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Kulvant Kumar

"आज जो व्यवहार आप समाज को अनुभव करा रहा हो, कल समाज आपके बच्चे के साथ भी ऐसा ही व्यवहार करेगा! #Life

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Pinki love status

#Loveमेरी दिल की धड़कन तुझसे है, मेरे सांसों की तड़पन तुझसे है #nojotohindi

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꧁ARSHU꧂ارشد

अधूरा महसूस करते हैं ख़ुद को आज कल , जैसे छोड़ गया हो कोई तामीर करते करते ... Manisha Keshav Ritu Tyagi Bandita Ishika NIKHAT (अलफ़ाज़ मेरे अप #Shayari

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । #कविता

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दोहा :-
अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार ।
पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१
मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।
खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२
वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद ।
ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३
तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद ।
छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४
बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप ।
अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५
मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद ।
हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६
मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग ।
उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७
हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन ।
सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८
खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन ।
सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९
टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश ।
वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१०
अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन ।
भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११
थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज ।
कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२
मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल ।
तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३
२५/०४/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-

अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार ।

पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१


मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।

Devesh Dixit

#किताबें_करतीं_हैं_बातें #nojotohindi #nojotohindipoetry किताबें करतीं हैं बातें मुझे किसी के सिसकने की, कहीं से आवाज़ आ रही थी। जो कि लग #Poetry #sandiprohila

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

लिए त्रिशूल हाथों में गले   में   सर्प   डाले  हैं । सुना  है  यार  हमने  भी  यही  वो  डमरु  वाले  हैं ।।१ नज़र अब  कुछ  इधर डालें  लगा  द #शायरी

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लिए त्रिशूल हाथों में गले   में   सर्प   डाले  हैं ।
सुना  है  यार  हमने  भी  यही  वो  डमरु  वाले  हैं ।।१
नज़र अब  कुछ  इधर डालें  लगा  दो अर्ज़  मेरी भी।
सुना हमने उसी दर  से  सभी  पाते  निवाले  हैं ।।२
यही    हमको    निकालेंगे   कभी   बेटे  बडे़  होकर ।
अभी  जिनके  लिए  हमने  यहाँ  छोडे़  निवाले  हैं ।।३
नहीं रोने दिया  उनको  पिया  खुद आँख का पानी ।
दिखाते आँख अब  वो हैं कि हम  उनके हवाले हैं ।।४
किसी को क्या ख़बर पाला है मैंने कैसे बच्चों को 
वहीं बच्चे मेरी पगड़ी पे अब कीचड़ उछाले हैं।।५
यहाँ तुमसे  भला  सुंदर  बताओ और क्या जग में ।
तुम्हारे नाम पर सजते यहाँ सारे   शिवाले  हैं ।।६
डगर अपनी चला चल तू न कर परवाह मंजिल की ।
तेरे नज़दीक आते दिख रहे मुझको उजाले हैं । ७
प्रखर भाता  नहीं बर्गर  उन्हें भाता  नहीं पिज्जा ।
घरों  में  रोटियों   के  जिनके  पड़ते रोज़  लाले  हैं ।।९

                       महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लिए त्रिशूल हाथों में गले   में   सर्प   डाले  हैं ।

सुना  है  यार  हमने  भी  यही  वो  डमरु  वाले  हैं ।।१


नज़र अब  कुछ  इधर डालें  लगा  द

Sethi Ji

💘💘 दोस्ती का सहारा 💘💘 💘💘 दोस्ती का सितारा 💘💘 मेरे दोस्त तेरी दोस्ती में ऐसा काम करूंगा अपनी जान से ज़्यादा तुझको प्यार करूंगा ।। आज कल स

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Suman__d99

कल को आसान बनाने के लिए आज आपको कड़ी मेहनत करनी ही पड़ेगी..” #मोटिवेशनल

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White कल को आसान बनाने के लिए आज आपको कड़ी मेहनत करनी ही पड़ेगी..”

©Suman Kumar कल को आसान बनाने के लिए आज आपको कड़ी मेहनत करनी ही पड़ेगी..”

AJAY NAYAK

#City #Trees *अपने अपनो के, कल के लिए, एक व्यक्ति एक पेड़ हरा भरा सबका भविष्य #lover #कविता

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Rabindra Kumar Ram

*** ग़ज़ल *** *** फ़ुर्क़त *** " आज इक दफा उस से मुलाकात हुई , फ़ुर्क़ते हयाते-ए-ज़िक्र अब जो भी हो सो हो , मुहब्बत में बचे शिकवे शिकायतें #कविता #गुंजाइश #अंजुमन #रक़ीबों #दाटने

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*** ग़ज़ल ***
*** फ़ुर्क़त ***

" आज इक दफा उस से मुलाकात हुई ,
फ़ुर्क़ते हयाते-ए-ज़िक्र अब जो भी हो सो हो ,
मुहब्बत में बचे शिकवे शिकायतें आज भी हैं‌ ,
आज उसे इक दफा गले लगाने को दिल कर रहा हैं ,
फकत अंजुमन कुछ भी तो कुछ बात बने ,
फ़ुर्क़त में उसे दाटने को जि कर रहा है ,
क्या समझाये की अब मुहब्बत नहीं हैं तुझसे ,
फकत तुझे महज़ इक याद की तरह रखी ,
तेरी तस्वीर आज भी इक पास रखी हैं ,
फिर जो कहीं मुहब्बत और नफ़रत की गुंजाइश हो तो याद करना ,
आखिर हम रक़ीबों से ‌दिल लगा के‌ आखिर करते क्या‌ . "

                           --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल ***
*** फ़ुर्क़त ***

" आज इक दफा उस से मुलाकात हुई ,
फ़ुर्क़ते हयाते-ए-ज़िक्र अब जो भी हो सो हो ,
मुहब्बत में बचे शिकवे शिकायतें
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