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Ashutosh Mishra
White ,,,,,Free,,,,,मुक्त,,, मनुष्य ही नहीं,अपितु सभी जीवों को स्वछंदता पसंद है। और यह सब का सर्वप्रथम अधिकार भी है किन्तु अव्सक्ता से ज्यादा स्वछंदता विनाश का ध्योत्क है प्रायः मनुष्य दुःखी अवस्था में अपने अमूल्य जीवन से मुक्ति चाहने लगता है,अपनी जिम्मेदारियों से भागने लगता है। जबकि यह सर्वथा अनुचित है। भागना चाहते हो,,,मुक्त होना चाहते हो,तो उन कमियों उन बुराईयों से दूर भागो,उनसे मुक्त हो, जिसके कारण तुम्हें यह कष्ट यह दुःख प्राप्त हुआ है। जैसे यदि हमारे शरीर में कैंसर होने पर उस हिस्से को काट-छांट के अलग कर देते हैं।। अलफ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #Free मुक्त होना है तो उन कारणों,उन आदतों से मुक्त हो जो तुम्हारे कष्टों का कारण है #Freedom #आजादी #मुक्त @hardik Mahajan Neel R... Ojha
Radhey Ray
White एक खत ................................................. 👉27/04/2024 अब जब मेरे होने या ना होने से मेरे किरदार मे कोई फर्क नही पड़ेगा। फिर खत्म करो प्रभु इस कहानी को क्यु इसे अब तक चला रहे हो l या तो खतम करो या फिर आगे की राह दिखाओ ये फिजूल की साँसों से अब मै ऊब गया हु..... तुम्हे देख सकता नही, अगर देख भी लिया फिर क्या ही हो जायेगा, पहले भी बदहाल थे, अब भी बर्बाद रहेंगे।।।।।।। 🚫ADDICTED ©Radhey Ray #GoodMorning अब मुक्त करो
अदनासा-
Jaymala Bharkade
एक गाव चहूदिशी वृक्षवेलींच्या संगतीने डोंगराच्या कुशीत गं निपचित वसल हे असे एक उनाड गाव ग डोंगराच्या कुशीत वसले हे जंगल दाट झाडेझुडे नि जंगली श्वापदे डोंगर घाटातून तयाची दगडाळ वाट घेई धाव या गावाची ही वाट असे हे जगापासूनी अलिप्त फार ©Jaymala Bharkade एक गाव
अदनासा-
Rohan Roy
समस्या में विचारों के भारीपन से दबे, हमें सब कुछ समस्या लगता है। विचार से मुक्त होते ही, सारी समस्या खत्म। बिल्कुल जल की प्रवाह बनकर, शांत बहने लगता है। ©Rohan Roy विचार से मुक्त होते ही, सारी समस्या खत्म | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for_life | #rohanroymotivation |
Avinash Lad
Red sands and spectacular sandstone rock formations गावं खेडे... ------------------ अवती भवती फिरता चाहूल लागे येण्याची, कानी पडे साद हळवी प्रेमळ माझ्या आईची... सळ सळ सळ सळ वारा येई गात गाणी, अंगण दिसे रंगीबेरंगी कोमेजल्या पाना फुलांनी... दूर दूरच्या पायवाटा ओढ लाविते गावाकडची, डोंगर दरी कपारी सांगे गम्मत जिवलग मित्रांची... मन सैर भैर क्षणात होता तेथे मैफिल असे पक्षांची, दाहीदिशा हिंडत गेलो तरी मौजमस्ती बालपणाची... नातीगोती बांधून सारी शोभा वाढे आयुष्याची, निवांत बसता क्षणभर खळी खुले गालावरची... झाडं वेली गवतफुलांनी रांगोळी घालती चहुकडे, दुरूनही आरोळी देतो सुंदर हसोळ गावं खेडे... ---------------------------------- कवी- लेखक: अविनाश लाड, राजापूर- हसोळ ©Avinash Lad गाव खेडे