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Mansha Sharma
White 🍁मन के भाव 🍁 साजन छूट गया साजन से रब्त कैसे पल मे बदल गया वक्त हर पल उसी सड़क को निहारु एक पल लगे आवाज देकर पुकारु जो चला गया उसे कैसे बिसारु रह गयी खामोशियां तुम्हे याद करके आती रही हिचकीया तनहाई मे गूंजती रहती मेरी सिसकियां तुम्हारे बिना मेरी मनशा ना कोई ओर खुद को समझाती वक्त पर नही किसी का जोर तुम बिन थम गयी यह जिंदगी थम गया साजन की प्यार भरी आवाज का वो शोर तुम नही तुम्हारी तस्वीर से बात करती रहती नही होती बोर तुम बिन हर रात है अमावस जिसकी नही कोई भोर स्वरचित _सुरमन_✍️ 23/10/2021 ©Mansha Sharma #मन के भाव #सुरमन_✍️ #साजन #सड़क #Road #nojato रब्त (सम्बन्ध)
Asma Shaik
یہ پچھلے سال کی فوٹو ہیں میری ہنستے ہوۓ۔۔۔۔ تیرے ہاتھ آنے سے پہلے میں کتنا اچھا تھا ۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔ ©Asma Shaik #skylining फोटो
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कुण्डलिया :- होली पावन पर्व है , रहिये हिलमिल साथ । सब आ जाओ पास में , छूट न जाये हाथ ।। छूट न जाये हाथ , रहो सब इसमें चिंतित । हो खुशियां जब संग , तो जीवन हो प्रफुल्लित ।। ले लो हाथ गुलाल , आयी बच्चों की टोली । भर पिचकारी मार , कहो सब हैप्पी होली ।। रंगों में ही ढूढ़़ लो , तुम जीवन के रंग । आ जायेगा आपको , सुन जीने का ढ़ंग ।। सुन जीने का ढंग , हमें त्योहार सिखाते । होली उनमें एक , मिलन की राह बनाते ।। आज न कोई गैर , सीख लो तुम बेढंगो । सबको साथी मान , आज तुम जी भर रंगो ।। फीके सारे रंग हैं , इस होली के ग्वाल । दूर बहुत साजन बसे , कैसे करूँ धमाल ।। कैसे करूँ धमाल , प्रीति बिन फीकी होली । होते साजन पास , करते हंसी ठिठोली ।। सर्दी से बेहाल , मारता लल्ला छीके । बैठी रहूँ उदास , रंग होली के फीके ।। २२/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- होली पावन पर्व है , रहिये हिलमिल साथ । सब आ जाओ पास में , छूट न जाये हाथ ।। छूट न जाये हाथ , रहो सब इसमें चिंतित ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
माहिया/टप्पा छन्द दुनिया दुखयारी है पाँव पडूँ गिरधर यह पीर हमारी है ।। पढ़कर दौड़े आना पाती हूँ लिखती अब छूट गया दाना ।। चाल चलूँ मतवाली देखो तुम साजन हो अधरो पे लाली ।। पट आज उठा लेना बाते करने को ढ़ल जाये जब रैना ।। क्या प्रीति बिना फागुन भायेगा मुझको कुछ आकर कर अवगुन । २०/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR माहिया/टप्पा छन्द दुनिया दुखयारी है पाँव पडूँ गिरधर यह पीर हमारी है ।
Ganesh Joshi
सजनी की आँखों में छुप कर जब झाँका बिन होली खेले ही साजन भीग गया ©Ganesh Joshi #Holi सजनी की आँखों में छुप कर जब झाँका बिन होली खेले ही साजन भीग गया #holikadahan #Rang #ganeshjoshibkn
Pushpvritiya
हिय की मारी सोच अकिंचन, पिय जी झूठ बँधाय गयो मन.....!! @पुष्पवृतियाँ ©Pushpvritiya #चौपाई वैरागी मन तुम बिन प्रीतम, पीर न जाने किन् विध् हो कम...! कस्तूरी मृग बन कर साजन, तोहे ढूँढ़े भटके वन वन......!! विरहिन देह जलन जागे
Ravendra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
अहर्निश छन्द आये हैं साजन, मेरे आँगन, है होली । क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।। वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली । अब कैसी दूरी , क्या मजबूरी , मै बोली ।। जप राधे-राधे , दुख हो आधे , महतारी । वो सबकी सुनते, कुछ मत कहते , गिरधारी ।। है पल बलवाना , जिसने माना , बनवारी । सब महिमा तेरी , क्या है मेरी , सुखकारी ।। १३/०३/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अहर्निश छन्द आये हैं साजन, मेरे आँगन, है होली । क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।। वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली ।