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Heer
किसान कोई तो बचाए इनको समझे कोई दर्द इनका भी, इनके हक के लिए भी तो कोई उठाए आवाज अपनी। लड़ते लड़ते हार भी जाते और फिर त्याग देते ये जीवन, फिर भी किसी के आगे फैलाते न हाथ अपने। सबका पेट ये है भरते खुद मगर भूखे ही सोते, फिर भी मुख से आह न भरते। ©Heer #farmersprotest #किसान
#farmersprotest #किसान #Poetry
read morekanchan rajput
शुभ विचार 15 अगस्त कीशुभकामनाएं इंडिपेंडेंस डे शुभकामनाएं कविता जय जवान जय किसान वेरी गुड
read moreVEER NIRVEL
कोई मुझे अपने दिल में घर बनाने की जगह देगा, या फिर प्रधान आवास योजना का फॉर्म भरु.... #Veer_Ki_Shayari ©VEER NIRVEL कोई मुझे अपने दिल में घर बनाने की जगह देगा, या फिर प्रधान आवास योजना का फॉर्म भरु.... #Veer_Ki_Shayari
कोई मुझे अपने दिल में घर बनाने की जगह देगा, या फिर प्रधान आवास योजना का फॉर्म भरु.... #Veer_ki_Shayari
read moreSuresh Saini
White किसान फसल उगता है चिड़िया चुराती है दाना हवा में उड़ने वाले को मुझे आता है जमीन पर लाना ©Suresh Saini #shayari किसान फसल उगाता है चिड़िया चुराती है दाना हवा में उड़ने वाले को मुझे आता है जमीन पर लाना
shayari किसान फसल उगाता है चिड़िया चुराती है दाना हवा में उड़ने वाले को मुझे आता है जमीन पर लाना #शायरी
read moreसौरभ अश्क
एक जोड़ी बैल हल और पालो एक ठो कुदाल एगो लूंगी, एक ठो गमछा और एक ठो बनियान गेहूं, मकई, चना के पावडर (सत्तू) छोटका प्याज हरका मरचाय सुखलो खटाय दस ठो रोपनिया एक ठो मोरकबड़ा आरु ढेर सन हिम्मत यही किसान के साथी छै धन्य छै हमरो देश के माटी जे 0 इन्वेस्टमेंट म पूरा देश के पेट भरए छै आरू हेकरे शहरी भाषा मे अनपढ़ गवार कहलों जाय छै। आज कल यह अनपढ़ गवार खेतो में देखाय छै, आरू पढ़लो लिखलो रेस्टोरेंट में, ©सौरभ अश्क #Beauty #किसान #अनाज #संग्रहित
amit
महाराष्ट्र सरकार ने शुरु की लाड़ला भाई योजना #Ladla Bhai Yojna Maharashtra #Eknath Shinde #Motivational
read moreहिंदी कहानियां
White यह एक साधारण ग्रामीण दंपत्ति की कहानी है। रामू और सीता एक छोटे से गाँव में रहते थे। रामू किसान था और सीता गृहिणी। दोनों ने एक-दूसरे से बहुत प्यार किया और हर दिन एक साथ बिताया।एक बार की बात है, जब रामू की फसल अच्छी नहीं हुई, तो वह बहुत चिंतित हो गया। सीता ने उसे हिम्मत दी और कहा, "फसल का क्या है, ये तो हर साल आती जाती है। हमें मिलकर इसका सामना करना होगा।" सीता ने अपने गहने बेचकर घर के खर्चे चलाने का निर्णय लिया। रामू ने भी मेहनत करके अपनी किसानी को सुधारने की ठान ली।रामू ने नई तकनीकों का इस्तेमाल कर अगले साल बेहतर फसल उगाई। इस बार उनकी फसल बहुत अच्छी हुई और उन्होंने अपने पुराने कर्ज भी चुका दिए।इस पूरे समय में, रामू और सीता ने एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा और एक-दूसरे को समर्थन देते रहे। उनकी मेहनत और आपसी समझ ने उन्हें हर कठिनाई से पार पाने में मदद की। उनके प्रेम और समर्पण की कहानी गाँव में मिसाल बन गई।इस तरह, रामू और सीता ने यह साबित कर दिया कि सच्चे प्रेम और आपसी समझ से हर कठिनाई का सामना किया जा सकता है। ©Gobind Kumar रामू किसान... हिंदी कविता
रामू किसान... हिंदी कविता
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