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Anuj Ray

# प्रजातंत्र " #विचार

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Anjali Jain

और प्रजातंत्र पर कुठाराघात करती है।पेट्रोल और प्याज के भाव बढ़ जाएं तो कोहराम मचा देती है ये तो बहुत छोटी बातें हैं बाकी बातों से आप सब वाक़िफ़ हैं।दलगत ,जातिगत राजनीति करने वाले दल और नेता हर छोटे-छोटे मुद्दों पर, काल्पनिक समस्याएं खड़ी कर के जनता को भड़काते हैं और नासमझ जनता, नासमझ तो नहीं है अपना मतलब खूब समझती है, पर उसी हित की पूर्ति चाहती है जो सीधे-सीधे उससे जुड़ा है और दिखता है ।बड़ा हित, समाज हित और देश हित को भूल जाती हैऔर उनके लिए लड़ाई झगड़ा, दंगा-फसाद तक करने पर उतारू हो जाती है कई तो करवाये भी जाते हैं।
....और इस तरह बात-बात पर प्रजा का हित कर सकने वाला प्रजातंत्र ही लहु लुहान होता रहता है। प्रजातंत्र को ही मिटा देंगे, देश को ही नुकसान पहुचायेंगे तो हम खुद कहाँ बचेंगे?आज का जो वातावरण है  जिस तरह  बिना बात मुद्दे बना बना कर देश का वातावरण दूषित किया जाता है उसमें प्रजातंत्र का क्या हाल होता है आँखों के समक्ष है। #प्रजातंत्र#१९.०९.२०

#RaysOfHope

Anjali Jain

प्रजातंत्र अपने आप में बहुत ही अच्छी,सबसे अच्छी शासन-शैली है किंतु तब ,जब प्रजा  सभ्य,शिक्षित,संस्कारी, नैतिक व मानवता से युक्त हो,अन्यथा जितने फायदे जनता को मिलते हैं उससे ज्यादा नुकसान स्वयं जनता ही उठाती है।
जनता को शिक्षित, नैतिक,ईमानदार और मानवता से युक्त होना तो बहुत ही जरूरी है।
क्योंकि जब जनता व्यक्तिगत तुच्छ स्वार्थों की पूर्ति तक ही सोचती है तब जनतंत्र बहुत ही लाचार और असहाय हो जाता है। जनता ही अपने प्रतिनिधि चुनती है जाति, धर्म और अपनी जान-पहचान के आधार पर, उनकी अच्छाई,सच्चाई,योग्यता और ईमानदारी या नैतिकता तो देखती नहीं;
चुने हुए प्रतिनिधि अपनी बुद्धि, मानसिकता और जनता की मानसिकता को समझते हुए छोटे-छोटे हितों के टुकड़े कानून के रूप में उछाल देती है और उन टुकडों के बदले अपने लिए पूरी राजनीति रूपी रोटी हासिल कर लेती है जनता उनसे खुश हो जाती है। सभी प्रतिनिधि व पार्टियां ऐसी नहीं होती लेकिन हमारे देश में पिछले कितने ही वर्षों से ऐसी ही राजनीति होती रही है सो जनता भी उसी मानसिकता की हो गई है। #प्रजातंत्र#१९.०९.२०

#RaysOfHope

Anjali Jain

जैसे जातिगत राजनीति, ये सबसे बड़ा और गहरा ज़ख्म है भारत के प्रजातंत्र का।मुझे पहले तो पता नहीं था पर जैसे ही मैं शिक्षिका नियुक्त हुई और स्कूल में हाजिरी रजिस्टर में बच्चों का जाति अनुसार वर्गीकरण देखा तो बहुत ही आश्चर्य और दुःख हुआ।जातियाँ होती है पर स्कूल में जाति अनुसार बच्चों का फर्क क्यों? बच्चों से पूछना पड़ता था और आज भी पूछना पड़ता है बेटा, तुम किस जाति में आते हो,- जब समझ नहीं आता- कितने दुःख और आश्चर्य की बात है कि जब सरकार ही बचपन से, बच्चों का परिचय अपनी जाति से कराने पर आमादा है तो जनता का क्या कुसूर?
जातिगत आरक्षण और छात्रवृत्तियां प्रारम्भ से ही फ़र्क करना शुरू कर देती है और जनता को उसी मानसिकता का प्रशिक्षण दे देती है यही बच्चे बडे होकर उतना ही सोच पाते हैं और उस दायरे से बाहर नहीं निकल पाते।
....और हमारे प्रजातंत्र में इसी आधार पर चुने हुए प्रतिनिधि हर बात को जाति, धर्म और समाज से जोड़कर राजनीति करते रहते हैं और जनता जो अशिक्षित है बौद्धिक स्तर पर इतना सोचती विचारती नहीं है अपने संकुचित स्वार्थों के बारे में सोचकर, समाज हित और देश हित को बिसरा देती है। #प्रजातंत्र#१९.०९.२०

