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Anupama Jha
एक दूजे के पूरक हम एक दूजे से अपनी पहचान प्रेम,विशेषण अपना तुम गर संज्ञा,तो मैं सर्वनाम। #संज्ञा #सर्वनाम #yqdidi #विशेषण
Salim Saha
एक शराबी की दास्तां, सोच रहा हूँ दारू छोड़ दूं, पर किसके सहारे छोडू ? सभी कमीने है साले पी जायंगे !! ©Salim Saha सर्वनाम# दारू छो#ड़ दो पर किसके सहारे छोड़ो#
kuldeep yadav
Vibha Katare
" सर्वनाम का अत्याधिक प्रयोग व्यर्थ भ्रम की उत्पत्ति का कारक होता है । जहाँ संज्ञा आवश्यक है वहाँ सर्वनाम को आराम ही करने दीजिये । " - सर्वनामों से त्रस्त एक संज्ञा सर्वनाम की सम्पूर्ण व्यथा और कथा अनुशीर्षक में पढ़िए। संभवतः आदिकाल में जब प्रकृति विभिन्न स्तरों पर सृजनरत थी, तब भाव और संवादों की नवकोपल भी भाषा रूपी तरु के उद्भव की ओर अग्रसर रही होंगी और सं
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
Maa MY FIRST poetry on MOM HOPE YOU LIKE माँ क्या है? माँ नूर है,हूर है माँ बेटे का गुरूर है। माँ दीप है,रूप है,धूप है। माँ नदी है,रती है सती है। माँ मन है,धून है, जूनून है। माँ दूर है,पास है,एहसास है। माँ अस्ल है,नस्ल है,वस्ल है। माँ प्यार है,व्यवहार है,संसार है। माँ सागर है,साहिल है,सैलाब है। माँ मंजिल है,रास्ता है,वास्ता है। माँ दौलत है,हसरत है,इनायत है। माँ चाहत है,आदत है,मोहब्बत है। माँ इबादत है,इज्ज़त है,इजाजत है। माँ सजदा है,मेहताब है,आफताब है। माँ अभेद्य है,अखंड है,प्रचंड है। माँ शब्द का अंत नही, माँ तो अनंत है। ~अंकुर (Dear Comrade) माँ क्या है? माँ नूर है,हूर है माँ बेटे का गुरूर है। माँ दीप है,रूप है,धूप है। माँ नदी है,रती है सती है। माँ मन है,धून है, जूनून है। माँ द
Adv.Pramod@Basti
Rakesh Dwivedi
दीवारों पर लिख दो कहीं नाम मेरा इशारों में उभरे गा कहीं नाम मेरा उठेगी जब उंगली उस पर तो कहना संज्ञा हूं मैं वह बस सर्वनाम मेरा वैसे समझे ना समझे। कि क्या कुछ समझे? समझने को बचा क्या सरेआम मेरा? ©Rakesh Dwivedi दीवारों पर लिख दो कहीं नाम मेरा इशारों में उभरे गा कहीं नाम मेरा उठेगी जब उंगली उस पर तो कहना संज्ञा हूं मैं वह बस सर्वनाम मेरा वैसे
SawanYadav0209
तुमने सिर्फ इश्क सुना है, पढा है देखा है हमने किया है जिया है हारा है सहा है ©SawanYadav0209 तुमने सिर्फ इश्क सुना है, पढा है देखा है हमने किया है जिया है हारा है सहा है