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दिनेश कुशभुवनपुरी
Yashpal singh gusain badal'
साहस तुझको भी मिल जाएगा तेरे तमन्नाओं का शहर, हौसले हैं तो फलक तक परवाज कर । मुश्किल क्या है अगर मंसूबे जिद्दी हो जाएं , बुलंदियां सजदा कर दें, मुश्किलें फ़ना हो जाएं । रास्ते सच्चे हों तो मुश्किलें हजार होती हैं, खिजां का इक दौर गुजरता है तब बहार होती है । जीतता वही है जिसके हौसलों में जान होती है, मायूसी तो हारे हुए की पहचान होती है। तू तो बस इतना कर ,बेधड़क,बेझिझक उड़ान भर, मंजिलें तो इतराती ही है, अपने मुश्किल तान पर। मगर तू झूम ,मस्ती के तरन्नुम गा ,बिंदास हर मोड़ पर, तेरे सपने भी चले आयेंगे नीचे, फलक को छोड़ कर । रचना- यशपाल सिंह " बादल " खिजां-पतझड़ / मंसूबे-इरादे /फ़ना- बर्बादी सजदा- अभिनंदन,झुकना / फलक-क्षितिज ©Yashpal singh gusain badal' साहस तुझको भी मिल जाएगा तेरे तमन्नाओं का शहर, हौसले हैं तो फलक तक परवाज कर । मुश्किल क्या है अगर मंसूबे जिद्दी हो जाए
Yashpal singh gusain badal'
साहस तुझको भी मिल जाएगा तेरे तमन्नाओं का शहर, हौसले हैं तो फलक तक परवाज कर । मुश्किल क्या है अगर मंसूबे जिद्दी हो जाएं , बुलंदियां सजदा कर दें, मुश्किलें फ़ना हो जाएं । रास्ते सच्चे हों तो मुश्किलें हजार होती हैं, खिजां का इक दौर गुजरता है तब बहार होती है । जीतता वही है जिसके हौसलों में जान होती है, मायूसी तो हारे हुए की पहचान होती है। तू तो बस इतना कर ,बेधड़क,बेझिझक उड़ान भर, मंजिलें तो इतराती ही है, अपने मुश्किल तान पर। मगर तू झूम ,मस्ती के तरन्नुम गा ,बिंदास हर मोड़ पर, तेरे सपने भी चले आयेंगे नीचे, फलक को छोड़ कर । रचना- यशपाल सिंह " बादल " खिजां-पतझड़ / मंसूबे-इरादे /फ़ना- बर्बादी सजदा- अभिनंदन,झुकना / फलक-क्षितिज ©Yashpal singh gusain badal' तुझको भी मिल जाएगा तेरे तमन्नाओं का शहर, हौसले हैं तो फलक तक परवाज कर । मुश्किल क्या है अगर मंसूबे जिद्दी हो जाएं , ब
Bhuvnesh Chakrawal
ज़मीं से फ़लक तक, जमीं से फ़लक तक सितारों को सजाया है, खिजां से बहार तक फूलों को महकाया है, मैं क्या तारीफ करू तेरे नूर ऐ हुस्न की तुझे देख कर तो आज चांद भी सरमाया है। #zameen #noor #hushn #love खिजां= पतझड़
JASRANA
तेरे बिन गुजरते बारों से क्या याद बन चुभ रहे खारों से क्या निगाहों में खिजां का मौसम है जिस्म को सैर-ए-बहारों से क्या दिल की हर चाह तो अधूरी है नज़र को टूटते तारों से क्या जड़ों से खा लिया है दीमक ने शजर को चल रहे आरों से क्या तूफान-ए-बहर से बचा ना सके ऐसे कम्बख्त किनारों से क्या दिल तो प्यासा रहा मुहब्बत में बे-पनाह बह रहे धारों से क्या बारों - समय खारों - काँटों खिजां - पतझड़ शजर-पेड़ तूफान-ए-बहर - समंदर का तूफान #तेरे बिन
brijesh mehta
ये चमन जिंदगी का बस यूं हे चमन, इस चमन में बहारे-खिजां कुछ नहीं । वो ना आए तो समझो खिजां के हैं दिन, और जो आएं तो समझो बहार आ गई। .. ©brijesh mehta ये चमन जिंदगी का बस यूं हे चमन, इस चमन में बहारे-खिजां कुछ नहीं । वो ना आए तो समझो खिजां के हैं दिन, और जो आएं तो समझो बहार आ गई।
Sachin Ratnaparkhe
"ग़ज़ल-ए-बारिश" आज आगोश-ए-बारिश में भीगता शहर देखा, भीगती जवानियां ओ उन्मादी महशर देखा। रोज तो जल रहे थे हम तपिश-ए-आफताब से, आज उसी आफताब का बादलों में सफर देखा। घोर सुनसान सा रहता था जो बागवान अक्सर, आज उसी बागवान में खिलता गुलमोहर देखा। सूखती टहनियां और खिजां से जो था आतंकित, आज पुनर्जन्म लिए वो हराभरा शज़र देखा। इन ठंडी हवाओं से जो हुआ मौसम खुशनुमा, इन्हीं हवाओं में पैगाम-ए-इश्क का पैगंबर देखा। चाहे फुहार हो या फिर हो मूसलाधार बारिश, हुस्न-ए-जाना का तिश्नगी जिस्म होते तरबतर देखा। महक-ए-बारिश से जितना मदहोश हुआ है राही, इश्किया ज़ाम से तेज मगर आशिकाना ज़हर देखा। #ग़ज़ल_ए_बारिश #आगोश_ए_बारिश बागवान #खिजां #उन्मादी_महशर #हुस्न_ए_जाना #तिश्नगी_जिस्म #महक_ए_बारिश #तपिश_ए_आफ़ताब
brijesh mehta
** ये चमन जिंदगी का बस यूं हे चमन, इस चमन में बहारे-खिजां कुछ नहीं। वो ना आए तो समझो खिजां के हैं दिन, और जो आएं तो समझो बहार आ गई। ©brijesh mehta ये चमन जिंदगी का बस यूं हे चमन, इस चमन में बहारे-खिजां कुछ नहीं। वो ना आए तो समझो खिजां के हैं दिन, और जो आएं तो समझो बहार आ गई। #मंमाधन
Mo k sh K an
कुछ इस तरह खिजां बनी मेरी हबीब आँखों के आस-पास बस इज़्तिराब रह गए #mera_aks_paraya_tha #मेरा_अक्स_पराया_था #खिजां #na_shona_ke_pairhan_na_meetha_ke_pair #ना_मीठा_के_पैराहन_ना_शोना_के_पैर #chapter_3_iddat #इ
Mo k sh K an
मयस्सर हैं खिजां की सीने में ठूंठ हैं ज़ब्बात के कि अबके बारिशें कुछ रूठ कर ऐसे गई मुझसे #mera_aks_paraya_tha #na_shona_ke_pairhan_na_meetha_ke_pair #ना_मीठा_के_पैराहन_ना_शोना_के_पैर #मेरा_अक्स_पराया_था #खिजां #chapter_3_iddat #इ