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Shaarang Deepak
Shri Hanuman Chalisa (श्री हनुमान चालीसा) chaupai (27 & 28) explained with Hindi meaning (हिंदी अनुवाद/ अर्थ) ॥ Let's Learn with The Mystic #भक्ति #hanumanjayanti #JaiShreeRam #Shorts #hanumanji #hanumanchalisa #hanumantemple #हनुमान_चालीसा #hanumanbhajan
read moreमोरध्वज सिंह
Follow me Friends ©मोरध्वज सिंह 13/04/2024 का पंचांग। #Love #Life #viral
13/04/2024 का पंचांग। Love Life #viral #hunarbaaz
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Follow me Friends ©मोरध्वज सिंह 08/04/2024 का पंचांग #Love #Life #viral
08/04/2024 का पंचांग Love Life #viral #hunarbaaz
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
voters day quotes in hindi विषय :- लोकतंत्र का उत्सव ,(मतदान) भूल नहीं माँ बहनो जाओ , करने को मतदान । एक-एक मत से है मिलता , तुमको नेक प्रधान ।।भूल-नहीं... देखो लालच में मत पड़ना , सभी लगाये घात । बिजली पानी सड़क खडंजा , लाये हैं सौगात ।। इनमें उलझ-उलझ कर देखो , खोना मत ईमान ।भूल नहीं ... बनके राजा जब बैठेंगे , देंगे पग-पग शूल । मगर नहीं दे सकते तुमको, वे बच्चों का स्कूल ।। अब खोल-खोल स्कूल जगत में, बनते सब धनवान ।भूल नहीं .. अपना मत अपनी इच्छा से , देने का अधिकार । बनो सजग मतदाता जग के , यह जग है परिवार ।। आसमान जब छुए तिरंगा , बढ़े देश का शान ।भूल नहीं... विरला ही भोता है जग में , नेता एक महान । चोर लुटेरे देख आज लो , करते धन को दान ।। इसी लोभ में फँसता देखो , भोला हर इंसान ।भूल नहीं... भूल नहीं माँ बहनो जाओ , करने को मतदान । एक-एक मत से है मिलता , तुमको नेक प्रधान ।। २८/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय :- लोकतंत्र का उत्सव ,(मतदान) भूल नहीं माँ बहनो जाओ , करने को मतदान । एक-एक मत से है मिलता , तुमको नेक प्रधान ।।भूल-नहीं... देखो लालच
विषय :- लोकतंत्र का उत्सव ,(मतदान) भूल नहीं माँ बहनो जाओ , करने को मतदान । एक-एक मत से है मिलता , तुमको नेक प्रधान ।।भूल-नहीं... देखो लालच #कविता
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Village Life ग़ज़ल :- रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है । अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१ नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर । चलूँ अब चाल मैं उनकी की चाहत का महीना है ।।२ चुनावी हो रहे दंगल गली घर में लगे पर्चे । करो मतदान तुम बस अब सियासत का महीना है ।।३ लड़ेगी आँख तेरी भी किसी दिन तो हसीनों से । जिगर तू थाम लेना बस मुहब्बत का महीना है ।।४ अभी आयी जवानी है सँभलकर तुम जरा चलना । कदम बलखा न जाये अब नज़ाकत का महीना है ।।५ खिले जो फूल गुलशन में उन्हें कच्ची कली मानों भँवर को भी बता दो अब हिफ़ाज़त का महीना है ।।६ प्रखर से सीख लो कुछ इल्म झूठी इन रिवायतों के । बता देगा तुम्हें वो भी तिज़ारत का महीना है ।।७ २८/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है । अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१ नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर । चलूँ अब चाल मैं
ग़ज़ल :- रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है । अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१ नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर । चलूँ अब चाल मैं #शायरी
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मनहरण घनाक्षरी :- लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो । त्यागो अभी हृदय से , दुष्ट अभिमान को । नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो , चलो सब मिलकर, करो मतदान को । ये तो सब लुटेरे हैं , करते हेरे-फेरे हैं पहचानते है हम , छुपे शैतान को । मतदान कर रहे , क्या बुराई कर रहे, रेंगता है मतदाता , देख के विधान को ।।१ वो भी तो है मतदाता, क्यों दे जान अन्नदाता , पूछने मैं आज आयी , सुनों सरकार से । मीठी-मीठी बात करे , दिल से लगाव करे, आते हाथ सत्ता यह , दिखता लाचार से । घर गली शौचालय, खोता गया विद्यालय, देखे जो हैं अस्पताल , लगते बीमार से। घर-घर रोग छाया , मिट रही यह काया , पूछने जो आज बैठा , कहतें व्यापार से ।।२ टीप-टिप वर्षा होती , छत से गिरते मोती , रात भर मियां बीवी , भरते बखार थे । नई-नई शादी हुई , घर में दाखिल हुई , पूछने वो लगी फिर , औ कितने यार थे । मैने कहा भाग्यवान , मत कर परेशान , कल भी तो तुमसे ही , करते दुलार थे । और नही पास कोई , तुम बिन आँख रोई, जब तेरी याद आई , सुन लो बीमार थे ।।३ २८/०३/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो । त्यागो अभी हृदय से , दुष्ट अभिमान को । नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो , चलो
मनहरण घनाक्षरी :- लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो । त्यागो अभी हृदय से , दुष्ट अभिमान को । नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो , चलो #कविता
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मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास । वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१ गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप । मिट जायेंगे एक दिन , सब तेरे संताप ।।२ जीवन के हर मोड़ पर , करिये गुरु का ध्यान । हो जायेंगी आपकी , राहें फिर आसान ।।३ स्वस्थ करो गुरुदेव को , विनती है रघुनाथ । उनका अपने शिष्य पर , रहता निशिदिन हाथ ।।४ तन पर दिखता है नहीं , अब तो कहीं गुलाल । मन में ज्यों का त्यों रहा , सबके आज मलाल ।।५ रंग प्रीति का जब चढ़े , फीका लगे गुलाल । आज सखी पाहुन मिले , हुए लाल फिर गाल ।।६ भटक गये हैं लोग सब , बिगड़ गये त्यौहार । मुर्गा दारू बिन यहाँ , नज़र न आये प्यार ।।७ २८/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास । वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१ गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप । मिट जायेंगे एक दिन , सब त
मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास । वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१ गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप । मिट जायेंगे एक दिन , सब त #कविता
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