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Khan Sahab
नजरें तलाशती हैं जिसको वो प्यारा सा ख्वाब हो तुम, मिलती है दुनियां सारी, न मिलकर भी लाजवाब हो तुम, ©Khan Sahab #लाजवाब हो तुम
#लाजवाब हो तुम
read moreRameshkumar Mehra Mehra
मेरे दिल के पास हो तुम ©Rameshkumar Mehra Mehra # मै तुम्हारे लिए क्या हूं मुझे पता नही,पर मेरे लिए तुम कमाल की हो तुम....💕
# मै तुम्हारे लिए क्या हूं मुझे पता नही,पर मेरे लिए तुम कमाल की हो तुम....💕 #Quotes
read moremalay_28
White मेरे सपने वही हैं पर मेरे सपनों में तुम ना हो पराये हो गये अपने मेरे अपनों में तुम ना हो. ©malay_28 #तुम ना हो
Poet Maddy
ये जो नज़रें झुकाकर तुम कत्ल-ए-आम करती हो, इतना संगीन अपराध कैसे तुम सरेआम करती हो...... गर कोई देख ले तुमको कभी ग़लती से इक दफ़ा, तुम पलट कर देखती हो तो काम तमाम करती हो...... ©Poet Maddy ये जो नज़रें झुकाकर तुम कत्ल-ए-आम करती हो, इतना संगीन अपराध कैसे तुम सरेआम करती हो...... #Murder#Eyes#Crime#Publicly#See#ByMistake#LookBack#D
Rahul Raj Patel
अशांत तुम इसलिए हो क्योंकि जो गैर जरूरी के पिछे भाग रहे हो।। ©Rahul Raj Patel तुम अशांत हो
तुम अशांत हो #Life
read moreJerry
मेरे मन में तुम हो, मेरा दिल भी तुम हो , हर जगह तुम, मेरी शायरी में तुम ! एक चाय हों, तुम हो और साथ कुछ बाते , प्यार हो, सपने हो और सपनो में तुम हो ! फूल हो, खुसबू हो और खुसबू में तुम हो , दर्द हों, मलहम हों और मलहम मे तुम हों ! वायु हो साँस हो और साँसों में तुम हो , खेत हो फ़सल हो हर दाने में तुम हो ! मेरे खाने में तुम हो, मेरे खिलाने में तुम हो , जहां में देखू वहां तुम, जहान तुम हो ! मेरे मन में तुम हो मेरा दिल भी तुम हो , हर जगह तुम, मेरी शायरी में तुम ! ©Jerry #GingerTea मेरे मन में तुम हो, मेरा दिल भी तुम हो , हर जगह तुम, मेरी शायरी में तुम ! एक चाय हों, तुम हो और साथ कुछ बाते ,
#GingerTea मेरे मन में तुम हो, मेरा दिल भी तुम हो , हर जगह तुम, मेरी शायरी में तुम ! एक चाय हों, तुम हो और साथ कुछ बाते ,
read moreManish Raaj
वो तुम हो --------------- जिसकी सादगी में एक ताज़गी हो अदा और हया से भरी नज़रों में दुआ और दया ख़ास हो जिसकी होठों की हँसी के लिए हर ख़ुशी कुर्बान हो ख़्वाहिशों के लिए हर पल ख़ुदा मेहरबान हो जिसके जज़्बातों को समझने के लिए ख़ामोशी एक ज़रिया हो प्रकृति सा सहज और सजग जिसका नज़रिया हो याद ऐसी जैसे मन में बसा अपने देश का गाँव हो परछाईं जैसे तप्ति धूप में एक छाँव हो जिसका इस दुनिया में होना ही किसी के लिए मक़सद हो अक़्स में उसकी रूह देती दस्तक हो मासूमियत और क़ाबिलियत का कोई भी न सानी हो स्पर्श में अपनेपन की निशानी हो मनीष राज ©Manish Raaj #वो तुम हो
वो तुम हो #कविता
read moreअमित कुमार
मेरे हर अक्स मे जो नजर आती है वो हो तुम मेरे हर अरमानों को जो सजाती है वो हो तुम। रब से कुछ नही मागूं उनके खुशियों को छोड़कर हर धड़कन जिनके लिए फरियाद लगाती है वो हो तुम ©Amit वो हो तुम
वो हो तुम #शायरी
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