ण बाली 4
NEERAJ SIINGH
इंसान के भेष में छुपे उन तमाम रावणो को ध्वस्त करो ,जो निज स्वार्थ में महिलाओं पर अत्याचार करें उनका मर्दन करो , हे काली तुम रक्त पियो , हे हनुमान तुम ध्वस्त करो इन मनुष्य की खाल में छुपे, मेघनाद को ,जो भ्रष्टाचार और गरीबी बढ़ाए उनको अग्नि के हवाले करो , नहीं छूटनी चहिए कोई लंका उसको तुम भस्म करो , इन दुराचारी मनुष्यों ने जों झूंठी भक्ति से लूटा धर्म को उनका सर्वनाश करो नहीं है यह इस धरा में जीवन के योग्य नहीं इनको तुम नष्ट करो , #neerajwrites भस्म करो
Shailendra Shainee Official
स्वर्ण बाली 2 लालिमा समेटे सारी, सारी को सहेजे नारी। उंगलियों में रत्न सारी, गले चमके चंद्रहारी। बालों में हो गजरा डाली, झूले झूला कर्ण बाली। तारो भरी भौंह धारी, लाज से हो पलके भारी। ©Shailendra Shainee Official #स्वर्ण बाली 2
Neeraj Upadhyay 9548637485
स्वर्ण मंदिर अमृतसर ©Neeraj Upadhyay 9548637485 स्वर्ण मंदिर अमृतसर