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Nagvendra Sharma( Raghu)
हमने इस माटी को पूजा सजदे में शीश झुकाया है, बार बार के हमलों ने "गाँधी" का पाठ भुलाया है, लाशों का अम्बार लगा दुश्मन हम पर मुस्काया है, लगता है फिर से... 'शेखर', 'भगत', 'अशफाक' बनने का समय अब आया है। हमने इस माटी को पूजा सजदे में शीश झुकाया है, बार बार के हमलों ने "गाँधी" का पाठ भुलाया है, लाशों का अम्बार लगा दुश्मन हम पर मुस्काया है, लगत
#Jitendra777
"आत्मा" को "परमात्मा" से मिलाया करो, क़भी-कभार #मंदिर भी जाया करो। "श्रद्धा-विश्वास" रखते हो जो मन में, क़भी क़भी "ज़माने" को दिखाया करो। दुःख-दर्द में याद आता है हमकों जो नाम, "फुर्सत" में भी वो नाम गुनगुनाया करो। भक्त औऱ भगवान का रिश्ता हैं निराला, "प्रभु-चरणों" में रोज़ शीश झुकाया करो। "आत्मा" को "परमात्मा" से मिलाया करो, क़भी-कभार #मंदिर भी जाया करो। "श्रद्धा-विश्वास" रखते हो जो मन में, क़भी क़भी "ज़माने" को दिखाया करो। दुःख
Ravinder Sharma
Nagvendra Sharma( Raghu)
"चुनाव" इक चुनाव तो पार्थ तुम्हें स्वविवेक से ही करना होगा, नारायण या नारायणी में से किसी एक को ही चुनना होगा, नारायणी चुनोगे तो साथी तुम योद्धा वीर चुनोगे, मेरी चतुरंगिणी सेना ले तुम, पराक्रमी हुकार भरोगे, दुश्मन थर थर काँपेगा धरती अम्बर भी डोलेगा, हस्ती, अश्व, रथ, पदाति देख दुश्मन भी जय जय बोलेगा, मेरा क्या है मैं तो निर्बल अदना सा इक ग्वाला हूँ, नटखट, चंचल, सारथी और रण छोड़ भागने वाला हूँ, बस इतना कहना था कान्हा का मन दुर्योधन का डोल पड़ा, कृष्ण को रखो धनञ्जय तुम ही वो हँसते हँसते बोल पड़ा, "तथास्तु" बोल कर जब नटवर ने अपना हाथ उठाया, हर्षित होकर कौन्तेय ने फिर सहमति-शीश झुकाया ।। *चुनाव*(कृष्ण,अर्जुन व दुर्योधन संवाद) "चुनाव" इक चुनाव तो पार्थ तुम्हें स्वविवेक से ह
VINAY PANWAR 🇮🇳INDIAN ARMY💕💕
🇮🇳🙏🌹जय हिंद 🙏🌹🇮🇳 🙏🌹🇮🇳जय भारत 🙏🌹🇮🇳 तोड़ कर सारे रिश्ते नाते उसने यह चोला पहना था, वीरता या वीरगति मकसद यह उसका पहला था। शहादत पर उनकी आज हम को नाज है, जिनकी कुर्बानियो से हिमाल
Ravinder Sharma
मेरी दुआ shayar_lyricist ©Ravinder Sharma ❤️ हनुमान जयंती की शुभकामनाएं ❤️ Watch full vedio on you tube link available in below 👇👇👇 Subscribe on YOU TUBE : https://www.youtube.com/c
अज्ञात
