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VISH
रडण्याचा माझ्या त्रास होणारा कोठे आहे.. ऐवढा कुणाला माझा अट्टाहास कोठे आहे.. आपलेच ईथे देतात दुःख हृदयला.. परक्याकडुनि प्रेमाची आस कोठे आहे... ✍🏻विष रडण्याचा माझ्या त्रास होणारा कोठे आहे.. ऐवढा कुणाला माझा अट्टाहास कोठे आहे.. आपलेच ईथे देतात दुःख हृदयला.. परक्याकडुनि प्रेमाची आस कोठे आहे.
Ibteeda Aarambh
जी चाहता हैं मैं तेरा दर्पण बन जाऊँ कभी तु मुझे इक ताक निहारें और कभी में बस तुझे देखती रह जाऊ। जी चाहता हैं मैं तेरी चॉदनी बन जाऊँ कभी तु मुझे अपने कोठे पर बुलाए और कभी में खुद तेरे कोठे पर चली आऊं।। #NojotoQuote कोठे-छत
kavi manish mann
सहस्त्र वर्ष की प्रतीक्षा देखो रंग ला गई। भव्य मंदिर बन रहा श्री राम छवि छा गई। श्रीराम की कृपा हुई जो सारे काम बन गए। मथुरा, काशी, हरिद्वार राम धाम बन गए। करोड़ों हिन्दू वीरों का बलिदान याद आ रहा। युगों से नहीं गूंँजा जो जयगान याद आ रहा। सत्य की विजय हुई 'मन' शुभ घड़ी है आ गई। भव्य मंदिर बन रहा श्रीराम छवि छा गई। #ram #श्रीराम #आयोध्या #मौर्यवंशी_मनीष_मन
Atish Shejwal
# कोठे जगतोय आपण ? संवेदनाहीन आहोत आम्ही विचाराने दीन आहोत आम्ही मुलींना सामान समजतो इतके नीच आहोत आम्ही रस्त्यावर चालणारी ती तुमची नसते संपती किती होणार रे या देशात निर्भयाची उत्पत्ती कधी बस मध्ये तर रेल्वेत तुमची माणुसकी मरते न्यायाच्या प्रतीक्षेत आमची न्यायव्यवस्थाही सडते मेणबत्त्या खूप जाळल्या अत्याचाराने ग्रासलेली प्रेतंही जाळली ज्यांनी केले अत्याचार आमच्या बहिणींवर तशी वासनांध व्यवस्थाही आम्ही पाळली जन्म घेण्यासाठी ती लढते रोज रोज इथल्या समाजातील डोळ्यांना ती नडते कित्येक टपले तिची आब्रू लुटण्यासाठी त्यांना पाहून रोज रोज ती रडते माहित नाही कधी तिची आबरू लुटली जाणार नाही माहित नाही इथल्या रस्त्यावर तिचा श्वास गुदमरनार नाही तिला मारले जातेय तिला तोडले जातेय तिला ही जगायचेय तिला ही जगायचेय. -अतिश शेजवळ #कोठे जगतोय आपण?
Abhishek Rajhans
सुना है बाजार में भी एक अलग ही बाजार होता है दिलो का नहीं ,हसरतो का कारोबार होता है लोग आते है वहां गमो से बेजार हो कर लापरवाह सी ज़िन्दगी की परवाह कहाँ होती है ज़िन्दगी सितम देती है ,सितमगर होती है कोई नींद खोजने आता है कोई गम भूलने जाता है हुस्न की गलियों में मोहब्बत नहीं दर्द को दिल से मिटाने का व्यापार होता है सुना है तबले की थाप पे कुछ घुंघरू सजे पाँव थिरकते हैं हर एक आह में लोग वाह-वाह करते है ये कोठे हैं साहब यहाँ ना इश्क कोई ना फरेब किसी से ना रिश्ते का जकड़न ना कोई बंधन यहाँ दिल नहीं ,जज्बात नहीं बस नोटों की बिसात पे कोई जीने के लिए कोई भुलाने के लिए दर्द-ए-जाम लबो से चिपकाए मिलते हैं. ये कोठे हैं साहब
Surya Ratre
वो भी कैसी बस्ती हैं जहाँ पर तू बस्ती है मर्जी तेरी थी न ना मजबूर होकर हस्ती है, लोगो ने इतना जाना है तू काम एक ही आना है, क्या ये सोच तुझे सताती है ? समपक्या तू वापस जीनी चाहती है ? क्या बचपन तेरा छीना था क्या मुश्किल तेरा जीना था , उन हालतो से हार चुकी हर रात अलग बिछौना था झांसा अच्छे जीवन का क्या देकर तुझको लाया छा क्या भूल चुकी हैं वो जो हर सपना तूने सजाया था, क्या आज भी तू तरस्ती है इस दलदल से बहार बाहर आने को क्या आज भी तू तरस्ती है फिर से घर जाने को क्या पहचान बनाने के लिए दुनिया ने तुझे उकसाया हैं? अगर नही तो फिर तूने ये रास्ता क्यों आपनाया है ? "गगूंबाई कोठे वाली को सर्मपित" ©Surya Ratre गंगूबाई कोठे वाली #apart