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river_of_thoughts
पूरे तीन घंटे बाद वह ‘सकीना-सकीना’ पुकारता कैम्प की खाक छानता रहा, मगर उसे अपनी जवान इकलौती बेटी का कोई पता न मिला. चारों तरफ़ एक धांधली-सी मची थी . कोई अपना बच्चा ढूंढ़ रहा था, कोई मां, कोई बीबी और कोई बेटी. सिराज़ुद्दीन थक-हारकर एक तरफ़ बैठ गया और मस्तिष्क पर ज़ोर देकर सोचने लगा कि सकीना उससे कब और कहां अलग हुई, लेकिन सोचते-सोचते उसका दिमाग़ सकीना की मां की लाश पर जम जाता, जिसकी सारी अंतड़ियां बाहर निकली हुईं थीं. उससे आगे वह और कुछ न सोच सका. #खोल_दो@मण्टो #Language_of_tears #खोल_दो #मण्टो_की_कहानियाँ
Vivek
पलकें खोलूं तो सामने तुम बंद हो पलकें तो तुम ही भीतर तुम संग ही तो जीवन सीख रहीं हूँ मैं हरदम तुमको खुद मैं जीकर तुम देखो तो सौंदर्य गज़ब हूँ मिलो जो तुम तो देखूं तुम्हें जी भर खुशियाँ ही बढ़ाने तो आये हैं अनंत से हम -तुम प्रेम की इस हरियाली ज़मीं पर ....!!! ©Vivek #पलकें खोलूँ
जनकवि शंकर पाल( बुन्देली)
खतरों से जकड़ा आसमान है, कहीं ऊंचे खंबे कहीं पर मकान है, हवा जहरीली वेसूरी ध्वनी, कैसे पंख पसारूं मौत का तूफान है! ©शंकर पाल पंख कैसे खोलू ?
पंख कैसे खोलू ? #जानकारी
read moreRicha Dhar
नेत्र नहीं खोलूंगी मैं(अजनबी)✍🏼✍🏼✍🏼 मेरी अंतस की पीड़ाओं का हो जायेगा तुम्हें फिर ज्ञान मैं नहीं चाहती,कि तुम्हें हो मेरे बारे में कुछ भान मुझे हो गया है ज्ञात तुम वो नहीं हो मेरे लिये इसलिये नेत्र नहीं खोलूंगी मैं ... मैंने तो सौंप दिया था तुम्हें गुप्त वेद मन्त्र की तरह पीड़ा का भार जिसे हास रूप देकर, कर दिया तुमने लोगों पर न्योछावर बन गई हूं मैं अब स्वयं उसी पीड़ा की दासी इसलिये नेत्र नहीं खोलूँगी मैं--- फिर भी कहते हो खोल दो अपने नेत्र, हो जाने दो फिर से पीड़ा का ज्ञान पर नहीं खोलूंगी नेत्र, नहीं करने दूंगी तुमको कोई भी अनुमान मिलकर परिहास किया है तुमने,मेरा और मेरी पीड़ाओं का इसलिये नेत्र नहीं खोलूंगी मैं--- परिचित तो तब भी थे तुम मेरी अन्तस की पीड़ाओं से, मगर फिर भी रही मैं वंचित तुम्हारी स्नेहाशाओं से, सारा विश्वास खो कर ही तो मैंने एक अविश्वास पाया है इसलिये ने नहीं खोलूंगी मैं--- ©Richa Dhar #sunkissed नेत्र नहीं खोलूंगी मैं
#sunkissed नेत्र नहीं खोलूंगी मैं #कविता
read morechandan
#NationalEducationday मंदिर मैं इतना खोलूँगा , जनता खुद बोलेगी, मेरे पास रूपया नहीं है चढ़ाने को। अब स्कूल खोलो बच्चे को पढ़ाने को। मंदिर मैं इतना खोलूँगा , जनता खुद बोलेगी, मेरे पास रूपया नहीं है चढ़ाने को। अब स्कूल खोलो बच्चे को पढ़ाने को।
मंदिर मैं इतना खोलूँगा , जनता खुद बोलेगी, मेरे पास रूपया नहीं है चढ़ाने को। अब स्कूल खोलो बच्चे को पढ़ाने को। #NationalEducationDay
read moreMonu Matoriya
किसी को सारे भेद मत दो। पछताओगे। फिर क्या भेद के सारे छेद पाओगे। सत्य वचन Mr.MTR भेद खोलै पोल Mr MTR 8058622883
भेद खोलै पोल Mr MTR 8058622883
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