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Ek villain
नाना बिधि व्यक्तियों से अनिल जुड़ाव मनुष्य के जीवन में वह विधियां आनंद और उत्साह का संचार करता है इसे अर्थ देता है संबंधों का दारोमदार स्वास्थ्य संवाद में टिका रहता है संवाद के माध्यम से हम हर्ष उल्ले विधाएं चिंताएं और निजी सरोकार साझा करते हुए सरकार तक मक्ता और संतुष्टि जीवन बिता पाते हैं सभी धना शुन्य या औपचारिक संवेदनाओं का अर्थ है किसी तरह संबंधों को ढोना माही ने उन्हीं संबंधों के लिए है जिन्हें गहराई हो ऐसे तभी संभव होगा जब इन्हें निष्ठा ईमानदारी और पारदर्शिता से निभाया जाए शुद्धि व्यक्तियों के संबंध गिनती के होते हैं जिन्हें वह परिधान की भांति नहीं बदलते रहते बल्कि अंत काल तक निभाते हैं वहीं संबंधों के अनार वर्क देखभाल करते हैं उच्च पैदावार के लिए खवार और अन्य वंचित अंशु की काट छांट निर्धारित समय पर सिंचाई तथा उर्वरक डालना आवश्यक है इसी प्रकार संबंधों में अनाया यश भारती शाखाओं और भ्रांतियों को खुले संवाद से निष्क्रियता करना अवश्य के संबंधों को सम्मान देने वाला जाना मत है कि इन्हें जीवंत और स्वस्थ रखने की प्रक्रिया में कदाचित दूसरों के अनुचित व्यवहार की अनदेखी करनी होगी स्वयं ही सही होने पर दूसरे को दूर ग्रह में समक्ष चुकाना होगा अच्छे संबंध चीजें हुई शाह को धारा देते हुए हुकुम उमंगो और आशीर्वाद इयों को संपुष्टि करते हैं अंधे अपने दुर्भागा में ही तुम्हें उन्हें स्वस्थ पर जीवंत रखना होगा इस आशय में परिजनों मित्रों सहकर्मियों आदि से संबंधों को समय-समय पर तरोताजा रखने के प्रयास करने होंगे अन्यथा यह नेट पर राण हो जाएगा दूसरों के सरकारों में योगदान दें कर्तव्य विशेष अवसरों पर उपहार के आदान-प्रदान से संबंध जीवंत रहते हैं सहज निश्चल व्यवहार से झज्जर होते संबंधों में नई जान फूंकी जा सकती है नए संबंध बनने के साथ भावनात्मक संबल प्रदान करते हुए पुरानी संबंधों को संरक्षित रखना भी अनावश्यक है ©Ek villain # संबंधों में जीव अनंता #Luminance
अमित अनुपम
मदिरा अनंत मदिरा कथा अनंता। मदिरालय है मंदिर और मदिरापान हैं करते इनके भक्ता। मदिरालय में ही आकर बह जाए धर्म की आड़ में जो नफरत पलता। ऊंच नीच और जाति पाति का इसके आंगन भेद है मिटता। छल, प्रपंच, द्वेष या फिर नफरत सब मदिरा पीते ही है छंट जाता। होश में जो अक्सर झूठ बोले पीकर वो सब सच कह जाता। कोई मदिरा पीकर वांचें ज्ञान कोई मदिरा पीकर हुड़दंग मचाता। सही रूप निखरकर है बाहर आये दो घूंट मदिरा जैसे ही अंदर जाता। गम जो नासूर बने रहते दिल के मदिरा पीते ही कम हो जाता। बिन मदिरा पीये जो होते दुश्मन। पीकर मदिरा वो हो जाते भ्राता। राष्ट्र भक्तों की गर गिनती हो इनका नंबर है पहला आता। अर्थव्यवस्था को दिया सहारा। फिर भी है इनको दुत्कारा जाता। मदिरा रहस्य है मुश्किल बड़ी हर किसी के समझ न आता। मदिरा अनंत मदिरा कथा अनंता। अमित अनुपम मदिरा अनंत मदिरा कथा अनंता।
