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Rozybano
कहने की बात है लडका लडकी मे भेद भाव नही होता है मगर सच तो ये है की भेद भाव आज भी होता हे ©Rozybano #भेदभाव
Babli BhatiBaisla
जिस शक की बुनियाद पर हम मिटे हैं इस तरह उसी गुनाह के सबूतों के बावजूद वो बरी है किस तरह उसके लिए जो सच बहुत जटिल है वही सच तो मेरे लिए बहुत कुटिल है उसके लिए उसकी जिंदगी कीमती है जितनी मेरे लिए मेरी मौत कीमती हो गई है उतनी भेदभाव की यह खाई कभी पाटे ना पटी है बोल देने भर से ही केवल सोच बदलती नहीं है बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla भेदभाव
Parasram Arora
किसी राजनेता के दिवंगत होते ही राष्ट्रीय शोक दिवस घोषत किया जाता हो किन्तु बाबाओ द्वारा किये गये पाप और बलात्कार पर राष्ट्रीय शर्म दिवस घोषित क्यों नहीं होता? उधर पत्थर मार हत्यारो.. को जश्न मनाने का पूरा अवसर दिया जाता हैँ क्यों? भेदभाव.......
jyoti gurjar
जो भेदभाव की प्रवृति में, बात करें, उस व्यक्ति की सुनाई कोन करें, जो सोच समझ के नहीं, अपितु किसी के बहकाने मात्र से, एक छोटी सी बात के लिए राजनीति करें, तो भला जिस व्यक्ति का नुकसान हुआ हैं, वो कब तक धीर धरे, सुना भी उसका जाता हैं, जो मान निभाता हैं, झुका उसके सामने जाता हैं, जो झुकाने से पहले खुद झुक जाता हैं, बड़ा वो कहलाता हैं जो राजा बन कर भी आम लोगों के बीच में बैठने से ना हिचकिचाता है। जो बात की गहराई को समझ कर फैसला करें, बात उनकी समझी जाती हैं,ना कि उनकी जो हमें बिना ओकाट वाले खानदान की बताती हैं, ©jyoti gurjar #भेदभाव
नन्हीं कवयित्री sangu...
समानता की बाते करने वाले रो रहे है, धर्म के नाम पर सबसे ज्यादा कतले आम हो रहे है..। बंद करो नौटंकी खुद को भगवान बताने की, साधुओं की आदत जिस्मों को खाने की...। पहना सर से पांव तक फरेब का लिबाज बाते करते हो सच्चे रब्ब को पाने की ©nnhi kvyitri sangu भेदभाव....
Tr. Kajal Parmar
ऊँच-नीच का भेद न माने, खुद से कम किसी को न जाने, लहू एक है, एक है काया, रब ने सबको समान बनाया, फिर क्यों दिल मे भेदभाव हो, रहो ऐसे जैसे भाई-भाई हो। #भेदभाव
Dr Mangesh Kankonkar
सदियों से चली आ रही, कैसी ये रीत है। सारे जहासे हटकर, अपनी ये प्रीत है। जात धर्म का खेल निराला, किसने रचा संसार में। इंसानियत को मार काटकर, बहाया खुन कि नदियॉ में। कौन है काला, कौन गोरा, कौन अमीर या गरीब। सच्चाई को अपनाओगे तो, पाओगे सबको अपने करीब। जात पात में उलझोगे तो, कही ना पहूँच पाओगे। साथ किसीका चाहोगे तब, अकेले ही रह जाओगे। इसी लिए कहता हुँ यारो, भुल जाओ ऐसी रीत को। घुलमिल कर रहना सिखो, और बढाओ प्रीत को। ©Dr Mangesh Kankonkar Discrimination (भेदभाव)