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Ek villain
वेदों का ज्ञान संपूर्ण मानव जाति के लिए पथ प्रदर्शक है अथर्व वेद और यजुर वेद के मंत्रों में इसे संसार को तेल में बिकवाली पर थराली नदी के समान कहा गया है यह संसार रूपी पर थराली नदी भी अपने तेलुगु प्रभाव से बहा रही है इस में पड़े हुए भाग्य पदार्थ के बड़े-बड़े से चलने वाले पत्थर ही हमारी यात्रा में सबसे बड़ी बाधा है सांसारिक ताकि इस नदी का तेज वेग में बहा कर ले जा रहा है अर्थात जीवन तिरुपति से व्यतीत होता चला जा रहा है भौतिक पदार्थ की बड़ी-बड़ी सिलाओ से कदम कदम पर ठोकर लगने का भय रहता है इस संसार रूपी नदी को पार किए बिना मनुष्य को शाश्वत सुख-शांति के प्रति नहीं हो सकती भोग इच्छा को संस्कार अधर्म की वासना तथा पापों की भारी बोझ से हमने अपने आप को बोझिल बना रखा है इस नदी को पार करने में यह व्यर्थ का बोझ सबसे बड़ी रुकावट है वेद हमें संचित करते हुए कहते हैं कि स्वर प्रथम को वासना और धर्म पाठ तथा तामसिक प्रवृत्तियों की दूज को यहीं तक दो और अपने अंत करण को हल्का करो पवित्र एवं विषय विवाह सुनाओ से निर्मित अंत करण ही हमें इस नदी को पार करने के लिए पूरी शक्ति प्रदान करता है अधर्म पाप तथा तामसिक प्रवृत्तियों का बोध हमारी शक्ति ज्ञान तथा बल को ऋण कर देता है मनुष्य जीवन की आध्यात्मिक यात्रा में यह विषय वासनाओं का व्यर्थ बोस अधोगति की ओर ले जाने वाला है अतः अपना कल्याण चाहने वाले प्रत्येक मनुष्य को इस संसार रूपी नदी को कुशलता पूर्वक तैरकर पार करने का बल अर्जित करना चाहिए हमारे धर्म ग्रंथ में इस संसार को भवसागर भी कह गया है श्रेष्ठ सात्विक अध्यात्मिक परिवर्तनों पुष्पक्रम की संपत्ति तथा पवित्र अंत करण के माध्यम से इस भवसागर तथा संसार रूपी नदी को सरलता से पार किया जा सकता है यही मनुष्य जीवन का स्वर पर ही लक्ष्य माना जाता है यही लक्ष्य जीवन का सार्थक प्रदान करता है ©Ek villain # हिंदी दिवस पर कुछ विशेष संसार रूपी नदी #worldhindiday
Dr Aruna KP Tondak
क्या मैं उस मोड़ पर हूँ!! जहाँ तेरी जरूरत तो थी, पर तुझे कहा नही; डूबना ही था हमको जानते थे हम!!😢 क्योंकि हमें बचाने वाला अब यहाँ रहा नही तैरना आता नही था,, फिर भी उतरी उस नदी में जिस नदी की गहराई को क़भी मैंने मापा नही©अरुणाkp® #Hope #नदी #हिंदी #नोजोटो
Dr Mahesh Kaushik
हिंदुस्तान के माथे सजी है हिंदी जन-जन की प्यारी बनी है हिंदी हिंदी है मान स्वाभिमान हमारा हिंदी है पूरे राष्ट्र की आंख का तारा हिंदी ही है प्रेम की अविरल धारा एकता के गीत का संगीत प्यारा जनमानस के हृदय बसी है हिंदी।। हिंदी हम सबका विश्वास है विकास की आशा व प्रकाश है खुशहाली का झरना बिंदास है सप्त सुरों की माला यह खास है संस्कृति की प्रहरी बनी है हिन्दी।। ऋषि मुनियों का आशीर्वाद है ये वेद पुराणों का अनुवाद है हिंदी की हुकूमत निर्विवाद है हिंदुस्तानी दिलों का आह्लाद है गीता सी धरोहर बनी है हिंदी ©Dr Mahesh Kaushik हिंदी दिवस पर एक कविता #Darknight
Kumar Pushpendra
दो कदम साथ चलकर तुमने साथ चलना छोड़ दिया। खाकर संग जीने की कसमें तन्हा मुझको छोड़ दिया। कसूर क्या था मेरे मासूम दिल का जो एक पल में तोड़ दिया। क्यो छोड़कर मेरी दुनिया गैरों से रिश्ता जोड़ दिया। मेरी सूनी दुनियां में तुम आज भी नज़र आते हो। खामोश पड़े रास्तों में तुम आज भी मुस्कुराते हो। जब निकलता हूँ तन्हा बाहर की दुनियां में हर कदम पर तुम ही नजर आते हो। तुम ही नजर........... ©Kumar Pushpendra #हर कदम पर हिंदी कविता #lunar
kumar parth shukla
✍️✍️🌹बेजुबा है,,पर न जाने क्या क्या बयां करती है, किताबे। हमें जीने का रोज नया सलीका बयां करतीहै,, किताबे हमें संस्कार सिखाती है, किताबें। हमें सही पथ पर यह ले जाती है किताबें। हर रोज नया सबक और सबब दे जाती है,, किताबें।हमे आपस में मिलकर रहना सिखाती हैं,, किताबे।🌹🌹 कवि – पार्थ शुक्ला ###❤️❤️हिंदी दिवस पर कविता