पेज-75 फिर एक बात और भी और वो ये कि दूल्हे को भी तो अपनी खुशियाँ दिखानी है मगर दूल्हा खुद से नाचने लगे तब तो ये मर्यादा के विपरीत होगा... यहाँ हमारे शर्मा जी बड़े काम आये. एक ही झटके में मानक को उठाया और झूम झूमकर नाचने लगे... अब ज्यों ही शर्मा जी को नाचते देखा... हमारे आरव भैया कूद पड़े... बाजेवाले पसीने से लथपथ हुये जा रहे हैं मगर नृत्यकर्ताओं के ऊपर से जो न्योछावर उन्हें मिल रही है मानो आज ही पूरे वैवाहिक सीजन की भरपाई हो जानी है इसलिये गीतों का क्रम टूटने नहीं दे रहे हैं.. एक से बढ़कर एक नये पुराने फ़िल्मी गीतों की बौछार लगा दी है. आगे कैप्शन में.. 🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-75 आरव को देख पूरी युवा टीम तबीयत से डान्स फॉर्म में आ गई... अब हमारे विशाल जी कब तक सब्र करते.. उन्होंने भी आव देखा ना
Ravi Panday
जय भवानी⚔🔱🚩🔱⚔ वो खिलौनों से खेलने की उम्र में हथियारों से खेला करती थी। राजा रानी के किस्से सुनने की वजह राष्ट्रप्रेम के किस्से सुनती थी।दुश
Anupama Jha
कर्ण व्यथा (अनुशीर्षक में) आओ सुनाऊँ अपनी कथा क्या सोची किसी ने मेरी व्यथा? माता ने मेरा परित्याग किया गंगा में मुझे प्रवाह किया किन्तु,भाग्य था मेरा बहुत बलवान हुआ
Priya Gour
बीता अब चौमासा भी तैयार सब वानर सेनाएं, सीता की सुधि लेने राम जी का संदेश सुनाने कौन जाये, निश्चय हुआ पवन पुत्र हनुमान ही ये काज कर पाये, बजरंग बली बना रुप विशाल सौ योजन पार किये जाये, सूक्ष्म रूप धर लंका की पहरी का कर उदार,लंका में प्रवेश लिये, लंका में सुन राम जाप विभीषण का परिचय भी पाये, अब हनुमान अशोक वाटिका में पधारे जहाँ रावण दे उलाहने, सूक्ष्म रूप में बैठ वृक्ष पर लंकेश की बात सुन नीर बहाये, जानकी माँ से मिलकर राम प्रभु की सेनानी दिखाये, किष्किंधा में है प्रभु पल पल आप ही उनको याद आये, सिया कहे हे पुत्र कहना प्रभु जल्दी आइये देख रही में राहे, आश्वासन दे माँ को वाटिका से फल खाने की इच्छा जताये, अनुमति पा फिर वो फल खूब खाये और वृक्ष समूल उखाड़े, लंकेश की सेना में हाहाकार की एक वानर को वश ना कर पाये, रावण का प्रिय पुत्र भी प्राण खोया मेघनाद अब वाटिका जाये, बजरंग बली को वश में करने ब्रह्मास्त्र का बाण चलाया, मान रखने ब्रह्मास्त्र का पवन पुत्र हाथ जोड़ शीश झुकाया, रावण के समस्त ले जाकर सब वानर कह उपहास उड़ाये, मान रखने बंधा बंधन में कपि श्रेष्ठ मुस्करा कर उनका भ्रम हटाये, सब सोचे आखिर इस राम दूत को क्या सजा दी जाये, वानर को होती हैं अपनी पूंछ प्रिय लंकेश विचार कर बताये, क्यों ना इस उद्दंडी वानर के पूछ में आग लगायी जाये, महाबली मुस्कुराकर पूंछ बढा़ते जाये सारी लंका को आग लगाये, सोने की लंका धू धू कर लपटों में जलती जाये, सिया माँ से ले आशीर्वाद फिर लौट किष्किंधा आये, मंदोतरी सोचे ये लंकेश क्या विपदा हैं लाये, वानर नहीं साधारण भय से सबके हदय कांपे। ©Priya Gour जय श्री राम 😍💞 बीता अब चौमासा भी तैयार सब वानर सेनाएं, सीता की सुधि लेने राम जी का संदेश सुनाने कौन जाये, निश्चय हुआ पवन पुत्र हनुमान ही ये