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आनन्द कुमार
तारिणी हूं पतवार हूं,स्वयम में मझधार हूं। आने दो तूफानों को,मै तैयार हू। निर्मल सारिता की धारा हूं, कोमल हूं ,आशीष हूं,चली आ रही सदियों की परम्परा का उजाला हूं। अन्धकार में प्रज्जवलित ज्वाला हूं। आनन्द हूं,आकाश हूं,मै ही जलता प्रकाश हूं। तांडव हूं, तुषार हूं, शत्रुओं के लिए हाहाकार हूं। दीप जलाओ, शत्रुओं के दिल तो स्वयम जलेगा। कोरोना हो या कोई और संकट सब भारतीय मिलकर एकजुट होकर लड़ेंगे। ----------आनन्द तारिणी हूं पतवार हूं,स्वयम् में मझधार हूं।
Anita Saini
प्रथमा माँ शैलपुत्री आदिशक्ति माता सती शिव सानिध्य धारिणी।।१।। द्वितीय ब्रह्मचारिणी जप तप त्याग तपस्या वैराग्य व संयम धारिणी।।२।। तृतीय, चतुर्थ, पंचमी, षष्ठी क्रमशः चन्द्रघण्टा, कुष्मांडा स्कंदमाता, कात्यायनी, सृष्टि सृजना देव रक्षिणी।।३।। सप्तमी, अष्ठमी, नवमी कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री पापमोचनी, दुष्ट संहारिणी, भव सागर तारिणी।।४।। ©Anita Saini #navratri प्रथमा माँ शैलपुत्री आदिशक्ति माता सती शिव सानिध्य धारिणी द्वितीय ब्रह्मचारिणी जप तप त्याग तपस्या वैराग्य व संयम धारिणी
Seema Katoch
रोज़ सुलझा लेती हूं अपने सपनों का ताना बाना और बुन लेती हूं ,रंग बिरंगे ख्वाब... ख्वाब मेरी इच्छाओं और मेरी कल्पनाओं के, जो कहते हैं.. मुझे भी चाहिए,एक मेरा आसमान जिसमे उड़ सकूं,मैं स्वच्छंद और छु पाऊं क्षितिज, या बह निकलूं,तारिणी बन कर, तोड़ सब किनारे कलकल बहती/ बस बहती ही जाऊं... न दबा सके कोई मेरा स्वर । लेकिन ....... चाहने और होने का अंतर पाटना लगता कभी कभी कठिन इसलिए... रोज़ पकाती हूं अपने खावों को खाने के साथ,धूप लगवाती हूं गीले कपड़ों के साथ, चमकाती भी हूं,जूठे बर्तनों के साथ.... अपने हर कलाप में सहेजती हूं .. और बुन लेती हूं,रंग बिरंगे ख्वाब रोज़ सुलझा लेती हूं अपने सपनों का ताना बाना और बुन लेती हूं रंग बिरंगे ख्वाब... ख्वाब मेरी इच्छाओं और मेरी कल्पनाओं के, जो कहते हैं.. मुझे
Anita Saini
पूरब हो या पश्चिम उत्तर हो या दक्षिण सारे जहाँ से अच्छा हमारा प्यारा देश है। तुलसी पीपल बरगद पूजे जाते नागों को भी यहाँ दूध पिलाते कण कण में ईश्वर का समावेश वन उपवन की यहाँ गाथा विशेष (बाकी रचना अनुशीर्षक में) पूरब हो या पश्चिम उत्तर हो या दक्षिण सारे जहाँ से अच्छा हमारा प्यारा देश है। तुलसी पीपल बरगद पूजे जाते नागों को भी यहाँ दूध पिलाते कण कण
भाग्य श्री बैरागी
वह अंत नही, हर नए युग का आगाज़ है, वो महिला है,वो कहाँ किसी प्रशंसा की मोहताज़ है। 🙏🏻कृपया अनुशीर्षक में संपूर्ण रचना पढें🙏🏻 सभी महिलाओं को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की ढेरों शुभकामनाएं💐💐💐🙏🍫🍫💕💕 अम्मा मैं ना ब्याह रचाऊँगो, या तो काजल की कोर धरी, तेरे लल्ला को देख
Divyanshu Pathak
ॐ जयंति मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। अर्गला स्तोत्रम ऊं जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी..... । दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते।। 1।। जय त्वं देवी चामुण्ड
Nir@j
हम पर अपनी कृपा बनाए रखना माँ❤️ 🙏🙏🙏🙏 #माँदुर्गा #जयमातादी ऊं जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी । दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ।1) जय त्वं देवी चामुण्डे ज
AK__Alfaaz..
दिव्य आभा हे दिव्य तनया, माँ लक्ष्मी सम तुम हरिप्रिया, दिव्य देवी हे दिव्य परमश्वेरी, दैवीय अनुपम अद्भुत ममत्व कृति, दिव्य सुलोचन नैना दिव्य कंठ मधुरतम् तान, मस्तक धवलित दिव्य चंद्र दीप्तिमान, दिव्य प्रकाशिनी हे दिव्य पतित पावनी, ममता मयी माँँ गंगा सम कलुष तारिणी, दिव्य मुखमंडल हे दिव्य वेद ज्ञान धारिणी, माँ महाश्वेता सम अद्वितीय कल्याण कारिणी, दिव्य आभा हे दिव्य तनया, माँ लक्ष्मी सम तुम हरिप्रिया, दिव्य देवी हे दिव्य परमश्वेरी, दैवीय अनुपम अद्भुत ममत्व कृति, दिव्य सुलोचन नै
Sanu Mishra
"वेदान्तप्रतिबोधिता विजयते विन्ध्याचलाधीश्वरी" वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्द्वकृत शेखराम। वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम॥ श्री दुर्
AK__Alfaaz..
कल, साँझ ढ़ले, मंगल के मंगल को, चैत्र नवरात्रि पर, माँ का आगमन हुआ, माँ शैलपुत्री, नवमी को माँ सिद्धिदात्री संग, माँ नव कन्या रूप मे पधारी, कल, साँझ ढ़ले, मंगल के मंगल को, चैत्र नवरात्रि पर, माँ का आगमन हुआ, माँ शैलपुत्री, नवमी को माँ सिद्धिदात्री संग, माँ नव कन्या रूप मे