#RaysOfHope

Anjali Jain

वर्तमान सरकार देश हित में इतने बड़े बड़े और साहसी फैसले कर रही है पर अपनी रोटी  छिनती देख जिस तरह जनता को गुमराह किया जाता है भड़काया जाता है उनका इलाज कैसे हो?इन बातों को जनता को ही समझना होगा।
इसलिए पहले हर व्यक्ति को अपनी संकुचित सोच को छोड़ना होगा।उसे समझना होगा कि जनता का शासन होने का मतलब हर उचित अनुचित इच्छा का पूरा होना नहीं है।पहले देश की सुरक्षा, देश का हित ,उसी में व्यक्ति का हित समाहित है।
वैसे ही जैसे परिवार के हित में ही व्यक्ति का हित समाहित होता है।देश भी हमारा, इस प्रजातंत्र का विशाल परिवार है उससे अलग किसी भी व्यक्ति, जाति, वर्ग और धर्म का हित कैसे हो सकता है?
जिस दिन ये बात हर नागरिक समझ जाएगा, उस दिन से इस प्रजातंत्र की खुशियोंऔर सुरक्षा को कोई  सेंध नहीं लगा पायेगा।
जय भारत!जय हिंद!वन्दे मातरम! #प्रजातंत्र#१९.०९.२०

#RaysOfHope

Chandra Pokhriyal

प्रियांश जायसवाल

कविता:- लोकतंत्र(सुदामा पांडे का प्रजातंत्र) कवि:- धूमिल स्वर:- प्रियांश जायसवाल

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BANDHETIYA OFFICIAL

ताज लेकर तू बेताज रह,
राज लेकर तू नाराज रह,
तू राजा है, प्रजा हैं सब,
तुमको झेलें,रजा हैं सब,
तुमको सह लें,मजा हैं सब,
तू क्या,न पता,सजा हैं सब।

©BANDHETIYA OFFICIAL #प्रजातंत्र #जनतंत्र #लोकतंत्र क्या ?

#tanha

Ek villain

#चींटी टिड्डा और प्रजातंत्र #Nofear #Society

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आलस्य के कारण अपने ग्रैंडपा की दुर्दशा देख आज का टेंडर स्टेशन जा रहा था तो गुड़ बनाने की इसमें भी खानदानी रावता के कारण सांस लेते हुए गुण गुना का पूरा मन कर रहा था लेकिन उसे अपने पूर्वजों की तरह भूख से मरना भी नहीं था उन्होंने नैतिक शिक्षा की कहानी में पढ़ रहा था ताकि हमें पूर्वजों की गलती से सबक लेना चाहिए उसने ठंड में कमर कसी और बड़ा बरात की कठिन दिनों को सरल बनाने के निकल गया उसने सोचा कि चलो तथागत ही मेहनती के बाद एक चींटी से भी कोई टिप्स ले जाए तभी उसने पीछे से किसी की गुनगुनाने की आवाज सुनाई पड़ी उसने पलट कर देखा तो एक चींटी बाकायदा काला चश्मा लगाए और कानों में हेडफोन लगाए अति रिलैक्स मूड में बैठी हुई बादशाह के गाने के ना रही थी उसके स्वागत विशेषता के विपरीत इस कदर चिंता मुक्त बैठकर बोला क्या बात है छोटी बहन मुझे तो लगता है इसे तुम उल्लू के बैल में माफिया उस समय के अनाज इकट्ठा करने में लगी रही हो पर तुम बिल्कुल सत्ता पक्ष की विधायक की तरह इंजॉय कर रही हो क्या तुम भविष्य की चिंता नहीं है चलो अभी तक समय में मेरे साथ थोड़ा अनाज इकट्ठा कर लो टुडे का दुख पूर्ण समाप्त होने के बाद सिटी बोली यही समस्या है तुम तीनों की जहां और जब मेहनत करनी चाहिए तब नहीं करते हो चाहे तुम बोल रहे हो कि अब जंगल में प्रजातंत्र का अचानक टिंडा आश्रय देकर होकर बोला प्रजातंत्र आ चुका है मुझे भी मालूम है लेकिन उसमें काम चोरी और मेहनत के बजाय रिलैक्स रहने की बात कहां से आ गई मेरे भोले भाई यह तो तुम नहीं समझ पा रहे हो यह गीदड़ और भेड़िया जैसे लोग तक सत्ता पाने के लिए मुफ्त में सब कुछ लुटा दे रहे हैं

©Ek villain #चींटी टिड्डा और प्रजातंत्र

#Nofear

RAVI KUMAR

#झुकने का अर्थ# #Motivational

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