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Garima

प्रेम का सार्थक अर्थ.... #RIPRohitSardana

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#RIPRohitSardana प्रेम जिसमे जो समर्पण, त्याग की हो भावना 
प्रेम जिसमे रूह से संवाद की हो 
भावना
प्रेम जो अमरत्व को पाकर अधूरा 
ही रहें 
प्रेम जो द्वापर में राधा और कान्हा 
ही करें।

©Garima प्रेम का सार्थक अर्थ....

Garima

प्रेम का सार्थक अर्थ भाग -2

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प्रेम ऐसा जो नदी सा अनवरत बहता रहें
प्रेम जो निस्वार्थ होकर जा समुंदर में गिरे
प्रेम का  ये योग जो संयोग से  बनता रहें
अनकहे ही शब्द में परिभाषा गढ़ता रहे.

©Garima प्रेम का सार्थक अर्थ भाग -2

Ek villain

#सार्थक जीवन का सूत्र #selflove #Society

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जिंदगी भर हम कुछ ना कुछ खरीदते रहते हैं हम सोचते हैं कि यह चीजें हमें शारीरिक और मानसिक सुख प्रदान करेगी असलियत में हमें क्या खरीदना चाहिए यह हमें मालूम नहीं होता दुनिया में बहुत कुछ मिल रहा है हमें समझ नहीं है कि क्या खरीदे और हम पर क्या असर होगा जैसे कि जो चीज हमारे सेहत के लिए अच्छी है तो हम उसे खाएंगे और अगर खराब हो तो हम उसे नहीं खाएंगे यही बात हमारी जिंदगी के आध्यात्मिक पहलू पर भी लागू होती है हम अपने समय सही चीजों को पाने में लगाने चाहिए हर 1 दिन में सिर्फ 24 घंटे का इस्तेमाल अगर सही तरीके से करेंगे तो हम अपनी मंजिल की ओर तेजी से बढ़ेंगे महापुरुष के चरण कमलों में लोग दूर-दूर से इसलिए आते हैं क्योंकि वह उन्हें अध्यात्मिक जागृत देते हैं यदि महापुरुष के चरणों में पहुंचकर भी हमने उनसे पैसे और दुनिया की अन्य चीजें मांग ली तो फिर हमने अपनी असली रूप के लिए कुछ मांगा ही नहीं और ना ही अपनी आध्यात्मिक उन्नति की ओर कदम बढ़ाया हमारी जिंदगी बड़ी अनमोल है अगर हमने उसको बाहरी दुनिया के सुखों में ही व्यतीत कर दिया तो हम असलियत से बहुत दूर चले जाएंगे सतगुरु एक शिक्षक की तरह हमें आत्म ज्ञान देकर ध्यान की विधि सिखाते हैं जैसे-जैसे हम ध्यान अभ्यास करते हैं तो हमें अपने अंतस में प्रभु की दिव्य ज्योति से जुड़कर सदा सदा खुशी प्राप्त करते हैं

