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Vickram
किया क्या ,,,,,,,,,,, किसी के लिए ,,,,,,, कोई जरूरी नहीं कि कौन तेरे कितने काम आया। बात ये भी है कि कितनों का साथ दे चुके हो तुम। कर लिया खुद का पूरा अब नजर ही नहीं आता है कोई। जाने अपने मकसद के लिए किस हद तक गिर चुके हो तुम। ©Vickram किया क्या किसी के लिए,,,,,
BSagar
उसने क्या खोया शायद मुझे कुछ पता था मेरा सब कुछ छीन लिया और वो मुझ पे हंसता रहा , उसने क्या खोया शायद मुझे कुछ गम दिया दर्द का ठिकाना बता के हंसी का लम्हा छीन लिया उसने क्या खोया शायद मेरी रूह को फ़ना किया जिस्म खुद ने बेचा मुझे उसका गुनहगार बनाया ©NSagar क्या किया?
मिहिर
क्या याद रखा ? क्या भूले हो तुम ? सब में तुझे ढूंढा तुझे भूला नहीं तुझे याद किया बस यही किया !! ©मिहिर #क्या किया!!
ehsanphilosopher
क्या किया मेरे हालात ऐसे हैं जरा मोहलत तो दे दीजे। कहां मोहलत, मेरे हालात भी तो जैसे-तैसे हैं।। सुना था 'ग़म न करना' ये अल्फाज़ उम्दा है। सिसकते आंसुओं से पुछ, ये अंदाजा उम्दा है।। कहां उम्मीद लेकर बैठे हो, ना उम्मीदी में काफ़िर/मुसाफिर। ख़ुदा भी सुन नहीं सकता, तेरा अंदाज उम्दा है।। ©ehsanphilosopher क्या किया
Vickram
सीखने को इंसानियत तो किताबें भी खूब पढ़ी,,, काफी कुछ खोना भी पड़ा खुद को बनाने के लिए,, ना जाने कितने लोगों के दिल को दुखाया तूने,,, अपनी ज़िंदगी मे ख़ास जगह को पाने के लिए,, ©Vickram ना जाने क्या क्या किया,,,
Mahadev Son
पल भर का भरोसा न जिंदगी का फिर भी लगा हुआ भागम भाग में जबकि मालूम कब्र खुदनी कहीं ओर चित्ता शमशान अस्थियां हरिद्वार में यदि कर्म पुण्य अच्छे कमाये हुए वर्ना अंत का पता नहीं क्या होना फिर भी महल बनाने में लगा हुआ जाना जहाँ वहाँ के लिये क्या किया वहाँ जा कर ही पता चल जाना ©Mahadev Son जहाँ जाना वहाँ के लिये क्या किया
BS NEGI
घर एक कोने में धूल फांकता एक बक्सा उसमें पुरानी किताबे, किताबों के पलटते पन्ने कहानी बयाँ करती हैं तेरी, वो खैरी (दुःख) के दिन पलटते पन्ने ताज़ा करती हैं। किस तरह बारिश में टपकते छप्पर में दिन गुज़ारे, नदी-नालों का पानी पीकर जिन्हे सींचा, वही कहते है हमारे लिए तुमने क्या किया। तन पर एक कपड़ा बरसो चला लेते थे। एक मटके पानी में कई दिन गुज़ारे, वही कहते है तुमने हमारे लिए क्या किया। क्रमशः........ ©BS NEGI तुमने क्या किया....
ehsanphilosopher
हम संभलने को आतुर हैं, पर संभला नहीं जाए। ये इत्तेफाक है अगर तो सच में किया क्या जाए। कुछ करना नहीं है हमको, किस्मत के भरोसे हैं। बस चाहने से होगा, तो क्या भी जाए। क्या किया जाए