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VIKRAM KUMAR
तुम्हारे साथ बिताया हुआ हर पल मुझे याद आता है वह हसीम रातें मुलाकातें 6 मार्च 2024 को तुम्हारी शादी है मुझे भूख प्यास क्यों नहीं लग रही क्यों मुझे तकलीफ हो रही है ©VIKRAM KUMAR #टच
ਰਿਧੀਮਾ ਰਾਏ
*थोड़ा सा आदर का स्पर्श* *करके तो देखिये..* *इंसान का ह्रदय भी टच* *स्क्रीन से कम नही!!* *थोड़ा सा आदर का स्पर्श* *करके तो देखिये..* *इंसान का ह्रदय भी टच* *स्क्रीन से कम नही!!*
somnath gawade
आज प्रत्येकाला स्वतःच्या 'स्पेस' बरोबर स्वतः ची 'स्क्रीन'सुद्धा हवी असते.😎🤣😅 #स्पेस&स्क्रीन
Rajesh Kumar
*थोड़ा सा आदर का स्पर्श* *करके तो देखिये..* *इंसान का ह्रदय भी टच* *स्क्रीन से कम नही!!* 🌺🌺 *सुप्रभात* 🌺🌺
Shiv Narayan Saxena
बंधती कलाई पर हाथ की पर हाथ के बस में नहीं रखती है व्यस्त, आदमी के लेकिन यह बस में नहीं होकर न हुई अपनी ये घड़ी भी एक अजीब चीज़ है. महंगी है या सस्ती का नहीं भेद वफ़ादार है यह ग़रीब या अमीर नहीं समय है सबका यही घड़ी-घड़ी, हर घड़ी, घड़ी ही की तो जीत है सोये का नहीं मीत ये घड़ी भी अजीब चीज़ है. ©Shiv Narayan Saxena घड़ी-घड़ी.... #alarmclock
Subhash Rathva
दिल चाहे कितना भी । तकलीफ हो। तकलीफ देने वाला। दिल मे ही रहता है। ©Subhash Rathva दिल टच सायरी।। #lotus
Author Harsh Ranjan
वो स्क्रीन/बाजार में मनोरंजन है जिसके पीछे किसी का काला या सफेद पैसा और काला या सफेद दिमाग है। वो कुछ लोगों के लिए प्यारा रोजगार है, कुछ लोगों के लिए सस्ता, महंगा प्रचार है। वो कुछ लोगों का एजेंडा और कुछ लोगों का प्रोपोगेंडा हो सकता है। उसे देख किसी के मन में क्रोध, गर्व, तो किसी को लज्जा, घृणा या कि सिरे से विरोध होता है। कोई महंगा तो कोई सस्ता होता है पर गौर करोगे तो जानोगे प्लेटो के अलावा हर कोई मानता है कला का प्रोडक्ट अनुकरणीय और बड़े फीसद तक सच्चा होता है। स्क्रीन सहित्य और गलतफहमी
Author Harsh Ranjan
वो स्क्रीन/बाजार में मनोरंजन है जिसके पीछे किसी का काला या सफेद पैसा और काला या सफेद दिमाग है। वो कुछ लोगों के लिए प्यारा रोजगार है, कुछ लोगों के लिए सस्ता, महंगा प्रचार है। वो कुछ लोगों का एजेंडा और कुछ लोगों का प्रोपोगेंडा हो सकता है। उसे देख किसी के मन में क्रोध, गर्व, तो किसी को लज्जा, घृणा या कि सिरे से विरोध होता है। कोई महंगा तो कोई सस्ता होता है पर गौर करोगे तो जानोगे प्लेटो के अलावा हर कोई मानता है कला का प्रोडक्ट अनुकरणीय और बड़े फीसद तक सच्चा होता है। स्क्रीन सहित्य और गलतफहमी