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ajay jain अविराम
सबंध हो जब अस्मिता का, तब ध्यान होना चाहिये, क्यों कहे किस से कहे क्या यह ज्ञान होना चाहिये, व्यापक विचारों से लबालब गतिमान होना चाहिये हिंदुत्व अब हर भारतीय का अभियान होना चाहिये अजय अविराम भारतीयता
भारतीयता
read morevishnu prabhakar singh
जागो भारत जागो 'अवधारणा' हमारी निती राजनिती अच्छे बुरे की निजता से परे बेखौप,तल्ख आरोप के व्याख्यान पर हमसे चौकन्ना कोई हो कैसे हमारा स्पष्ट पारदर्शी इतिहास धुसरित है स्वार्थ से जहाँ यतन से ढूँढा था हमने विकृत भाँप लिया था ठप पडी इच्छा-शक्ती तब इसके उत्तथान के लिये बने बेखौप बिसरायी संवैधानिक बाधा विकास किया विकृत का केंद्रित की क्षेत्रियता प्रतिष्ठित की मानसिकता झेला अनुशासन हीनता का पश्याताप परंपरा तोडा परिवार जोडा सार्वजनिकता में सुलभ हुये भय के माहामंडन में बैर लिया धौस से हमारा शोषन हुआ वाणिज्यिक धन को तरसते रहे राष्ट्रपति मनोनित संस्था के हाशिये पर लम्बा संघर्ष किया आसान नहीं रहा जरा सोचो, अहिंसा के पूजारियो और संवैधानिक पीठ की कर्मण्यता कल्याणकारी रुप और सुदृढ विधि-व्यवस्था का खुला मंच दिमाग खराब ! तब हमने आविष्कार किया अशिक्षित समाज के लिये भ्रम धर्म और जात में खोये को धन अधुरा-सच का मूल मंत्र भोकाल का नेपथ्य तंत्र हम बोल-बोल कर अनशुने रहे ऊठती ऊंगलियो को अप्रमाण बताया अछूत का विषपाण किया फसते ही चले गये तब ये विरादरी बनी त्रुव का पत्त्ता जहां असुरक्षित लाभ बढा रहे है,और हमें मिल रहा है असंवेदनशीलों का बहुमत! #अवधारणा
Arvind rajput 000
गोमाता को बचाना है,, अंधे प्रशासन को चश्मा दिलवाना है ,, चीता ले आए अब सम्पूर्ण भारत में लम्पी का टीका लगवाना है ,, क्या होता है गोप्रेमी इन सत्ता धारी अंधों को बताना है,, ©Arvindra भारतीयता को लेकर आए
भारतीयता को लेकर आए #कविता
read moreअखण्डेश ओझा
जब तक जूतों से नापेंगे,औकातों को दुनियाँ में तबतक निश्चित ही कुचलेंगे,जज्बातों को दुनिया में त्याग तपस्या औ चरित्र का, जबतक मोल लगायेंगे हमीं ढहायेंगे ,भारत के सौगातों को दुनिया में जय भारत जय भारतीयता
जय भारत जय भारतीयता
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी सृष्टि के श्रंगार और निर्माण की अद्भुत कला थी नारी नर की पौरुषता को,निखारती थी नारी जननी सभ्यताओं की पाठशाला संस्कृति की थी परिस्थितियों से संघर्ष कर शिवाजी और महाराणा प्रताप बनाती नारी आज गमो में घुटकर लाचार दिखती नारी घरों से बहार निकलकर,आजादी की दुहाई देती नारी टूट रहे परिवार परवरिश से,उदण्डता पनप रही है मापदंडों पर दोहरी भूमिका, बेचारी नारी दो पाटो में चक्की की तरह पिस रही है बाजार बाद की अवधारणाओं में, नारी की कीमत अक रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #lonely बाजारवाद की अवधारणा में,नारी की कीमत अक रही है #lonely
Author Harsh Ranjan
भारत तब तक सुरक्षित नहीं है जब तक हम एकीकरण के प्रयास को ध्रुवीकरण कहेंगे। हमारी इस प्रवृत्ति का फायदा वो उठा रहे हैं जो भारतीयता को भी ध्रुवीकरण सिद्ध करना चाहते हैं, हिंदुत्व की तो बात ही क्या! ध्रुवीकरण भारत और भारतीयता के लिए
ध्रुवीकरण भारत और भारतीयता के लिए
read moreAuthor Harsh Ranjan
भारत तब तक सुरक्षित नहीं है जब तक हम एकीकरण के प्रयास को ध्रुवीकरण कहेंगे। हमारी इस प्रवृत्ति का फायदा वो उठा रहे हैं जो भारतीयता को भी ध्रुवीकरण सिद्ध करना चाहते हैं, हिंदुत्व की तो बात ही क्या! ध्रुवीकरण भारत और भारतीयता के लिए
ध्रुवीकरण भारत और भारतीयता के लिए
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