Yogi Sonu
हरी अनंता हरी नाम अनंता भगवान हमारी सोचने की छमता से कही अनंत है जितना हम सोच भी नही सकते।। ©Yogi Sonu #SunSet हरी अनंता हरी नाम अनंता भगवान हमारी सोचने की छमता से कही अनंत है जितना हम सोच भी नही सकते।। #yogisonu
Birendra k Mishra
बंदउ गुरु पद पदुम परागा सुरुचि निवारे सरस अनुरागा मंगल भवन या मंगल हारी द्रवहु सुदसरथ अजर बिहारी हरि अनंत हरि कथा अनंता कहानी सुना हूं बहु बिधि सब संता © Birendra k Mishra #NojotoRamleela हरि अनंत हरि कथा अनंता कहां हो सुना हूं बाहुबली सब संता
Sangeeta Kalbhor
महिमा तुझी.. महिमा तुझी अनंता मी जाणू कशी सांग ना कळू येतेयं इवले इवले निमिषभर थांब ना साक्षात्कार तुझा असा कसा मला दिधला देवा भोळीभाबडी माझी का आवडली तुला सांग सेवा तुला स्मरुणिया वेग आता पाऊलात माझ्या येणार आहे धरुनी हात माझा तू तुझ्यासवे नेणार आहे दृष्टादृष्ट होता अवचित सुटले बघं सगळे कोडे अंतरातूनी सांगते अनंता जीव मला तुझ्याकडेचं ओढे..... मी माझी..... 14/02/2024 ©Sangeeta Kalbhor महिमा तुझी अनंता मी जाणू कशी सांग ना कळू येतेयं इवले इवले निमिषभर थांब ना साक्षात्कार तुझा असा कसा मला दिधला देवा भोळीभाबडी माझी का आवडली तु
Akash Das
#Never_Eat_Meat झोटे बकरे मुरगे ताई। लेखा सब ही लेत गुसाईं।। मग मोर मारे महमंता। अचरा चर हैं जीव अनंता।। किसी भी प्राणी की हत्या करो वह परमा
भुवनेश शर्मा
नित धरो ध्यान हरि का, करो बारंबार प्रणाम इन्हें समस्याएं सदा साथ रहेगी, मुस्कुराकर करो स्वीकार इन्हें राधे-राधे❣️ शुभ रात्रि😊😊🌷🌷🌹 हरि अनंत हरि कथा अनंता 😊🙏 आराध्य श्री❣️ केशव 🌷🌷😊 केशवराय पाटन, बून्दी ❣️😊😊 Self click 🌷🌷🌷🙇🙇🙇
Shree
सुनो ना, चेतना, वेदना, संवेदना, प्रेरणा सब तुमसे है... सुनो ना, मिलन, विरह, सम्मान, शृंगार, स्वाभिमान तुमसे है… सुनो ना, तन, मन, धन, अंतर्मन, सर्वस्व कण-कण तुमसे है... सुनो ना बेचैनी यह, मेरा चैन, संयम, ईच्छाएं सब तुमसे है... सुनो ना सर्दियों में अंगीठी सा ताप, गर्मियों में बरगद की छांव तुमसे है...! सुनो ना, चेतना, वेदना, संवेदना, प्रेरणा सब तुमसे है... सुनो ना, मिलन, विरह, सम्मान, शृंगार, स्वाभिमान तुमसे है…
क.वि
अस्थी शेवटचा अर्थ माणुसकी च्या कष्टानं दगड वाटची पायपीट करताना पायाच्या टाचच्या खाचा जवा भळाभळ लाल सुर्ख रक्त गाळत होत तवा ध्यान गेल नाही का रं का अजून डोक फो