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बेजुबान शायर shivkumar
ज़िन्दगी ने सफर मे ©बेजुबान शायर shivkumar #बेजुबानशायर #कविता #कविता95 #Nojoto #life #कविताहिन्दी #हिन्दीकविता #हिन्दीलेखन
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read moreसूर्यप्रताप स्वतंत्र
Village Life कहीं दिलों में गाँव गली या किसी मकाँ में। कैसी भी हो आग बुझाई जा सकती है। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #villagelife #कविता_संगम
सूर्यप्रताप स्वतंत्र
White उसको भी तो कार चाहिए। जिसके घर तक सड़क न जाती। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #car #कविता_संगम
सूर्यप्रताप स्वतंत्र
green-leaves लोग पुराने साल नया है। अश्क़ नहीं रुमाल नया है। किया सवाल पुराना है पर। जिसने किया सवाल नया है। लाख कमाल हुए हैं लेकिन। ऐसा हुआ कमाल नया है। दुनिया बहुत पुरानी है तू। अपनी चाल सँभाल नया है। अब फ्यूचर की प्लानिंग कर ले। आने को जंजाल नया है। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #GreenLeaves #कविता_संगम
सूर्यप्रताप स्वतंत्र
White मिले न ये आसान गुसाईं। मुश्किल है पहचान गुसाईं। दोनों तरफ़ बिछी हैं लाशें। जीवन है शमशान गुसाईं। हमने उसको चोर बताया। जिसका है सम्मान गुसाईं उतना ही अच्छा है क्या वो। जितना उसका ज्ञान गुसाईं। जिसको धन की भूख नहीं है। वो सच्चा धनवान गुसाईं। राम राम करके मर जाना। ऐसा हो गुणगान गुसाईं। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #love_shayari #कविता_संगम
सूर्यप्रताप स्वतंत्र
White सिर्फ़ तुम्हारे हाँ कहने से तुम देखोगे। दुनिया की दीवार गिराई जा सकती है। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #love_shayari #कविता_संगम
Vikash Kumar
White " हमारी बिटिया " मेरी संगिनी उनको रुबिका कहतीं है और मैं उन्हें कायनात कहता हूं , मेरी संगिनी उनको दिन कहतीं है और मैं उन्हें चांदनी रात कहता हूं , मेरी संगिनी उनको भावना कहतीं है और मैं उन्हें जज़्बात कहता हूं , मेरी संगिनी उनको हल्की सर्द कहतीं है और मैं उन्हें पूश की रात कहता हूं , मेरी संगिनी उनको गुलमोहर का फूल कहतीं है और मैं उन्हें सावन की बरसात कहता हूं । ©Vikash Kumar #कविता_और_चिंतन
सूर्यप्रताप स्वतंत्र
Unsplash तुम्हें हर शर्त है मंजूर, हमको इसलिए भाए। मोहब्बत हो तो इतनी हो, कि नफ़रत जान से जाए। हमारी आँख का पानी, तुम्हारी आँख से छलके। हमारी देह की ख़ुशबू, तुम्हारी देह से आए। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #lovelife #कविता_संगम
सूर्यप्रताप स्वतंत्र
White पूरा ईकोसिस्टम देखो, ताज लगा पहनाने में। हाथ नहीं उपलब्धि कोई भी, दादी जी का पोता है।। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #Animals #कविता_संगम
सूर्यप्रताप स्वतंत्र
White tiप्रेम क्या? तुम जान पाते। तो हमेशा मुस्कुराते। फिर को'ई चाहत न रहती। जो गले, हमको लगाते। हो गए क्यों दूर हमसे। क्या हुआ ये तो बताते। कुछ समझते तुम हमें भी। और कुछ अपनी सुनाते। तुम हमेशा याद रखते। इस तरह दुनिया घुमाते। रेगज़ारो में तुम्हें हम। खोदकर पानी पिलाते। तुम जहाँ से भी गुज़रते। फ़ूल राहों में बिछाते। हम वहीं रहते खड़े और' धूप में खुद को सुखाते। प्रेम कर सकते कहाँ तक। हम तुम्हें करके दिखाते। क्या नहीं करते भला हम। तुम अगर जो मान जाते। यार जब भी भूख लगती। हाथ से खाना खिलाते। तुम अगर हमसे कभी भी। रूठ जाते तो मनाते। शौक़ पूरे करने' ख़ातिर। उम्र भर पैसा कमाते। रोज़ तुमसे बात करके। ख़्वाब में तुमको बुलाते। छोड़कर जाते नहीं तो। हम तुम्हें अपना बनाते। और क्या करते बताओ। और कैसे हम निभाते। प्रेम क्या? तुम जान पाते। जब गले हमको लगाते। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #love_shayari #कविता_संगम