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शब्दवेडा किशोर
White #गाव माझ्या काळजाचा.... शब्दवेडा किशोर तुही घेतलास आज ठाव माझ्या काळजाचा सांग ना वाचलास का कधी भाव माझ्या काळजाचा मी जळतो आहे कधीचा इथे सदा नियतीकडून मिळणारी अनेक दुःख पांघरून सांग ना पाहिलास का कधी काव माझ्या काळजाचा तू आधीच जा उधळून मनाला वाढव अंतर हे तुझ्या माझ्यात सांग ना ऐकलास का कधी साव माझ्या काळजाचा कळत-नकळतपणे नव्याने आता पुन्हा उठवू नको मनाला माझ्या सांग ना पाहिलास का कधी गाव माझ्या काळजाचा ©शब्दवेडा किशोर #आयुष्यातमाझ्या
Sachin Zanje
White मन भरून येत आठवणीत नेहमी ते स्मरत.. आपुलकीच्या ओढीत गाव हे फक्त आपलं गाव असतं.. श्री सचिन सदाशिव झंजे. ©Sachin Zanje #sad_quotes #सचिनझंजे.#गाव
Sarvesh Rhudaynath Gaikwad.
Rohit Unique
खुशी के माहौल में मौत का फरमान आ रहा हैं।। जो कहते थे गांव में क्या रखा है उसे आज गांव याद आ रहा है।। #गाव की गलियां।।।
#गाव की गलियां।।।
read moreविवेक कान्हेकर(जिंदगी का मुसाफिर,.🚶)
रस्ता और गाँव आज भी याद आता है लाल मिट्टी का रस्ता जो जाता है तालाब और मेरे खेत के बीच में से और रस्ते के किनारे है एक पिपल का पेड जिसकी छाव में तालाब के किनारे बैठ के रचना करना सीख गया. #मेरे #गाव का #रस्ता #NojotoHindi
Somya Tiwari (Poetic_Girl_Somu)
गाव की वह गरीब लड़किया जिन्होंने स्कूल को नहीं देखा वह पढ़ना चाहती है मेरे ज़ेहन में हमेशा यही सवाल आता है आखिर क्यों आज भी वो बेड़ियों में बंधी है जो डॉक्टर बन ना चाहती हैं ट्रेन में बैठना चाहती हैं उनके भी कुछ अपने सपने हैं जो वो मुकम्मल करना चाहती हैं शहर की बहुत सी लड़कियां जो अमीर है जो रोज एयरोप्लेन में बैठती है जो उन लड़कियों की मदद करना चाहती है उन गाव की लड़कियों को पढ़ाना चाहती है इनमे से पहली लड़की अभावों के कारण जिंदगी के सपने जी नहीं पाती और दूसरी दवाब के कारण अपने सपने पूरे कर नहीं पाती...✍️ #गाव $ubha$"#Uशुभ" Ritika Suryavanshi Nisha Dhiman Shraddha Yadav
Manoj A.Kale
#OpenPoetry निकलकर धूप मे,सब छाव धुंडते है, सुकून से जिने के लिए अपना गाव धुंडते है, गाव मे सुकून था अपने, शहर की भीड मे ये आज सोचते है, सिमेंट के घरो मे,वो खुशबू मिट्टी की कहा से आयेगी खुदगर्ज लोगो मे वो प्यार कहा से लायेगी, अपनापन तो बस गाव मे था, जहा यारो के यार मिला करते थे, सुख दुःख मे साथ खिला करते थे, वो पेडो के झुले अब गुम हो रहे है, लोग धिरे-धिरे अपने गावो से दूर हो रहे है, लेकिन अभी भी बुलाता है उन्हे वो गाव का आंगण, वो बचपन की यादे, वो माँ बाप की आँखे, रस्ता देख रही है.. #OpenPoetry_निकलकर_धूप_में
prayag pawar
आठवणींचे गाव जसे मोठे झालो दूर आम्ही गेलो गाव पाठी राहिले आम्ही पुढे निघालो छोटेसे कौलारू घर त्याला बांबूचे दार नेहमी सणासुदीला, सडा-रांगोळी दारोदार बहरली फुलझाडे दारी सजली तुळस प्रात:भक्तीचा प्रहर पाहता मंदिराचा कळस गाव आठवणींचे गाठोडे घट्ट पाठीवर घेतलेले व्याकुळ परतीच्या ओढीने क्षण अंतरी गुंतलेले... © प्रयाग पवार आठवणींचे गाव....
आठवणींचे गाव....
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