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arvind rajpoot
only 350 Rs top sound jaldi kare
only 350 Rs top sound jaldi kare #कविता #nojotophoto
read moreKs Vishal
मैं किस रूप में पाऊँ तुमको मैं तुम्हें तुम्हारे वास्तविक रूप में नहीं पा सकता हाँ मगर जिसने तुम्हें पाया है वो भी नहीं बता सकता कि तुम्हारे रूप में इस धरा के अलग अलग गुण हैं और वो सारे रूप तुम्हें वास्तव में दिखाने में निपुण हैं तो मैं किस रूप में पाऊँ तुमको मैं तुम्हें पवन की तरह छू लूँ क्या तुम्हारे ख़्याल का एक झूला बनाकर उसपर झुलूँ क्या कभी कभी जब तुम गुज़रती हो मेरे चेहरे को चूम कर मुझे लगता है तुम हो और मैं देखता हूँ पीछे घूम कर तुम तो नहीं मिलती मुझे मगर जाने क्यूँ महक जाता हूँ मैं उस पवन के छूते ही एक पंछी सा चहक जाता हूँ इसी तरह से उड़ती रहना तुम मेरे पास मेरा मन बनकर तुम यूँ ही मिलती रहना मुझे पवन बनकर तुम्हें नदी की तरह भी देख सकता हूँ मैं तुम्हें हृदय में गंगा के पानी की तरह रखता हूँ मैं तुमने सालों तक मुझे अपने प्रेम से भिगाया है ये शब्दों का हुनर तुम्हारे प्रेम ने ही मुझे सिखाया है एक नदी की तरह तुममें मैंने अपनी छवि पाई है मैंने हर रात तेरी बहती यादों के किनारे बिताई है तो यूँ मेरे साथ रहना मेरी यादों की कड़ी बनकर इसी तरह तुम मुझसे मिलती रहना नदी बनकर मगर जब मैंने जीवन को देखा एक हिसाब की तरह इन सब के बाद तुम नज़र आईं एक किताब की तरह जीवन भर साथ देती हैं किताबें इसलिए अच्छी होतीं हैं जागती भी हैं मेरे साथ और मेरे सीने पर सर रख कर सोतीं हैं मैं देर तक एक पन्ने पर रह सकता हूँ आगे भी बढ़ सकता हूँ मैं उसको पन्ने पलट पलट कर कई बार पढ़ सकता हूँ तो जब तक तुम कुछ नया न लिखो ख़ुद में सिमट कर मैं तुम्हें यूँ ही मिलता रहूँगा पन्ने पलट पलट कर.... ©Ks Vishal #hands #350
Ks Vishal
मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता लिए थे जिस दिन तुमने सात फेरे मेरे जीवन मे घिर आये थे अंधेरे तुम्हें तो रौशनी का घर मिला था एक खूबसूरत सा सफर मिला था मगर मेरा हर एक सपना उसी दिन एक झटके में झूठा हुआ था तुम्हें क्या पता मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता बसाई तुमने थी एक नई बस्ती मिटाई थी अपने दिल में मेरी हस्ती तुम अपनी रूह से मुझको छुड़ा रहीं थीं और अपने मेहंदी के रंग पे इतरा रहीं थीं मेरी ज़िंदगी का हर एक रंग उस दिन अपनी दीवार से छूटा हुआ था तुम्हें क्या पता मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता मेरे हिस्से में बस आँसू बच गए थे तुम्हारे धरती गगन सब सज गए थे मुझे है याद अब तक जो कुछ हुआ था तुम्हारा भगवान तुम पर खुश हुआ था मगर मेरा तो रब उसी दिन से मुझसे रूठा हुआ था तुम्हें क्या पता मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता धीरे धीरे मैंने अब ख़ुद को है बनाया एक मुकम्मल जहान है खुद का बसाया वो पुराने दिन अब कुबूल नहीं सकता मगर वो दिन भी मैं भूल नहीं सकता मेरे सपनों का शहर किसी ने हर तरफ लूटा हुआ था तुम्हें क्या पता मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता ©Ks Vishal #chaandsifarish 350
Vijay Kumar Ray
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read moreShrawan Singh
#OpenPoetry सावन का पहला सोमवार- चंद्रयान-2, दूसरा सोमवार-3-तलाक, तीसरा सोमवार-370 लग रहा है महादेव तांडव मुद्रा में हैं☺ हरहर महादेव🚩 #Article-350
#Article-350 #OpenPoetry
read moresofil Choudhary
Love and Hate 2 different sides of same coin..........🔮 Coin..........
Coin..........
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