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Mohit Pathak
उसकी बातों पर हमें यकीन हो ही चला था कि इतने में उसने आँख मार दी..!! दिल का क्या कसूर?
दिल का क्या कसूर?
read moreVijay Kumar
जो बातें कभी दिल से निकाल कर होठों से बाहर ना आए हो उन बातों की अहमियत को तो सिर्फ दिल ही समझता है दिल की बातें दिल ही जाने दिल ही बड़ा बेचैन है ©Vijay Kumar दिल का क्या कसूर
दिल का क्या कसूर #कविता
read moremaher singaniya
बहुत समझाया है मैंने इस दिल को पर अब ये मेरी सुनता नहीं हर धड़कन में अब तुम हो बसे की ये सपना कोई बनता नहीं तुम अब मेरे नहीं हो सकते ये दिल भी जनता है पर इस दिल का क्या कसूर ये तो तुझे ही खुदा मानता है तुम कहते हो जीवन में आगे बढ़ो सब ठीक होगा लेकिन तुम्हें भी पता है कि तुम्हारी तरह कोई मुझे समझ सकता नहीं बहुत समझाया है मैने इस दिल को पर अब ये मेरी सुनता ही नहीं... भले ही ऊपरवाले ने हमारी जोडी ना बनाई हो लेकिन इस जीवन में कुछ पल ही सही तेरे होने का एहसास हुआ, इससे बड़ी क्या खुदाई हो बस दुआ है यही रब से... जब जिंदगी दे तो तेरे साथ नहीं तो जिंदगी ना दे बहुत समझाया है मैंने इस दिल को पर अब ये मेरी सुनना नहीं ऐ मेरे हमदम मुझ पर एक ओर एहसान कर आखिरी ख्वाहिश है दिल की यही समझकर मेरा दिल तो रौशन है बस तेरे ही होने से इसलिए इस दिल में तुम कभी अंधेरा करना नहीं बहुत समझाया है मैने इस दिल को पर अब ये मेरी सुनता नहीं...! ©maher singaniya दिल का क्या कसूर...
दिल का क्या कसूर...
read moreShailendra Uniyal
इंसान घर बदलता है, लिबास बदलता है, रिश्ते बदलता है, दोस्त बदलता है ,फिर भी परेशान क्यों रहता है , क्योंकि वह खुद को नहीं बदलता एक शायर ने लिखा है उम्र भर ग़ालिब यही भूल करता रहा धूल चेहरे पर थी और वह आईना साफ करता रहा दिल का क्या कसूर
दिल का क्या कसूर #शायरी
read moreDinesh Kumar
तुम उलझे रहे हमे आज़माने में और हम हद से गुज़र गए तुम्हे चाहने में #NojotoQuote दिल का क्या कसूर
दिल का क्या कसूर
read moreAbhi Samaddar Nanakmatta sahib
पत्थर दिल के लिए कुछ भी कर लो उन्हे कोई फ़र्क नहीं पड़ता दिल का क्या कसूर साहिब
दिल का क्या कसूर साहिब
read moreVickram
हर एक बात को दिल से लगाना ठीक नहीं दिल तो इकलौता साथी है अपना इस जहां में हमने अपनो को स्वार्थ करते देखा है आजकल तुम से ज्यादा तेरे लिए रोते हुए देखा है इसे चाहे कुछ भी हुआ ज्यादा असर दिल पर हुआ कुछ पल 2 घड़ी इसे भी कभी आराम दें दें धड़कता रहा सीने में किसी मजदूर की तरह जो कुछ था पास उसके था सिर्फ तेरे ही लिए आज हद से ज्यादा मौतें है दिल की बदौलत जब झेला ना गया घडी की तरह बंद पड़ गया ©Vickram आंखिर दिल का क्या कसूर था,,
आंखिर दिल का क्या कसूर था,, #शायरी
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