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Rashmi Malik (crazy)
आज आज़ाद हूं.... कल शिकार बन जाऊंगी.... भाई तेरे ही आँगन में पंख छोड़ जाऊंगी.... मैं भी एक दिन घूँघट मे कैद हो जाऊंगी... आज शैतान हूं..... कल प्यारी बन जाऊंगी.... भाई तेरे ही आँगन में राज छोड़ जाऊंगी.... मैं भी एक दिन गुलाम बन जाऊंगी... आज मोटी हूं ... कल खाना भूल जाऊंगी .... भाई तेरे ही आंगन में भूख छोड़ जाऊंगी .... मैं भी एक दिन परोसने सीख जाऊंगी .... आज चिल्लाती हूं .... कल बोलना भूल जाऊंगी .... भाई तेरे ही आंगन में जवाब छोड़ जाऊंगी .... मैं भी एक दिन सवाल बन जाऊंगी.... आज खेलती हूं .... कल खिलौना बन जाऊंगी .... भाई तेरे ही आंगन में बचपना छोड़ जाऊंगी .... मैं भी एक दिन जिम्मेदार बन जाऊंगी ..... आज बच्ची हूं .... कल गोद ढूंढती रह जाऊंगी.... भाई तेरे ही आंगन मे माँ- पापा का प्यार छोड़ जाऊंगी.... मैं भी एक दिन पराई हो जाऊंगी.... आज शेरनी हूं .... कल डरपोक बन जाऊंगी.... मैं तेरे ही आंगन में अकड़ छोड़ जाऊंगी .... मैं भी एक दिन गुम हो जाऊंगी .... आज रश्मि मलिक हूं .... कल ना जाने क्या कहलाऊंगी .... भाई तेरे ही आंगन में सरनेम छोड़ जाऊंगी .... मैं भी एक दिन खुद को मलिक नहीं कह पाऊंगी....... -रश्मि मलिक #gif भाई तेरा आँगन
Rishika Srivastava "Rishnit"
गुज़र गया वो ज़माना, जो मेरा और सिर्फ मेरा अपना था! मैं अपने ख़्वाबों की दुनिया, वो मीठे पल कहाँ तलाश करूँ! जहाँ कभी मेरी हँसी गूंजा करती थी,चारों ओर हवाओं में शब्दों में तौलकर उन अनछुए, यादों को कैसे आबाद करूँ! अंतर्मन में गूँज रहे वो बचपन से जबानी के सुहाने पल, आँगन में नीम और बरगद पर पंछियों के चहचहाट हरपल! आँगन के मिट्ठी की खुशबू, माँ की डांट और पापा का प्यार यादें आँगन की जो रूह में मेरे है बसी, उसे कैसे ख़ुद से आज़ाद करूँ!! ©rishika khushi यादें आँगन की
Shaikh Akhib Faimoddin
मेरे आँगन में.. अभी अभी तो फुल ख़िल उठे थे अभी अभी मुरझाएँ हैं मेरे आँगन में तुफानों का भी आना था मेरे आँगन में सोचा था खुशियों के दीप जलाऊँगा अब खाली दिल जलता है मेरे आँगन में कहेने को और भी है फिर भी अजीब सी तनहाई है मेरे आँगन में लगता था बारात पहुँचेगी एक दिन मेरे आँगन में लेकिन अब आरमानों के जनाजे निकलते हैं मेरे आँगन में मै कैसे भुल गया सिर्फ काँटे ही उगते हैं मेरे आँगन में खुशियाँ या फुल इनकी उम्र छोटी है मेरे आँगन में मेरे आँगन में
Mukesh Meet
बहुत चाहा निकल जाएं, पीर की पीर का होगी, मगर निर्लज्ज आँसू , आँख के आँगन में बैठे हैं। ©Mukesh Meet #आँसू#आँखें#आँगन
Rohit Saini
फूटा नव अँकुर, नया रंग दिखाई पड़ता है । वसुन्धरा के आँगन में, नववर्ष दिखाई पड़ता है । बाह पसारी है सूरज ने, सर्द हवाये वापस लौटी । धुंधलता का भी अंत हुआ, अम्बर भी शीशा सा लगता है । वसुन्धरा के आँगन.. चहकी लगती है चिड़िया भी, कुँज खिले महके उपवन में। उमंग भरी दिशाओ में, बसन्त बहारो का मौसम लगता है । वसुन्धरा के आँगन में, @$रोहित सैनी$... वसुन्धरा के आँगन में
Rajesh rajak
ये चिड़िया भी कितनी अजीब है, बिल्कुल मेरी बेटी की तरह, सुबह हुई नहीं और चिल्लाने लगती है, कितनी देर तक सो रहे हो, चलो उठो दूध लाओ भूख लगी है, बिल्कुल मेरी बेटी की तरह। फिर उस चिडिया को देखकर लगता है ये एक दिन उड़ जायेगी मैं सौंप दूँगा किसी के हाथों में, आँखों में आँसू लिए, ये कहकर इसका ख्याल रखना, ये नादान है कोई गलती हो जाए तो,,,,,,,,,,,,,,, ©Rajesh rajak मेरे आँगन की चिड़िया