©Ek villain #सार्थक जीवन का सूत्र

#selflove

Ek villain

# सार्थक जीवन का सूत्र #lovebond

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प्रतिदिन हम इस सोच और संकल्प के साथ आरंभ करें कि आज हम कुछ नया करना है फिर दिन की समाप्ति पर यह विश्लेषण करें कि क्या हम आज कुछ ऐसा कर सकें जिससे हमारे व्यक्तित्व कृति में कुछ नया जुड़ा हो इसका वस्तुनिष्ठ आंकलन आवश्यक है परंतु अतिरेक विश्लेषण भी अनुपातिक होता है बीते कल में हमने क्या खोया क्या पाया इस गणित को कुछ समय के लिए अनदेखा करें अनर्थ असफल महत्वकांक्षी लापरवाह पर्यटन कमजोर निर्णय और अंधेरे स्वपन हमें परेशान करेंगे इसलिए आज सिर्फ जीवन के इस आदेश को मूर्ति रुप देना है कि हम वही बनना है जो सच में हम हैं इसलिए आवश्यक है कि क्योंकि सभी समस्याओं का मूल यही है कि हम जो देखते हैं वास्तविकता में वैसे नहीं होते इसी दौरे पर में जीवन की सभी श्रेष्ठ बताएं अर्थ खो बैठती हैं नई उपलब्धियों की आकांक्षा रखने वालों को राय भी नींद नहीं तय करनी पड़ती है हमारी समस्या यही है कि हम नजारे तो नहीं देखना चाहते हैं परंतु पुराने रास्तों को छोड़ने का जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं समरण रहे कि यदि कुछ ऐसा पाना चाहते हैं जो आपके पास पहले नहीं है तो उसके लिए प्रयास भी कुछ ऐसा ही करना होगा जो पहले कभी नहीं किया हमें स्वयं को कई अनावश्यक चीजों से गिरे रखना होगा जो कहे बगैर हमें भटकाती रहती हैं समय के साथ व्यक्ति बदलता है परंतु जीवन मूल्य नहीं दायरे और दिखाएं बदलती हैं मगर आदर्श और उधर से नहीं संवेदना शीलता में करुणा संतुलन धैर्य और विकास का समावेश होना ही चाहिए ताकि सुख मिटना सके और स्वार्थ फैलना सके जो व्यक्ति का सही नियोजन करना समय के साथ निर्माण के लिए हस्ताक्षर करना संभावनाओं को सफल परिणाम में बदलना संतुलन और सपने की पूर्णता देना दृष्टिकोण को सम्यक रखना और भाग्यवादी ना बन कर स्वयं भाग्य रचना जानता हो वही सार्थक जीवन जीता है

©Ek villain # सार्थक जीवन का सूत्र

#lovebond

Ek villain

#भारत और भारतीयों का सार्थक विमर्श #Moon #Society

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एक ऐसे समय में जब भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा था और स्वतंत्र की शताब्दी वर्ष के लिए लक्ष्य तय कर रहा था तब इस महान राष्ट्र की अतीत का छाप वर्तमान के रुझान और भविष्य की संभावना के तेल लेने की प्रति उत्सुकता भाव का बढ़ना स्वाभाविक और संदर्भ में लेख पत्रकार अध्यापक संजय दिवेदी का समय अनुकूल अंतरिम सरकार जाएगा उन्होंने अपनी इस हरकत से पुस्तक भारत बोधगया समय में परिचय भी अवश्य विंदू को स्पष्ट लक्ष्य संसाधन इस किताब में त्रिवेदी ने भारत की वास्तविक कल बना उसकी महान विभूतियों राष्ट्रीय को परम वैभव के लक्ष्य तक पहुंचाने की रूपरेखा से प्रेषित करने का प्रयास किया है भारत के नए समय करते हुए कहते हैं कि हमारा देश एक नया भारत का राष्ट्रीय अनुसूचित के समय वे राष्ट्रीय परियोजना को बताता प्रभारी पश्चिमी अवधारणा के उल्टा वह भारत को एक राजनीतिक नहीं आप उसे संस्कृत अवधारणा से ओतप्रोत राते बताता है लेकिन लेखक का मानना है कि राष्ट्रीय गौरव के बढ़ने की दिशा में अग्रसर होने से पहले हम भारत की संसद एवं अवश्य विशेषताओं का वर्णन करें कि उन्हें आत्महत्या करने की आवश्यकता है

©Ek villain #भारत और भारतीयों का सार्थक विमर्श
#Moon

Rahul Shastri worldcitizens2121

सत्संग का अर्थ

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Safar                                 July 10,2019

सत्संग का अर्थ होता है गुरु की मौजूदगी! गुरु कुछ करता नहीं हैं, मौजूदगी ही पर्याप्त है। 
ओशो सत्संग का अर्थ

RAVI KUMAR

#झुकने का अर्थ# #Motivational

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Aman Baranwal

जीवन का अर्थ

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मिट्टी का जिस्म और आग सी ख्वाहिशें,
खाक होना लाजमी है,
क्योंकि आदमी आखिर आदमी है! जीवन का अर्थ

Kuldip Sawalkar

p का अर्थ

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divya...

प्रेम का अर्थ...

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इश्क़ आज भी है मगर राधा- कृष्ण जैसा नहीं ...
होगे  एक - आध  भी उनके जैसे अगर...
तो उनको चैन का जीवन नहीं...
लोगो को प्रेम का  हर दस्तूर झुटा लगता है...
क्योंकि उन्होंने कभी किसी से ....
सच्चा प्रेम किया ही नहीं... प्रेम का अर्थ...
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