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Pankaj Singh Chawla
ऐ इंसान Shave करनी है तो अपनी सोच की कर, अपने दिल में जमी मेल की कर, किसी ने करनी है अगर तेरी परख, वो तेरे दिल तेरी सोच से करेगा, फिर चाहे करे तू लाख सवर ले, जिस्म की रोज़ Shave कर ले, सब धरा रह जायेगा, एक दिन तू खूब पछतायेगा, अभी है वक़्त संभल जा रोज़ अपने दिल को Shave किये जा, गलत सोच को निकलकर अच्छी सोच को जगह दिए जा।। #शेव #shave #soch #thinking # challenge #yqbaba #yqdidi #yq #yourquotes #writer #writing
ओम नमः शिवाय
Ajab Singh
अगर मान ले कि राम थे तो मेरा एक प्रश्न है उस समय में इतना क्लीन शेव किस औजार से होता 2500 साल हड़प्पा सभ्यता में भी सेविंग का कुछ नहीं मिला तो रामायण के हिसाब से रामायण कितनी पुरानी है उस समय किस औजार से दाढ़ी बनाई जाती थी थोड़ा वर्णन करने की कृपा करें ©Ajab Singh रामायण के समय में दाढ़ी किस औजार से बनाई जाती थी। इतना क्लीन शेव उस समय में कैसे। तर्क बाद तर्क #जय भीम
Mohd Hasnain
● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने गोदरेज सोप की गोल डिबिया से साबुन लगाकर शेव बनाई है। जिन्होंने गुड़ की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है। ● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने गोदरेज सोप की गोल डिबिया से साबुन लगाकर शेव बनाई है। जिन्होंने गुड़ की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या
● *हम वो आखरी लोग हैं*, जिन्होंने गोदरेज सोप की गोल डिबिया से साबुन लगाकर शेव बनाई है। जिन्होंने गुड़ की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या
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दिवाळीचा फराळ.... चकली, चिवडा, करंजी, कडबोळी, अनरसे, शेव, शंकरपाळे, अन् लाडू... या साऱ्यांचे भरणार आहे संमेलन... चिवडा म्हणे होणार मी अध्यक्
दिवाळीचा फराळ.... चकली, चिवडा, करंजी, कडबोळी, अनरसे, शेव, शंकरपाळे, अन् लाडू... या साऱ्यांचे भरणार आहे संमेलन... चिवडा म्हणे होणार मी अध्यक् #story #nojotophoto
read moreAtul Kaul
कई बार ऐसा महसूस किया है की लखनवी तहज़ीब खोखली दिखावटी व बनावटी बला नही है। इसमें बहुत मज़बूत सम्बल है तजुर्बे के और इनमे दानाई का ज़ख़ीरा पिन्हा है। आज मैं सिर्फ एक रुख की बात करना चाहता हूं और वो इसी समूह की किसी टिप्पणी से ही जन्मा है। जब हम देखते है की हमारी बात कोई दूसरा दोहरा रहा है इस तरह की वह उसका जना है तो हमारी मानसपटल पर दो तरह की मुदाफत होती है। एक तरफ हमें नाज़ होता है की हमारी बात इतनी पसन्द करी गई है की लोग उसे दोहरा रहे है और इस क़दर कीमती पायी गयी है की लोग उसे चुरा रहे है और हमारी वो सोच इतनी पारस है कि उन्हें भी कुंदन बना रही है। दूसरी तरफ हमे ये डाका लगता है, हमे ये लगता है हमी के सहारे चढ़ कर हमी से क़द निकाल रहे है और हममे जैसे कोई कमी कर दे रहे हैं। अब मुद्दे पर...पहली व दूसरी प्रतिक्रिया आमतौर पर कब होती है। पहली तब होती जब करने वाला आपका अपना हो, आपकी नजर में उसकी इज़्ज़त को, आपको वो अपने से ज़्यादा दानिशमंद व कामयाब दिखे। दूसरी तब जब वो मुख़ालिफीन हो, आपकी नजर में कमज़र्फ हो,व इखलाक़ी मायने में छोटा हो या नाकामयाब हो। पहली प्रतिक्रिया मसर्रत का बायस है और दूसरी... अब मूल हमारी तहज़ीब का खुलूस और दूसरे को अपने से पहला समझना व उस तरह से बरताव करना है। ये हर समय सम्भव कैसे है। Fake it till you make it इस फॉर्मूले का ये सही समय है उपयोग का। आखिरकर क्यो? सिर्फ अपनी खुशी के लिए और उसे दोबाला
ये हर समय सम्भव कैसे है। Fake it till you make it इस फॉर्मूले का ये सही समय है उपयोग का। आखिरकर क्यो? सिर्फ अपनी खुशी के लिए और उसे दोबाला
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दिवाळीच्या पंधरा दिवस आधी घराघरात खमंग वास सुटायचे एकमेकांच्या मदतीला सगळेच धावायचे लाडू चिवडा चकली करंज्या कडबोळी,शेव भलतीच मज्ज्या आक
दिवाळीच्या पंधरा दिवस आधी घराघरात खमंग वास सुटायचे एकमेकांच्या मदतीला सगळेच धावायचे लाडू चिवडा चकली करंज्या कडबोळी,शेव भलतीच मज्ज्या आक #story #nojotophoto
read moreAnamika Nautiyal
हर पुरुष के गर्भ में पलता है पिता का वात्सल्य वैसे ही जैसे हर महिला महसूस कर पाती है ममता को बगैर माँ बने पुरुष के भीतर भी पिता की भाव
हर पुरुष के गर्भ में पलता है पिता का वात्सल्य वैसे ही जैसे हर महिला महसूस कर पाती है ममता को बगैर माँ बने पुरुष के भीतर भी पिता की भाव #अनाम_ख़्याल #पुरुषमन #पिता_की_भावना
read moreHarry Banarasiya
हम वो आखरी पीढ़ी हैं.......... #यादें #आखरी #बचपनकीयादें *हम वो आखरी पीढ़ी हैं*, जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बै
#यादें #आखरी #बचपनकीयादें *हम वो आखरी पीढ़ी हैं*, जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बै
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